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Highcourt News: मानकों पर खरे न उतर रहे स्कूलों को दोबारा एक्सटेंशन के खिलाफ याचिका पर हरियाणा से जवाब तलब

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़ Published by: पंचकुला ब्‍यूरो Updated Thu, 15 Sep 2022 02:18 AM IST
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सार

हरियाणा स्कूल एजुकेशन एक्ट के तहत प्राइमरी स्कूल के लिए आधा एकड़, मिडिल स्कूल के लिए एक एकड़, दसवीं व बारहवीं के लिए स्कूल के पास कम से कम दो एकड़ जमीन का परिसर होना अनिवार्य है। राज्य में काफी संख्या ऐसे स्कूल हैं जो दो से तीन कमरों में चल रहे हैं।

Haryana has been asked to answer for repeated extensions to schools that do not meet the standards
school - फोटो : फाइल फोटो

विस्तार
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पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा में छोटे-छोटे कमरों में चल रहे स्कूलों और मानकों पर खरे न उतरने वाले स्कूलों को बार-बार एक्सटेंशन देने के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर प्रदेश सरकार से जवाब तलब कर लिया है। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को अगली सुनवाई पर स्कूलों पर कार्रवाई को लेकर स्टेटस रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है।

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इस मामले में वकील रंजन लखनपाल ने जनहित याचिका दायर कर हरियाणा स्कूल एजुकेशन एक्ट की अवहेलना का आरोप लगाया था। याची ने कहा कि हरियाणा शिक्षा विभाग के अधीन ही हरियाणा में स्कूल चलते हैं और उन्हें मान्यता देने का काम बोर्ड का है। स्कूलों के लिए कुछ मानक तय किए गए हैं और इन मानकों पर खरा न उतरने वाले स्कूलों को चलने नहीं दिया जाना चाहिए। ऐसे स्कूलों पर सख्ती से कार्रवाई करने केस्थान पर इन्हें बार बार एक्सटेंशन दी जा रही है। इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को न तो पानी, शौचालय, सही शिक्षक की सुविधा है और न ही उचित लैब। इस तरह ये स्कूल बच्चों का भविष्य बनाने के स्थान पर खराब कर रहे हैं।
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हरियाणा स्कूल एजुकेशन एक्ट के तहत प्राइमरी स्कूल के लिए आधा एकड़, मिडिल स्कूल के लिए एक एकड़, दसवीं व बारहवीं के लिए स्कूल के पास कम से कम दो एकड़ जमीन का परिसर होना अनिवार्य है। राज्य में काफी संख्या ऐसे स्कूल हैं जो दो से तीन कमरों में चल रहे हैं। शिक्षा विभाग ने ऐसे स्कूलों को एक निर्धारित समय में हरियाणा स्कूल एजुकेशन एक्ट के मानक के अनुसार क्षेत्रफल व सुविधा देने का आदेश दिया था। तय सीमा के बाद इन स्कूलों की मान्यता रद्द करने का आदेश दिया गया था। लेकिन शिक्षा विभाग इन नियमों को खुद तोड़ रहा है। तय समय में जिन स्कूलों न इन नियमों का पालन नहीं किया, उनको विभाग बार बार समय देते हुए मान्यता जारी रखे हुए है। इन स्कूलों में न तो सही साइंस लैब है और न ही बच्चों को बैठने के लिए पर्याप्त जगह।

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