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करनाल लोकसभा सीट: यहां जीत के लिए तरस गए दिग्गज, पहली बार चुनाव लड़ने वालों से खाई मात; 11 बार जीती कांग्रेस
संदीप सिंह, पानीपत (हरियाणा)
Published by: नवीन दलाल
Updated Tue, 16 Apr 2024 10:41 AM IST
सार
करनाल लोकसभा सीट के तहत आने वाले करनाल व पानीपत जिला देश के इतिहास में अहम स्थान रखते हैं। करनाल सीट को ब्राह्मण सीट के तौर पर पहचाना जाता है। लेकिन 2014 में मोदी की लहर में ये मिथ्या टूट गई थी। वहीं, पानीपत की धरती पर हुए तीन युद्ध भारतीय इतिहास में अमिट हैं। पढ़ें इस चुनावी क्षेत्र का इतिहास...
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करनाल लोकसभा सीट
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
करनाल लोकसभा सीट दिग्गजों को पटकनी देने के लिए जानी जाती है। इस सीट ने दिग्गजों को यहां से जीत के लिए तरसाया है। राजनीति के पीएचडी कहे जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री स्व. भजन लाल को पहली बार यहीं से 1999 में हार का सामना करना पड़ा था। भाजपा की दिग्गज नेत्री स्व. सुषमा स्वराज करनाल से एक जीत के लिए तरस गई थीं। उनको चार बार कांग्रेस के चिरंजीलाल शर्मा ने हराया।
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चिरंजीलाल के बेटे कुलदीप शर्मा हरियाणा विधानसभा में स्पीकर रहे हैं। वह फिलहाल कांग्रेस के दिग्गज नेता हैं। पिता की विरासत को संभालने के लिए कांग्रेस के टिकट 2019 में भाजपा के संजय भाटिया के सामने मैदान में उतारे थे। उनको देश की दूसरी सबसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा था। यह बात अलग है कि यहां के लोगों ने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों को खूब प्यार दिया है। चाहे इसमें संजय भाटिया, अश्वनी चोपड़ा या अरविंद शर्मा हों। कांग्रेस के अरविंद शर्मा ने भाजपा के दिग्गज नेता रहे आईडी स्वामी को 2004 में मात दी थी। अब 2024 में भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल को यहां से मैदान में हैं। सबकी नजर उनके सामने उतरने वाले कांग्रेस के प्रत्याशी पर है।
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करनाल सीट को ब्राह्मण सीट के तौर पर पहचाना जाता है। लेकिन 2014 में मोदी की लहर में ये मिथ्या टूट गई थी। यहां से भाजपा प्रत्याशी अश्विनी कुमार चोपड़ा को जीत मिली थी। इसके बाद पंजाबी समाज के ही संजय भाटिया ने मोदी प्रभाव में 2029 में कांग्रेस के दिग्गज नेता कुलदीप शर्मा को लगभग छह लाख वोटों से हराया था। इस सीट पर अब तक 18 लोकसभा चुनाव हो चुके हैं। इसमें से 11 बार कांग्रेस ने इस सीट पर जीत दर्ज की है।
करनाल में पानीपत का अहम स्थान
करनाल लोकसभा सीट के तहत आने वाले करनाल व पानीपत जिला देश के इतिहास में अहम स्थान रखते हैं। पानीपत की धरती पर हुए तीन युद्ध भारतीय इतिहास में अमिट हैं। पानीपत प्रदेश में सबसे ज्यादा कर देने वाली दूसरी नगरी है। पानीपत का निर्यात गुरुग्राम के बाद सबसे अधिक 16 हजार करोड़ रुपये है। विश्व भर में पानीपत के टेक्सटाइल उत्पादों की धूम है।
ये दिग्गज हारे
भजनलाल को अपने जीवन में पहली बार 1999 में हार का यहीं पर मुंह देखना पड़ा। बीजेपी की सुषमा स्वराज तीन बार 1980, 1984 और 1989 में हारीं। चार बार करनाल से जीत दर्ज करने वाले पंडित चिरंजी लाल अंतिम चुनाव यहां से 1996 में हार गए। दो बार भाजपा की टिकट पर सांसद रहे आईडी स्वामी 2004 में कांग्रेस के अरविंद शर्मा से हार गए। पूर्व स्पीकर व पंडित चिरंजीलाल के पुत्र कुलदीप शर्मा 2019 में भाजपा के संजय भाटिया से हार गए। दो बार सांसद रहे अरविंद शर्मा को 2014 में भाजपा के अश्वनी चोपड़ा के हाथ शिकस्त का सामना करना पड़ा।