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Mahendragarh-Narnaul News: आतिशबाजी के वक्त आंखों का रखें विशेष ध्यान
संवाद न्यूज एजेंसी, महेंद्रगढ़/नारनौल
Updated Mon, 20 Oct 2025 12:02 AM IST
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फोटो संख्या:52- नागरिक अस्पताल महेंद्रगढ़---संवाद
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महेंद्रगढ़। दीपावली रोशनी और खुशियों का त्योहार है। नागरिक अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ संजीव कुमार ने बताया बताया कि दिवाली के आसपास पटाखों से निकलने वाले धुएं और रासायनिक कणों के कारण वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है।
विशेषकर आगामी दो-तीन दिनों तक आंखों की विशेष देखभाल की आवश्यकता है। आतिशबाजी के वक्त निकलने वाली चिंगारियां व तेज रोशनी से आंख और अन्य संवेदनशील अंगों पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
उन्होंने कहा कि छोटे बच्चे और बुजुर्ग सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। क्योंकि उनकी आंखें प्रदूषण के प्रति ज्यादा संवेदनशील होती हैं। उन्होंने कहा कि दीपावली पर्व पर ग्रीन पटाखों का प्रयोग करें। नागरिक अस्पताल में इस स्थिति को देखते हुए दो चिकित्सकों को विशेष रूप से बर्निंग व आंखों से संबंधित पीड़ितों की जांच और उपचार की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
डॉ. संजीव कुमार ने बताया कि मरीजों के उपचार के लिए पर्याप्त दवाइयों और चिकित्सा सुविधाओं की व्यवस्था की गई है। अस्पताल में आई ड्रॉप्स, एंटीबायोटिक दवाएं और प्राथमिक उपचार सामग्री की पर्याप्त है। उन्होंने कहा कि इस मौसम में सावधानी बरतना ही सबसे अच्छा उपाय है। पटाखे जलाने के दौरान आंखों की सुरक्षा के लिए चश्मा पहनना चाहिए।
यदि आंखों में जलन या खुजली महसूस हो तो तुरंत ठंडे पानी से धोकर चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। कई मामलों में लोग घरेलू उपचार या आंखों में उपलब्ध कोई भी ड्रॉप डाल लेते हैं जिससे स्थिति और गंभीर हो जाती है।
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दिवाली जैसे पर्वों पर प्रदूषण व आतिशबाजी का असर केवल आंखों तक सीमित नहीं रहता बल्कि सांस संबंधी बीमारियों में भी बढ़ोतरी देखी जाती है। उन्होंने नागरिकों से अपील की है कि पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए ग्रीन पटाखों का प्रयोग करें। दिवाली की खुशियों के बीच आंखों की सुरक्षा को लेकर लोगों में जागरूकता जरूरी है ताकि त्योहार हर्षोल्लास के साथ सुरक्षित रूप से मनाया जा सके।
-- - जयप्रकाश, एसएमओ नागरिक अस्पताल महेंद्रगढ़।

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विशेषकर आगामी दो-तीन दिनों तक आंखों की विशेष देखभाल की आवश्यकता है। आतिशबाजी के वक्त निकलने वाली चिंगारियां व तेज रोशनी से आंख और अन्य संवेदनशील अंगों पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
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उन्होंने कहा कि छोटे बच्चे और बुजुर्ग सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। क्योंकि उनकी आंखें प्रदूषण के प्रति ज्यादा संवेदनशील होती हैं। उन्होंने कहा कि दीपावली पर्व पर ग्रीन पटाखों का प्रयोग करें। नागरिक अस्पताल में इस स्थिति को देखते हुए दो चिकित्सकों को विशेष रूप से बर्निंग व आंखों से संबंधित पीड़ितों की जांच और उपचार की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
डॉ. संजीव कुमार ने बताया कि मरीजों के उपचार के लिए पर्याप्त दवाइयों और चिकित्सा सुविधाओं की व्यवस्था की गई है। अस्पताल में आई ड्रॉप्स, एंटीबायोटिक दवाएं और प्राथमिक उपचार सामग्री की पर्याप्त है। उन्होंने कहा कि इस मौसम में सावधानी बरतना ही सबसे अच्छा उपाय है। पटाखे जलाने के दौरान आंखों की सुरक्षा के लिए चश्मा पहनना चाहिए।
यदि आंखों में जलन या खुजली महसूस हो तो तुरंत ठंडे पानी से धोकर चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। कई मामलों में लोग घरेलू उपचार या आंखों में उपलब्ध कोई भी ड्रॉप डाल लेते हैं जिससे स्थिति और गंभीर हो जाती है।
दिवाली जैसे पर्वों पर प्रदूषण व आतिशबाजी का असर केवल आंखों तक सीमित नहीं रहता बल्कि सांस संबंधी बीमारियों में भी बढ़ोतरी देखी जाती है। उन्होंने नागरिकों से अपील की है कि पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए ग्रीन पटाखों का प्रयोग करें। दिवाली की खुशियों के बीच आंखों की सुरक्षा को लेकर लोगों में जागरूकता जरूरी है ताकि त्योहार हर्षोल्लास के साथ सुरक्षित रूप से मनाया जा सके।