{"_id":"68c714793c67d81d9e00df0b","slug":"mother-is-the-most-beautiful-word-in-the-world-pandit-subhash-chandra-yamuna-nagar-news-c-246-1-sknl1020-143850-2025-09-15","type":"story","status":"publish","title_hn":"संसार का सबसे सुंदर शब्द है मां : पंडित सुभाष चंद्र","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
संसार का सबसे सुंदर शब्द है मां : पंडित सुभाष चंद्र
संवाद न्यूज एजेंसी, यमुना नगर
Updated Mon, 15 Sep 2025 12:46 AM IST
विज्ञापन

प्रवचन करते पंडित सुभाष चंद्र। संवाद
विज्ञापन
संवाद न्यूज एजेंसी
छछरौली। गोधाम छछरौली में चल रही पांच दिवसीय गोकथा का रविवार को दूसरा दिन रहा। दूसरे दिन कथा व्यास पंडित सुभाष चंद्र ईष्टवाला ने भक्तों को पितृ पक्ष का महत्व बताया। वहीं उन्होंने गो कथा महात्म्य में वर्णित गो महिमा के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि संसार का सबसे सुंदर शब्द मां है।
उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में जन्म देने वाली मां, धान्य देने वाली भूमि माता, वनस्पतियों में श्रेष्ठ तुलसी मां, आध्यात्मिक चेतना प्रदान करने वाली गीता मां, जल में गंगा मां है और गंगा गोमुख से निकलती है। वहीं, इन सभी में श्रेष्ठ गो माता है, जो तृण भक्षण करके भी मानव मात्र को संपूर्ण जीवन अमृत तुल्य दुग्ध ही नहीं प्रदान करती है अपितु गोमूत्र और गो गव्य प्रति दिन प्रदान करती है। वैदिक सनातन संस्कृति एवं षोडश संस्कारों के बारे बताया।
उन्होंने कहा कि हमारे जीवन में कोई भी संस्कार वैदिक सनातन पूजा पद्धति एवं शुभ कर्म पूर्व पंचगव्य पराशन से ही प्रारंभ होते है। कथा में उन्होंने सूर्यवंशी राजा दिलीप का चरित्र का वर्णन किया। गो सेवा के प्रताप से ही राजा दिलीप में गो सेवा के प्रताप से ही रघु जैसे प्रतापी पुत्र को प्राप्त किया। उनके नाम से ही सूर्यवंश का नाम रघुवंश एवं रघुकुल के रूप प्रसिद्ध हुआ। इस दौरान कथा व्यास ने भजनों से ईश्वर का गुणगान किया।

Trending Videos
छछरौली। गोधाम छछरौली में चल रही पांच दिवसीय गोकथा का रविवार को दूसरा दिन रहा। दूसरे दिन कथा व्यास पंडित सुभाष चंद्र ईष्टवाला ने भक्तों को पितृ पक्ष का महत्व बताया। वहीं उन्होंने गो कथा महात्म्य में वर्णित गो महिमा के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि संसार का सबसे सुंदर शब्द मां है।
उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में जन्म देने वाली मां, धान्य देने वाली भूमि माता, वनस्पतियों में श्रेष्ठ तुलसी मां, आध्यात्मिक चेतना प्रदान करने वाली गीता मां, जल में गंगा मां है और गंगा गोमुख से निकलती है। वहीं, इन सभी में श्रेष्ठ गो माता है, जो तृण भक्षण करके भी मानव मात्र को संपूर्ण जीवन अमृत तुल्य दुग्ध ही नहीं प्रदान करती है अपितु गोमूत्र और गो गव्य प्रति दिन प्रदान करती है। वैदिक सनातन संस्कृति एवं षोडश संस्कारों के बारे बताया।
विज्ञापन
विज्ञापन
उन्होंने कहा कि हमारे जीवन में कोई भी संस्कार वैदिक सनातन पूजा पद्धति एवं शुभ कर्म पूर्व पंचगव्य पराशन से ही प्रारंभ होते है। कथा में उन्होंने सूर्यवंशी राजा दिलीप का चरित्र का वर्णन किया। गो सेवा के प्रताप से ही राजा दिलीप में गो सेवा के प्रताप से ही रघु जैसे प्रतापी पुत्र को प्राप्त किया। उनके नाम से ही सूर्यवंश का नाम रघुवंश एवं रघुकुल के रूप प्रसिद्ध हुआ। इस दौरान कथा व्यास ने भजनों से ईश्वर का गुणगान किया।