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Rewari News: 399 दर्ज किया गया एक्यूआई, सांसों को संकट
संवाद न्यूज एजेंसी, रेवाड़ी
Updated Mon, 15 Dec 2025 12:13 AM IST
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भाड़ावास मार्ग पर दोपहर के समय छाया प्रदूषण। संवाद
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रेवाड़ी। रविवार को अधिकतम वायु गुणवत्ता सूचकांक 399 दर्ज किया गया, जो काफी खतरनाक श्रेणी में रहा। इस स्तर की हवा में सांस लेने और स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। वायु गुणवत्ता के इस खतरनाक स्तर के चलते ग्रैप चार की पाबंदी लागू कर दी गई हैं। इसके तहत जनता को अनावश्यक बाहरी गतिविधियों से बचने और मास्क प्रयोग की सलाह दी है।
लंबे समय तक इस प्रदूषित हवा में रहने से दमा, एलर्जी और अन्य श्वसन संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं। हवा में पीएम-2.5 और पीएम-10 कणों की मात्रा अत्यधिक बढ़ जाने से श्वसन संबंधी बीमारियां, खांसी-जुकाम, गले में जलन, आंखों में खुजली व जलन और त्वचा रोग तेजी से बढ़ सकते हैं। बच्चों, बुजुर्गों और हृदय रोगियों के लिए यह स्थिति और भी खतरनाक है।
फिजिशियन डॉ. मनीष ने लोगों को सलाह दी है कि वे सुबह-शाम की सैर से बचें, मास्क का प्रयोग करें, घरों में पौधे लगाएं और पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। प्रदूषण के कण फेफड़ों में गहराई तक पहुंचकर सांस की बीमारियों को बढ़ा सकते हैं।
अभी तक अधिकतम एक्यूआई 434 किया जा चुका दर्ज
इस सीजन का प्रदूषण का सबसे खतरनाक स्तर 2 नवंबर को 434 दर्ज किया गया था। इससे पहले दीपावली पर प्रदूषण का स्तर 412 व 31 अक्तूबर को 406 पहुंचा था। 19 अक्तूबर को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने एक्शन प्लान के चरण 2 को लागू किया था। अब 23 दिन बाद 11 नवंबर को ग्रैप 3 लागू हुआ था।
विभागों को प्रदूषण रोकने के निर्देश जारी
डीसी अभिषेक मीणा ने बताया कि प्रदूषण का स्तर एक बार फिर निर्धारित मानकों से अधिक होने से ग्रैप की पाबंदी लागू हो गई हैं, जिसके लिए हमें प्रदूषण नियंत्रण उपायों को पूरी गंभीरता से अपनाना होगा। वायु प्रदूषण नियंत्रण को लेकर ग्रैप नियमों की सख्ती से पालन करना बेहद जरूरी है। डीसी ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, शहरी निकायों, एचएसआईआईडीसी सहित अन्य संबंधित विभागाध्यक्षों को निर्देश दिए हैं कि वे जिले में बढ़ते प्रदूषण स्तर को नियंत्रित करने के लिए सख्त कदम उठाएं। आगे कहा कि लोग छोटी दूरी के लिए पैदल चलने या साइकिल का उपयोग करने, यात्रा के दौरान कार शेयरिंग या सार्वजनिक परिवहन अपनाने और जहां संभव हो वर्क फ्रॉम होम की सुविधा लेने को प्राथमिकता दें। नागरिकों को कोयला या लकड़ी से हीटिंग करने से बचना चाहिए।
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लंबे समय तक इस प्रदूषित हवा में रहने से दमा, एलर्जी और अन्य श्वसन संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं। हवा में पीएम-2.5 और पीएम-10 कणों की मात्रा अत्यधिक बढ़ जाने से श्वसन संबंधी बीमारियां, खांसी-जुकाम, गले में जलन, आंखों में खुजली व जलन और त्वचा रोग तेजी से बढ़ सकते हैं। बच्चों, बुजुर्गों और हृदय रोगियों के लिए यह स्थिति और भी खतरनाक है।
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फिजिशियन डॉ. मनीष ने लोगों को सलाह दी है कि वे सुबह-शाम की सैर से बचें, मास्क का प्रयोग करें, घरों में पौधे लगाएं और पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। प्रदूषण के कण फेफड़ों में गहराई तक पहुंचकर सांस की बीमारियों को बढ़ा सकते हैं।
अभी तक अधिकतम एक्यूआई 434 किया जा चुका दर्ज
इस सीजन का प्रदूषण का सबसे खतरनाक स्तर 2 नवंबर को 434 दर्ज किया गया था। इससे पहले दीपावली पर प्रदूषण का स्तर 412 व 31 अक्तूबर को 406 पहुंचा था। 19 अक्तूबर को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने एक्शन प्लान के चरण 2 को लागू किया था। अब 23 दिन बाद 11 नवंबर को ग्रैप 3 लागू हुआ था।
विभागों को प्रदूषण रोकने के निर्देश जारी
डीसी अभिषेक मीणा ने बताया कि प्रदूषण का स्तर एक बार फिर निर्धारित मानकों से अधिक होने से ग्रैप की पाबंदी लागू हो गई हैं, जिसके लिए हमें प्रदूषण नियंत्रण उपायों को पूरी गंभीरता से अपनाना होगा। वायु प्रदूषण नियंत्रण को लेकर ग्रैप नियमों की सख्ती से पालन करना बेहद जरूरी है। डीसी ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, शहरी निकायों, एचएसआईआईडीसी सहित अन्य संबंधित विभागाध्यक्षों को निर्देश दिए हैं कि वे जिले में बढ़ते प्रदूषण स्तर को नियंत्रित करने के लिए सख्त कदम उठाएं। आगे कहा कि लोग छोटी दूरी के लिए पैदल चलने या साइकिल का उपयोग करने, यात्रा के दौरान कार शेयरिंग या सार्वजनिक परिवहन अपनाने और जहां संभव हो वर्क फ्रॉम होम की सुविधा लेने को प्राथमिकता दें। नागरिकों को कोयला या लकड़ी से हीटिंग करने से बचना चाहिए।