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Rohtak News: आशा ने लोन से शुरू किया बैग बनाना, अब दूसरे प्रदेशों में लगाती हैं प्रदर्शनी
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18...प्रदर्शनी में सजाए गए बैग दिखाती महिला आशा। स्रोत : समूह
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संवाद न्यूज एजेंसी
रोहतक। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनना समय की जरूरत है। इसी को ध्यान में रखते हुए लाखन माजरा की आशा ने एक स्वयं सहायता समूह से जुड़कर खुद की पहचान बनाई है। आठवीं पास आशा के पति मजदूर हैं, इस कारण घर की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी। ऐसे में उन्होंने 50 हजार रुपये लोन लेकर बैग बनाने का काम शुरू किया।
शुरुआत में परिवार के सदस्यों ने काम के लिए रोका भी लेकिन आशा के सिर पर स्वरोजगार की धुन सवार थी और उन्होंने बैग बनाने का काम जारी रखा। अब वह रोहतक ही नहीं, दूसरे प्रदेशों तक में खुद के बनाए बैग की प्रदर्शनी लगाती हैं और उनको फोन पर ही इसके ऑॅर्डर भी मिलने लगे हैं।
उनका कहना है कि स्वावलंबन के लिए वे स्वयं सहायता से जुड़ी और बैग बनाने का स्वरोजगार शुरू किया, उसी से उनको पहचान मिली है। हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत वे 2016 में श्रीराम स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं। इसके बाद उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक व प्रशासन की ओर से खरावड़ में संचालित केंद्र से बैग बनने के ट्रेनिंग ली।
आशा इस स्वरोजगार से प्रति महीना करीब 12 हजार रुपये तक आमदनी कर रही हैं। वह बैग बनाने के लिए अब कच्चा सामान दिल्ली से खुद लाती हैं। उनका कहना है कि वे जूट, जकाट व कैनवास के कपड़े से बैग बनाती हैं। उन्होंने अब तक रोहतक, कुरुक्षेत्र, गुरुग्राम, नोएडा के अलावा चेन्नई में भी प्रदर्शनियों में इनके स्टाॅल लगाए हैं।
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रोहतक। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनना समय की जरूरत है। इसी को ध्यान में रखते हुए लाखन माजरा की आशा ने एक स्वयं सहायता समूह से जुड़कर खुद की पहचान बनाई है। आठवीं पास आशा के पति मजदूर हैं, इस कारण घर की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी। ऐसे में उन्होंने 50 हजार रुपये लोन लेकर बैग बनाने का काम शुरू किया।
शुरुआत में परिवार के सदस्यों ने काम के लिए रोका भी लेकिन आशा के सिर पर स्वरोजगार की धुन सवार थी और उन्होंने बैग बनाने का काम जारी रखा। अब वह रोहतक ही नहीं, दूसरे प्रदेशों तक में खुद के बनाए बैग की प्रदर्शनी लगाती हैं और उनको फोन पर ही इसके ऑॅर्डर भी मिलने लगे हैं।
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उनका कहना है कि स्वावलंबन के लिए वे स्वयं सहायता से जुड़ी और बैग बनाने का स्वरोजगार शुरू किया, उसी से उनको पहचान मिली है। हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत वे 2016 में श्रीराम स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं। इसके बाद उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक व प्रशासन की ओर से खरावड़ में संचालित केंद्र से बैग बनने के ट्रेनिंग ली।
आशा इस स्वरोजगार से प्रति महीना करीब 12 हजार रुपये तक आमदनी कर रही हैं। वह बैग बनाने के लिए अब कच्चा सामान दिल्ली से खुद लाती हैं। उनका कहना है कि वे जूट, जकाट व कैनवास के कपड़े से बैग बनाती हैं। उन्होंने अब तक रोहतक, कुरुक्षेत्र, गुरुग्राम, नोएडा के अलावा चेन्नई में भी प्रदर्शनियों में इनके स्टाॅल लगाए हैं।