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Bilaspur News: रेफरल केंद्र बन गया है सिविल अस्पताल मार्कंड, नहीं मिल पा रहा उचित इलाज
संवाद न्यूज एजेंसी, बिलासपुर
Updated Sun, 14 Dec 2025 11:40 PM IST
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नागरिक अस्पताल मार्कंड
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मामूली बीमारियों में भी मरीजों को भेजा जा रहा जिला अस्पताल
50 बिस्तरों की सुविधा के बावजूद भर्ती करने से बच रहे चिकित्सक
डेढ़ दर्जन पंचायतों की हजारों की आबादी अस्पताल पर निर्भर
गरीब मरीजों को इलाज के लिए काटने पड़ रहे दूसरे अस्पतालों के चक्कर
जनप्रतिनिधियों ने स्थानीय स्तर पर इलाज की उठाई मांग
संवाद न्यूज एजेंसी
जुखाला (बिलासपुर)। श्री नयना देवी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाला नागरिक अस्पताल मार्कंड इन दिनों रेफरल अस्पताल बनकर रह गया है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों को मामूली बीमारियों में भी अस्पताल में भर्ती करने के बजाय या तो घर भेज दिया जाता है या फिर जिला अस्पताल रेफर कर दिया जाता है। इससे क्षेत्र के लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
कहने को अस्पताल में तमाम सुविधाएं उपलब्ध हैं और मरीजों के लिए 50 बिस्तरों की व्यवस्था भी की गई है, लेकिन इसके बावजूद मरीजों को यहीं इलाज नहीं मिल पा रहा। इस अस्पताल पर रानीकोटला, भोली, डोभा सहित करीब डेढ़ दर्जन पंचायतों की हजारों की आबादी निर्भर है। ऐसे में बार-बार रेफर किए जाने से खासकर गरीब और दूरदराज के लोगों को आर्थिक व मानसिक परेशानी झेलनी पड़ रही है। मामले को लेकर जनप्रतिनिधियों ने कड़ा विरोध जताया है। रानीकोटला पंचायत के प्रधान परस राम, उपप्रधान रणजीत, भोली पंचायत की प्रधान रेखा भाटिया, उपप्रधान नंद लाल शर्मा तथा डोभा पंचायत की प्रधान रीता देवी और उपप्रधान रणजीत ने संयुक्त बयान में कहा कि अस्पताल में 50 बिस्तरों की सुविधा होने के बावजूद मरीजों को इलाज के लिए दूसरे अस्पतालों में भेजना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यहां तैनात चिकित्सकों को चाहिए कि जिन बीमारियों का इलाज इस अस्पताल में संभव है, उन मरीजों को यहीं भर्ती कर उपचार उपलब्ध करवाया जाए, ताकि क्षेत्र के गरीब और जरूरतमंद लोगों को नजदीक ही बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें। जनप्रतिनिधियों ने यह भी कहा कि केवल उन्हीं मरीजों को रेफर किया जाना चाहिए, जिनका इलाज इस अस्पताल में संभव नहीं है। इससे न सिर्फ मरीजों को राहत मिलेगी, बल्कि जिला अस्पतालों पर बढ़ रहे अतिरिक्त बोझ को भी कम किया जा सकेगा।
कोट
नागरिक अस्पताल मार्कंड में डॉक्टरों के छह पद स्वीकृत हैं, जिनमें से तीन पद वर्तमान में खाली चल रहे हैं। इसके बावजूद मरीजों को बेहतर इलाज उपलब्ध करवाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वह स्वयं प्रतिदिन सुबह अस्पताल में मरीजों की जांच करते हैं और केवल गंभीर बीमारी के मामलों में ही मरीजों को उच्च स्वास्थ्य संस्थानों में रेफर किया जाता है। - सुरेंद्र वावा, खंड चिकित्सा अधिकारी
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50 बिस्तरों की सुविधा के बावजूद भर्ती करने से बच रहे चिकित्सक
डेढ़ दर्जन पंचायतों की हजारों की आबादी अस्पताल पर निर्भर
गरीब मरीजों को इलाज के लिए काटने पड़ रहे दूसरे अस्पतालों के चक्कर
जनप्रतिनिधियों ने स्थानीय स्तर पर इलाज की उठाई मांग
संवाद न्यूज एजेंसी
जुखाला (बिलासपुर)। श्री नयना देवी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाला नागरिक अस्पताल मार्कंड इन दिनों रेफरल अस्पताल बनकर रह गया है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों को मामूली बीमारियों में भी अस्पताल में भर्ती करने के बजाय या तो घर भेज दिया जाता है या फिर जिला अस्पताल रेफर कर दिया जाता है। इससे क्षेत्र के लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
कहने को अस्पताल में तमाम सुविधाएं उपलब्ध हैं और मरीजों के लिए 50 बिस्तरों की व्यवस्था भी की गई है, लेकिन इसके बावजूद मरीजों को यहीं इलाज नहीं मिल पा रहा। इस अस्पताल पर रानीकोटला, भोली, डोभा सहित करीब डेढ़ दर्जन पंचायतों की हजारों की आबादी निर्भर है। ऐसे में बार-बार रेफर किए जाने से खासकर गरीब और दूरदराज के लोगों को आर्थिक व मानसिक परेशानी झेलनी पड़ रही है। मामले को लेकर जनप्रतिनिधियों ने कड़ा विरोध जताया है। रानीकोटला पंचायत के प्रधान परस राम, उपप्रधान रणजीत, भोली पंचायत की प्रधान रेखा भाटिया, उपप्रधान नंद लाल शर्मा तथा डोभा पंचायत की प्रधान रीता देवी और उपप्रधान रणजीत ने संयुक्त बयान में कहा कि अस्पताल में 50 बिस्तरों की सुविधा होने के बावजूद मरीजों को इलाज के लिए दूसरे अस्पतालों में भेजना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यहां तैनात चिकित्सकों को चाहिए कि जिन बीमारियों का इलाज इस अस्पताल में संभव है, उन मरीजों को यहीं भर्ती कर उपचार उपलब्ध करवाया जाए, ताकि क्षेत्र के गरीब और जरूरतमंद लोगों को नजदीक ही बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें। जनप्रतिनिधियों ने यह भी कहा कि केवल उन्हीं मरीजों को रेफर किया जाना चाहिए, जिनका इलाज इस अस्पताल में संभव नहीं है। इससे न सिर्फ मरीजों को राहत मिलेगी, बल्कि जिला अस्पतालों पर बढ़ रहे अतिरिक्त बोझ को भी कम किया जा सकेगा।
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नागरिक अस्पताल मार्कंड में डॉक्टरों के छह पद स्वीकृत हैं, जिनमें से तीन पद वर्तमान में खाली चल रहे हैं। इसके बावजूद मरीजों को बेहतर इलाज उपलब्ध करवाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वह स्वयं प्रतिदिन सुबह अस्पताल में मरीजों की जांच करते हैं और केवल गंभीर बीमारी के मामलों में ही मरीजों को उच्च स्वास्थ्य संस्थानों में रेफर किया जाता है। - सुरेंद्र वावा, खंड चिकित्सा अधिकारी