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Panchkula News: ओडी लिमिट का पैसा नहीं लौटाया, बैंक को मिला 2.26 लाख रुपये वसूली का अधिकार
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पंचकूला। बैंक से ओवरड्राफ्ट (ओडी) लिमिट के तहत लिया गया पैसा न लौटाना जीरकपुर स्थित सूद एंड संस को भारी पड़ गया। पंचकूला की सिविल अदालत ने कैनरा बैंक सेक्टर-19 शाखा के पक्ष में फैसला सुनाते हुए 2.26 लाख रुपये की वसूली का आदेश जारी किया है। अदालत ने कहा कि प्रतिवादी ने बैंक से ओडी सुविधा का लाभ उठाया लेकिन तय समय पर राशि वापस नहीं की। बैंक को यह रकम ब्याज सहित वसूलने का अधिकार है। अदालत ने साफ निर्देश दिया है कि अगर दो माह के भीतर भुगतान नहीं किया गया तो बैंक जब्ती की कार्रवाई शुरू कर सकता है।
2017 में ली थी ओडी सुविधा, 2019 में खाता घोषित हुआ एनपीए
मामले के अनुसार सेक्टर-19 पंचकूला शाखा की ओर से वसूली वाद वर्ष 2020 में दायर किया गया था। बैंक की ओर से दाखिल याचिका में बताया गया कि सूद एंड संस के प्रोपराइटर कुनाल सूद ने अप्रैल 2017 में एक लाख की ओवरड्राफ्ट (ओडी/सीसी) सुविधा ली थी। बाद में नवंबर 2017 में यह सीमा बढ़ाकर 2 लाख कर दी गई जबकि फरवरी 2019 में 1.90 लाख के रूप में इसका नवीनीकरण किया गया।
कई बार नोटिस भेजे पर नहीं हुआ भुगतान
बैंक के अनुसार प्रतिवादी ने ओडी लिमिट का उपयोग तो किया लेकिन भुगतान में लापरवाही बरती। बैंक की ओर से कई बार याद दिलाने और नोटिस भेजने के बावजूद रकम वापस नहीं की गई। बैंक ने 30 दिसंबर 2019 को खाते को नॉन परफोर्मिंग एसेट (एनपीए) घोषित कर दिया और 2.26 लाख रुपये की वसूली के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया। अदालत ने सभी तथ्यों पर विचार करते हुए बैंक के पक्ष में निर्णय सुनाया।

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2017 में ली थी ओडी सुविधा, 2019 में खाता घोषित हुआ एनपीए
मामले के अनुसार सेक्टर-19 पंचकूला शाखा की ओर से वसूली वाद वर्ष 2020 में दायर किया गया था। बैंक की ओर से दाखिल याचिका में बताया गया कि सूद एंड संस के प्रोपराइटर कुनाल सूद ने अप्रैल 2017 में एक लाख की ओवरड्राफ्ट (ओडी/सीसी) सुविधा ली थी। बाद में नवंबर 2017 में यह सीमा बढ़ाकर 2 लाख कर दी गई जबकि फरवरी 2019 में 1.90 लाख के रूप में इसका नवीनीकरण किया गया।
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कई बार नोटिस भेजे पर नहीं हुआ भुगतान
बैंक के अनुसार प्रतिवादी ने ओडी लिमिट का उपयोग तो किया लेकिन भुगतान में लापरवाही बरती। बैंक की ओर से कई बार याद दिलाने और नोटिस भेजने के बावजूद रकम वापस नहीं की गई। बैंक ने 30 दिसंबर 2019 को खाते को नॉन परफोर्मिंग एसेट (एनपीए) घोषित कर दिया और 2.26 लाख रुपये की वसूली के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया। अदालत ने सभी तथ्यों पर विचार करते हुए बैंक के पक्ष में निर्णय सुनाया।