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Rewari News: स्कूल की खिड़कियां टूटीं, ठंडी हवा के थपेड़े सहकर पढ़ रहे मासूम
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गांव कान्हड़वास स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय में खुली खिड़की में पढ़ाई करने को मजबूर बच्चे। स
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सौरभ जायसवाल
रेवाड़ी। गांव कान्हड़वास स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय में ठंड के मौसम के बावजूद अव्यवस्थाओं का अंबार लगा हुआ है। सुबह के समय जब ठंड सबसे अधिक होती है उस वक्त बच्चों को कक्षाओं में बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती है लेकिन ठंड से बचाव के पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए हैं।
विद्यालय के कमरों की खिड़कियां टूटी हुई हैं जिनसे ठंडी हवा सीधे कक्षाओं के भीतर प्रवेश करती है। हैरानी की बात यह है कि ठंड से बचाव के लिए इन्हें बंद कराने की कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई है। इसके चलते बच्चों को पढ़ाई के दौरान ठिठुरन झेलनी पड़ रही है। स्कूल पुराना होने की वजह से खिड़कियां जर्जर हो चुकी हैं।
आलम यह है कि अगर खिड़की बंद भी कर दी जाती है तब भी टूटे हिस्से से हवा कमरे के अंदर प्रवेश करती है। ऐसे हालातों में बच्चों के बीमार होने का खतरा बना रहता है। स्कूल प्रबंधन का कहना है कि इसके लिए बजट का अभाव है। बजट मिले तो सारा कार्य हो सकता है। विद्यालय भवन में मानकों के अनुसार पर्याप्त कक्षाएं उपलब्ध हैं, इसी कारण बरामदे में कक्षाएं नहीं लगाई जा रही हैं।
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पहली से 5वीं कक्षा में 68 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे
स्कूल के शिक्षकों का भी मानना है कि यदि टूटी खिड़कियों को ठीक करवा दिया जाए तो कक्षाओं का वातावरण काफी हद तक बेहतर हो सकता है। इससे बच्चों को ठंड से राहत मिलेगी और वे एकाग्र होकर पढ़ाई कर सकेंगे। विद्यालय में पहली कक्षा से 5वीं कक्षा में कुल 68 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं जबकि विद्यार्थियों के शैक्षणिक मार्गदर्शन के लिए तीन अध्यापक नियुक्त हैं।
बच्चों के लिए गुनगुना पानी बेहद जरूरी
इधर, मिड-डे मील योजना के तहत सरकारी विद्यालयों में बच्चों को नियमित रूप से भोजन तो उपलब्ध कराया जा रहा है लेकिन ठंड के मौसम में विद्यार्थियों को आवश्यक गुनगुना पानी नहीं मिल पा रहा है। ठंड के दिनों में ठंडा पानी पीने से सर्दी, खांसी और गले से जुड़ी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है, ऐसे में गुनगुना पानी बेहद जरूरी माना जाता है। विद्यालय प्रशासन का कहना है कि इस विषय में अभी तक निदेशालय की ओर से कोई स्पष्ट निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं।
विद्यालय परिसर की नियमित नहीं हो पा रही सफाई
विद्यालय में लंबे समय से चौकीदार की नियुक्ति नहीं है जिससे विद्यालय में चोरी की आशंका बनी रहती है। रात के समय स्कूल परिसर असुरक्षित रहता है और विद्यालय की संपत्ति को नुकसान पहुंचने का खतरा बना रहता है। इसके अलावा विद्यालय में साफ-सफाई के लिए भी कोई स्थायी कर्मचारी नियुक्त नहीं है। कर्मचारियों की कमी के कारण कक्षाओं, शौचालयों और परिसर की नियमित सफाई नहीं हो पा रही है जिससे विद्यार्थियों और शिक्षकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
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वर्जन
ठंड के मौसम में बच्चों की सुविधा और सुरक्षा को लेकर विद्यालय प्रशासन पूरी तरह गंभीर है। बजट की कमी से काम नहीं हो पा रहे हैं। अस्थायी तौर पर इन्हें बंद कराने के प्रयास किए जा रहे हैं ताकि बच्चों को ठंडी हवा से राहत मिल सके। मिड-डे मील के साथ गुनगुना पानी उपलब्ध न कराए जाने के संबंध में अभी तक निदेशालय से कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं। निर्देश मिलते ही आवश्यक व्यवस्था कर दी जाएगी। -भूप सिंह, मुख्य अध्यापक, राजकीय प्राथमिक विद्यालय कान्हड़वास।
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रेवाड़ी। गांव कान्हड़वास स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय में ठंड के मौसम के बावजूद अव्यवस्थाओं का अंबार लगा हुआ है। सुबह के समय जब ठंड सबसे अधिक होती है उस वक्त बच्चों को कक्षाओं में बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती है लेकिन ठंड से बचाव के पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए हैं।
विद्यालय के कमरों की खिड़कियां टूटी हुई हैं जिनसे ठंडी हवा सीधे कक्षाओं के भीतर प्रवेश करती है। हैरानी की बात यह है कि ठंड से बचाव के लिए इन्हें बंद कराने की कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई है। इसके चलते बच्चों को पढ़ाई के दौरान ठिठुरन झेलनी पड़ रही है। स्कूल पुराना होने की वजह से खिड़कियां जर्जर हो चुकी हैं।
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आलम यह है कि अगर खिड़की बंद भी कर दी जाती है तब भी टूटे हिस्से से हवा कमरे के अंदर प्रवेश करती है। ऐसे हालातों में बच्चों के बीमार होने का खतरा बना रहता है। स्कूल प्रबंधन का कहना है कि इसके लिए बजट का अभाव है। बजट मिले तो सारा कार्य हो सकता है। विद्यालय भवन में मानकों के अनुसार पर्याप्त कक्षाएं उपलब्ध हैं, इसी कारण बरामदे में कक्षाएं नहीं लगाई जा रही हैं।
पहली से 5वीं कक्षा में 68 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे
स्कूल के शिक्षकों का भी मानना है कि यदि टूटी खिड़कियों को ठीक करवा दिया जाए तो कक्षाओं का वातावरण काफी हद तक बेहतर हो सकता है। इससे बच्चों को ठंड से राहत मिलेगी और वे एकाग्र होकर पढ़ाई कर सकेंगे। विद्यालय में पहली कक्षा से 5वीं कक्षा में कुल 68 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं जबकि विद्यार्थियों के शैक्षणिक मार्गदर्शन के लिए तीन अध्यापक नियुक्त हैं।
बच्चों के लिए गुनगुना पानी बेहद जरूरी
इधर, मिड-डे मील योजना के तहत सरकारी विद्यालयों में बच्चों को नियमित रूप से भोजन तो उपलब्ध कराया जा रहा है लेकिन ठंड के मौसम में विद्यार्थियों को आवश्यक गुनगुना पानी नहीं मिल पा रहा है। ठंड के दिनों में ठंडा पानी पीने से सर्दी, खांसी और गले से जुड़ी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है, ऐसे में गुनगुना पानी बेहद जरूरी माना जाता है। विद्यालय प्रशासन का कहना है कि इस विषय में अभी तक निदेशालय की ओर से कोई स्पष्ट निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं।
विद्यालय परिसर की नियमित नहीं हो पा रही सफाई
विद्यालय में लंबे समय से चौकीदार की नियुक्ति नहीं है जिससे विद्यालय में चोरी की आशंका बनी रहती है। रात के समय स्कूल परिसर असुरक्षित रहता है और विद्यालय की संपत्ति को नुकसान पहुंचने का खतरा बना रहता है। इसके अलावा विद्यालय में साफ-सफाई के लिए भी कोई स्थायी कर्मचारी नियुक्त नहीं है। कर्मचारियों की कमी के कारण कक्षाओं, शौचालयों और परिसर की नियमित सफाई नहीं हो पा रही है जिससे विद्यार्थियों और शिक्षकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
वर्जन
ठंड के मौसम में बच्चों की सुविधा और सुरक्षा को लेकर विद्यालय प्रशासन पूरी तरह गंभीर है। बजट की कमी से काम नहीं हो पा रहे हैं। अस्थायी तौर पर इन्हें बंद कराने के प्रयास किए जा रहे हैं ताकि बच्चों को ठंडी हवा से राहत मिल सके। मिड-डे मील के साथ गुनगुना पानी उपलब्ध न कराए जाने के संबंध में अभी तक निदेशालय से कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं। निर्देश मिलते ही आवश्यक व्यवस्था कर दी जाएगी। -भूप सिंह, मुख्य अध्यापक, राजकीय प्राथमिक विद्यालय कान्हड़वास।

गांव कान्हड़वास स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय में खुली खिड़की में पढ़ाई करने को मजबूर बच्चे। स