कुंडली-सिंघु बॉर्डर: रास्ता खोलने के लिए तेजी से काम शुरू, लगाईं जेसीबी व हाइड्रा मशीनें, किसान कर रहे सफाई
एनएचएआई ने मशीनरी के अलावा करीब 150 लोग काम पर लगाए गए हैं। रविवार को दिनभर बड़े गड्ढों को भरने व मलबा हटाने का काम चला। अगले दो दिन में सर्विस रोड से ट्रैफिक बहाल करने की तैयारी है।
विस्तार
किसान आंदोलन स्थगित होने के बाद कुंडली बॉर्डर से किसानों के हटते ही नेशनल हाईवे (एनएच) 44 को चालू करने का काम तेजी से शुरू कर दिया गया है। करीब साढ़े आठ किलोमीटर के क्षेत्र में पत्थर व पक्के निर्माण हटाने और मरम्मत के लिए 10 से अधिक जेसीबी और हाइड्रा मशीनों को लगाया गया है। पहले दिन दोनों ओर के करीब 50 फीसदी बड़े गड्ढों को भरते हुए ऊबड़-खाबड़ हो चुके रोड को समतल किया गया।
इस काम में एनएचएआई (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) ने मशीनरी के साथ 150 से ज्यादा कर्मियों को लगाया है। उधर, दिल्ली की ओर से भी बैरिकेड व कंक्रीट की दीवारों को हटाने का काम शुरू हो गया है। अधिकारियों का दावा है कि दो दिन बाद सर्विस लेन को चालू किया जाएगा। एनएच-44 पर कुंडली-सिंघु बॉर्डर से केजीपी-केएमपी के जीरो प्वाइंट तक करीब साढ़े आठ किलोमीटर के क्षेत्र में एक साल से आंदोलनकारी किसानों का जमावड़ा था।
इतना ही नहीं पहले से एनएच-44 के चौड़ीकरण का काम चल रहा था। ऐसे में सर्विस रोड तक बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुके थे। दोनों ओर की सड़कों पर गहरे गड्ढे बन गए थे। साथ ही बॉर्डर पर कंक्रीट की दीवारों के कारण मार्ग पूरी तरह से अवरुद्ध रहा। अब जबकि ज्यादातर किसान लौट चुके हैं तो कुंडली में अगले ही दिन एनएचएआई ने अपना अमला मैदान में उतार दिया। एनएचएआई का लक्ष्य है कि 15 दिसंबर से पहले दोनों ओर के सर्विस रोड को आम वाहन चालकों को लिए तैयार कर दिया जाए।
इसी दिशा में पहले दिन 10 से अधिक जेसीबी, हाइड्रा मशीनें व 150 लोगों को इस काम में लगाया गया है। एनजीटी के प्रतिबंध के चलते फिलहाल सड़कों की मरम्मत के लिए तारकोल का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। गड्ढों को भरने के लिए ड्राई मैटीरियल का इस्तेमाल किया जा रहा है। शाम तक 50 फीसदी से अधिक बड़े गड्ढों को भरा जा चुका था। मलबे के ढेरों को भी उठाया जा रहा है। माना जा रहा है कि दो-तीन दिनों में जीटी रोड के जरिये दिल्ली आवागमन शुरू हो सकेगा।
दिल्ली की तरफ बनी कंक्रीट की दीवार को तोड़ने काम शुरू
वाहन चालकों के अच्छी खबर यह है कि मार्ग को खोलने के लिए दिल्ली की ओर से भी कामकाज शुरू किया जा चुका है। यहां दिल्ली पुलिस की देखरेख में कंक्रीट की दीवारों को तोड़ना शुरू कर दिया गया है। दीवारों को तोड़ने के लिए जेसीबी व हाइड्रा की मदद ली जा रही है। सिंघु बॉर्डर पर पहुंची बड़ी मशीन की मदद से कंक्रीट की मोटी दीवार को हटाने का काम शुरू हो गया। देर शाम तक कंक्रीट की दीवार और बैरिकेड के एक बड़े हिस्से को हटाया जा चुका था। काम की गति को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि सोमवार को इस काम को पूरा कर लिया जाएगा। इसके अलावा कांटेदार तारों को हटा दिया गया है।
दुकानदारों को काम-धंधे जल्द पटरी पर लौटने की उम्मीद
किसानों की वापसी के बाद एनएचएआई ने जिस रफ्तार से एनएच-44 से पत्थर व मलबा हटाने का काम शुरू किया है, उससे दुकानदारों में खुशी का माहौल है। यहां आसपास के दुकानदार साक्षी मित्तल, रामभज, पवन गर्ग, सतीश का कहना है कि एक साल पहले तक उनका काम-धंधा सही चल रहा था और वह गुजारा कर पा रहे थे, लेकिन एक साल के बाद पूरी तस्वीर बदल गई है। अब उनके सामने दो वक्त की रोटी पर संकट खड़ा हो गया था। किराये पर लेकर दुकानें चला रहे कई दुकानदार तो काम ही छोड़कर चले गए। जिनकी अपनी दुकानें हैं, उनके पास कोई चारा नहीं था। ऐसे में अब किसान चले गए हैं तो उन्हें उम्मीद है कि फिर से काम-धंधा पटरी पर लौटेगा। जिस तरह से सड़कों को ठीक करने का काम चल रहा है, उससे लगता है कि जल्द हालात सामान्य हो जाएंगे।
एनएच-44 पर सर्विस लेन पर यातायात बहाल करने के लिए काम तेजी से किया जा रहा है। इस काम में मशीनरी के अलावा काफी संख्या में लोग लगाए गए हैं। रविवार को बड़े गड्ढ़ों को भरा गया है। अगले दो से तीन दिन में दोनों साइड के सर्विस रोड को चालू करने का प्रयास है। - आनंद दहिया, डीजीएम, एनएचएआई
किसानों की वापसी दूसरे दिन भी जारी, मुख्य मंच हटाने का काम शुरू
किसान आंदोलन के स्थगित होने के बाद रविवार को लगातार दूसरे दिन भी कुंडली बॉर्डर से किसानों की वापसी जारी रही। सैकड़ों किसान ट्रैक्टर-ट्रालियों व ट्रकों में अपना सामान लेकर रवाना हुए। इससे पहले उन्होंने आसपास की सफाई करने के साथ ही मलबा व झोपडिय़ां हटाने में प्रशासन की भी मदद की। किसानों ने पूरे साल मदद करने वाले आसपास के लोगों का आभार जताया है। साथ ही हरियाणा विशेषकर सोनीपत के ग्रामीणों के सहयोग को लेकर कहा कि उन्हें हरियाणा वालों की खातिरदारी याद रहेगी।
संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से 9 दिसंबर को आंदोलन वापसी की घोषणा के बाद से ही किसानों की घर वापसी शुरू हो गई थी। लेकिन जश्न और जुलूस के रूप में किसान शनिवार को रवाना हुए। कुंडली-सिंघु बॉर्डर से हजारों किसान गाजे-बाजे के साथ अपने घरों को लौटे थे, जिससे जीटी रोड लंबा जाम लगा रहा।
जाम की वजह से किसानों के कुछ जत्थे बॉर्डर पर ही रुक गए थे। रविवार को सुबह से ही किसान अपने वाहनों में सामान लादकर रवाना होने शुरू हो गए। दोपहर तक ज्यादातर किसान वापसी के लिए चल पड़े, हालांकि दर्जनभर ट्रैक्टर-ट्रालियां अभी भी बॉर्डर के पास मौजूद हैं।
रविवार को मुख्य मंच को समेटने का काम दिनभर चलता रहा। करीब 8 घंटे के बाद मुख्य मंच को खोला जा सका है। बताया जा रहा है कि मुख्य मंच के निर्माण में करीब 36 लाख रुपये का खर्च आया था। अब इसे दिल्ली की एक संस्था को करीब 15 लाख रुपये में संयुक्त किसान मोर्चा ने बेच दिया है। इसके सोमवार को पूरी तरह से हटने की उम्मीद है।
बॉर्डर पर खुद ही साफ सफाई में जुटे रहे किसान
कुंडली बॉर्डर पर डटे किसानों ने जाने से पहले खुद ही साफ सफाई कर मलबा हटाया। किसान गुरप्रीत सिंह ने बताया कि उन्होंने तय किया था कि जब यहां से जाएंगे तो जिस क्षेत्र में वह ठहरे हैं, वहां की साफ सफाई करके ही लौटेंगे। इसके लिए उनके सभी सदस्यों ने सहयोग किया है। यही नहीं, प्रशासन के साथ भी उन्होंने काम में हाथ बंटाया है। यहां से बहुत से यादें समेट कर वे अपने साथ लेकर जा रहे हैं। किसान बलदेव सिंह व मनिंद्र सिंह ने बताया कि यहां रहते हुए हरियाणा खासकर सोनीपत के किसानों ने जो खातिरदारी व सहयोग दिया वह उसे कभी भूला नहीं सकते।