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बौद्ध पूर्णिमा 2025: भगवान बुद्ध का यमुनानगर से रहा खास नाता, टोपराकलां गांव के नाम की रोचक कहानी

संवाद न्यूज एजेंसी, यमुनानगर (हरियाणा) Published by: अंकेश ठाकुर Updated Mon, 12 May 2025 11:22 AM IST
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सार

बुद्धि पूर्णिमा भारत का प्रमुख पर्व है, जिसे हर साल वैशाख पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस बार 12 मई 2025 के दिन बुद्ध पूर्णिमा मनाई जा रही है। इस दिन मुख्य रूप से भगवान बुद्ध का स्मरण और पूजा-पाठ, हवन और दान-दक्षिणा जैसे पूण्य कार्य किए जाते हैं।

Buddha Purnima 2025 Yamunanagar was Buddhist city special story
बुद्ध पूर्णिमा - फोटो : adobe stock
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विस्तार
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आज बौद्ध पूर्णिमा है। यमुना नदी के किनारे स्थित यमुनानगर जिला बौद्ध धर्म का भी एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है और अब यह फिर से बौद्ध धर्म के केंद्र के रूप में अपनी पहचान प्राप्त कर रहा है। इतिहास के पन्नों पर नजर दौड़ाएं तो यमुनानगर में भगवान बुद्ध के चरण पड़े थे। उस वक्त उन्होंने जिन-जिन स्थानों का भ्रमण किया वे स्थान ऐतिहासिक हो गए। इसलिए यमुनानगर एक समय बौद्ध धर्म की नगरी के नाम से जाना जाता था, जिसके साक्ष्य आज भी मौजूद हैं।

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भगवान बुद्ध ने टोपराकलां, चनेटी, सुघ व आदिबद्री स्थानों का भ्रमण कर यहां शिक्षाएं दी थीं। दिल्ली के फिरोजशाह कोटला में जो अशोक स्तंभ स्थापित है, उसे 2500 साल पहले सम्राट अशोक यमुनानगर खंड रादौर के गांव टोपराकलां से तोड़ कर दिल्ली लेकर आए थे। इस 27 टन वजनी स्तंभ को यमुना नदी के रास्ते कोटला दिल्ली ले गया, जहां वह अपने नए शहर का निर्माण कर रहे थे। इस स्तंभ को मिनारे-ए-जरीन भी कहा जाता था, जिसका अर्थ है सोने का स्तंभ। वहीं, गांव चनेटी के करीब 100 वर्ग मीटर के क्षेत्र में ईंटों से बने से 8 मीटर की ऊंचाई वाला एक विशाल मकबरा है। गोल आकार में बना, यह एक पुराना बौद्ध स्तूप है। हेन त्सांग के अनुसार यह सम्राट अशोक ने बनवाया था। इसी तरह सुघ में प्राचीन टीला, जिसे सुघ के प्राचीन स्थल के रूप में भी जाना जाता है। अमादलपुर में सूर्यमंदिर-तीर्थ निकट ही है। टीले की परिधि लगभग पांच किमी है और यह यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र के पश्चिमी तट पर स्थित है।
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इस तरह पड़ा टोपराकलां नाम
टोपराकलां गांव का नाम अरेबिक भाषा में टोप से चलता है। इसी नाम से अफगानिस्तान में एक जगह भी है। जो स्तूप था, वह गुंबद के आकार होता था। यानी जिस जगह पर गुंबद टॉपी के आकार मिलेगा उसे टोपरा का नाम दिया जाए। इसी तरह गांव टोपराकलां में भी उस जमाने में बौद्ध स्तूप गुंबद की तरह था। इसलिए इस गांव का नाम टोपराकलां रखा गया था।

पुरातत्व विभाग ने टोपराकलां गांव में तीन महीने पहले आईआईटी कानपुर की टीम से जीपीएस सर्वे कराया था। सर्वे में बौद्ध धर्म से जुड़े कुछ साक्ष्य मिले हैं, जिन्हें संरक्षित किया जा रहा है। वहीं, सुघ और चनेटी में सर्वे किया जा चुका है। वहां पर्यटकों के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। -बिनानी भट्टाचार्य, उपनिदेशक पुरातत्व विभाग यमुनानगर।

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