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Bilaspur News: नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल के जयघोष से गूंज उठा पंडाल
संवाद न्यूज एजेंसी, बिलासपुर
Updated Sun, 14 Dec 2025 11:03 PM IST
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सोई में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में उपस्थित श्रद्धालु। स्रोत: जागरूक पाठक।
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सोई में आयोजित भागवत कथा में मनाया श्री कृष्ण का जन्मोत्सव
संवाद न्यूज एजेंसी
घुमारवीं (बिलासपुर)। उपमंडल घुमारवीं के सोई गांव में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव हर्ष उल्लास के साथ मनाया गया।
इस दौरान कथा स्थल को आकर्षक ढंग से सजाया गया। वहीं, श्रद्धालुओं की भारी उपस्थिति ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया। जैसे ही श्री कृष्ण जन्म का पावन प्रसंग आया, पूरा पंडाल नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल के जयघोष से गूंज उठा। कथा वाचक आचार्य अरुण मोदगिल ने भगवान श्री कृष्ण की दिव्य लीलाओं का भावपूर्ण वर्णन करते हुए श्रद्धालुओं को भक्ति और संस्कारों का संदेश दिया। उन्होंने श्री कृष्ण जन्म, बाल लीलाओं और उनके जीवन से जुड़े प्रसंगों के माध्यम से बताया कि भगवान का अवतार अधर्म के विनाश और धर्म की स्थापना के लिए हुआ। आचार्य ने कहा कि श्री कृष्ण का जीवन हमें कर्म, प्रेम, सेवा और समर्पण का मार्ग दिखाता है। राधे-राधे जी, भजन करो मस्त जवानी में, बुढ़ापा किसने देखा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भजन और भक्ति के लिए कोई आयु सीमा नहीं होती। भक्ति जीवन के हर चरण में आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ध्रुव महाराज ने मात्र पांच साल की अवस्था में कठोर तपस्या कर भगवान की प्राप्ति कर ली। इससे यह शिक्षा मिलती है कि यदि बचपन से ही बच्चों में भक्ति, पूजा पाठ और अच्छे संस्कार डाले जाएं, तो वह जीवन में सही मार्ग पर चलते हैं। आचार्य ने वर्तमान समय में युवा पीढ़ी के नशे की ओर बढ़ते रुझान पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यदि बच्चों का बचपन संस्कारयुक्त होगा तो उनकी जवानी स्वत: ही सही दिशा में जाएगी और जिसकी जवानी सुधर गई, उसका बुढ़ापा अपने आप सुधर जाता है। उन्होंने माता-पिता से आह्वान किया कि वह बच्चों को धार्मिक, नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़ें, ताकि समाज में सकारात्मक परिवर्तन आ सके।
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घुमारवीं (बिलासपुर)। उपमंडल घुमारवीं के सोई गांव में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव हर्ष उल्लास के साथ मनाया गया।
इस दौरान कथा स्थल को आकर्षक ढंग से सजाया गया। वहीं, श्रद्धालुओं की भारी उपस्थिति ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया। जैसे ही श्री कृष्ण जन्म का पावन प्रसंग आया, पूरा पंडाल नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल के जयघोष से गूंज उठा। कथा वाचक आचार्य अरुण मोदगिल ने भगवान श्री कृष्ण की दिव्य लीलाओं का भावपूर्ण वर्णन करते हुए श्रद्धालुओं को भक्ति और संस्कारों का संदेश दिया। उन्होंने श्री कृष्ण जन्म, बाल लीलाओं और उनके जीवन से जुड़े प्रसंगों के माध्यम से बताया कि भगवान का अवतार अधर्म के विनाश और धर्म की स्थापना के लिए हुआ। आचार्य ने कहा कि श्री कृष्ण का जीवन हमें कर्म, प्रेम, सेवा और समर्पण का मार्ग दिखाता है। राधे-राधे जी, भजन करो मस्त जवानी में, बुढ़ापा किसने देखा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भजन और भक्ति के लिए कोई आयु सीमा नहीं होती। भक्ति जीवन के हर चरण में आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ध्रुव महाराज ने मात्र पांच साल की अवस्था में कठोर तपस्या कर भगवान की प्राप्ति कर ली। इससे यह शिक्षा मिलती है कि यदि बचपन से ही बच्चों में भक्ति, पूजा पाठ और अच्छे संस्कार डाले जाएं, तो वह जीवन में सही मार्ग पर चलते हैं। आचार्य ने वर्तमान समय में युवा पीढ़ी के नशे की ओर बढ़ते रुझान पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यदि बच्चों का बचपन संस्कारयुक्त होगा तो उनकी जवानी स्वत: ही सही दिशा में जाएगी और जिसकी जवानी सुधर गई, उसका बुढ़ापा अपने आप सुधर जाता है। उन्होंने माता-पिता से आह्वान किया कि वह बच्चों को धार्मिक, नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़ें, ताकि समाज में सकारात्मक परिवर्तन आ सके।
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