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Himachal Doctor Strike: सीएम सुक्खू बोले- टर्मिनेशन रिव्यू करने के लिए गठित होगी नई कमेटी, BJP कर रही राजनीति
अमर उजाला ब्यूरो, शिमला।
Published by: अंकेश डोगरा
Updated Mon, 29 Dec 2025 02:15 PM IST
सार
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि डॉ. राघव नरूला का टर्मिनेशन रिव्यू करने के लिए नई कमेटी का गठन होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पूरे मामले में भाजपा ने सिर्फ राजनीति की।
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मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू संबोधित करते हुए।
- फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
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विस्तार
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने डॉक्टरों के वापस काम पर आने का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि डॉ. राघव नरूला का टर्मिनेशन रिव्यू करने के लिए नई कमेटी का गठन होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार किसी भी डॉक्टर का करियर खराब नहीं करना चाहती है। टर्मिनेशन सरकार ने नहीं, बल्कि हॉस्पिटल की रिपोर्ट के आधार पर विभाग की ओर से किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पूरे मामले में भाजपा ने सिर्फ राजनीति की। भाजपा पांच गुटों में बंटी हुई है।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि इस पूरे मामले में भारतीय जनता पार्टी में सिर्फ राजनीति की। उन्होंने कहा कि भाजपा का एक विधायक इस पूरे मामले में डॉक्टर के साथ जबकि दूसरा विधायक के मरीज के साथ देता नजर आया। उन्होंने कहा कि सरकार जनता के हित में काम कर रही है। सरकार किसी का भी बुरा नहीं चाहती। उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के बयानों पर तो कोई प्रतिक्रिया देने का अर्थ ही नहीं है, क्योंकि वे रोज़ाना कुछ न कुछ कहते ही रहते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉक्टरों के वापस काम पर लौटने से आम जनता को राहत मिलेगी।
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#WATCH | Shimla: On doctors' ending their strike, Himachal Pradesh CM Sukhvinder Singh Sukhu, says, "I am glad that the doctors have returned to work. Regarding the scuffle, we will form a committee and submit an investigation report. The government will seriously and sensitively… pic.twitter.com/sVX5LmqVGV
विज्ञापन— ANI (@ANI) December 29, 2025विज्ञापन
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि इस पूरे मामले में भारतीय जनता पार्टी में सिर्फ राजनीति की। उन्होंने कहा कि भाजपा का एक विधायक इस पूरे मामले में डॉक्टर के साथ जबकि दूसरा विधायक के मरीज के साथ देता नजर आया। उन्होंने कहा कि सरकार जनता के हित में काम कर रही है। सरकार किसी का भी बुरा नहीं चाहती। उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के बयानों पर तो कोई प्रतिक्रिया देने का अर्थ ही नहीं है, क्योंकि वे रोज़ाना कुछ न कुछ कहते ही रहते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉक्टरों के वापस काम पर लौटने से आम जनता को राहत मिलेगी।
मनरेगा का नाम बदलने के खिलाफ मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में कांग्रेस का शांतिपूर्वक धरना
केंद्र सरकार की ओर से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम का नाम बदलने के विरोध में सोमवार को कांग्रेस ने शांतिपूर्ण सत्याग्रह किया। शिमला में रिज पर लगी महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू, उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष विनय कुमार समेत अन्य मंत्रियों और विधायकों ने शांतिपूर्वक धरना देकर विरोध दर्ज करवाया।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि भाजपा बदले की भावना के साथ-साथ बदलने की भावना से काम कर रही है। भाजपा सरकार देश के इतिहास से छेड़छाड़ कर रही है। कांग्रेस के शासनकाल में शुरू की गई जनकल्याणकारी योजनाओं को नाम बदलने के साथ उनमें संशोधन करके कमजोर करने का काम किया जा रहा है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि मनरेगा का नाम बदलना भाजपा की संकीर्ण सोच को दर्शाता है मनरेगा का सिर्फ नाम ही नहीं बदला, बल्कि इसकी गारंटी को भी सरकार ने खत्म कर दिया है। केंद्र सरकार देश से महात्मा गांधी की पहचान मिटाने का काम कर रही है। यही कारण है कि कांग्रेस के समय में शुरू मनरेगा योजना से उन्होंने महात्मा गांधी का नाम हटा दिया।
उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि मनरेगा का नाम बदलना देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का अपमान है। केंद्र सरकार को गांधी सरनेम से दिक्कत है, इसलिए मनरेगा का नाम बदला गया। यह कानून गरीबों को कुचलने और उन्हें दबाने के लिए है। मनरेगा सिर्फ योजना नहीं थी, यह अधिकारों का सिद्धांत था।
केंद्र सरकार की ओर से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम का नाम बदलने के विरोध में सोमवार को कांग्रेस ने शांतिपूर्ण सत्याग्रह किया। शिमला में रिज पर लगी महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू, उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष विनय कुमार समेत अन्य मंत्रियों और विधायकों ने शांतिपूर्वक धरना देकर विरोध दर्ज करवाया।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि भाजपा बदले की भावना के साथ-साथ बदलने की भावना से काम कर रही है। भाजपा सरकार देश के इतिहास से छेड़छाड़ कर रही है। कांग्रेस के शासनकाल में शुरू की गई जनकल्याणकारी योजनाओं को नाम बदलने के साथ उनमें संशोधन करके कमजोर करने का काम किया जा रहा है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि मनरेगा का नाम बदलना भाजपा की संकीर्ण सोच को दर्शाता है मनरेगा का सिर्फ नाम ही नहीं बदला, बल्कि इसकी गारंटी को भी सरकार ने खत्म कर दिया है। केंद्र सरकार देश से महात्मा गांधी की पहचान मिटाने का काम कर रही है। यही कारण है कि कांग्रेस के समय में शुरू मनरेगा योजना से उन्होंने महात्मा गांधी का नाम हटा दिया।
उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि मनरेगा का नाम बदलना देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का अपमान है। केंद्र सरकार को गांधी सरनेम से दिक्कत है, इसलिए मनरेगा का नाम बदला गया। यह कानून गरीबों को कुचलने और उन्हें दबाने के लिए है। मनरेगा सिर्फ योजना नहीं थी, यह अधिकारों का सिद्धांत था।
मनरेगा पर झूठ की राजनीति कर रही कांग्रेस, तथ्यों से भागकर धरने का ड्रामा: सतपाल सत्ती
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक सतपाल सिंह सत्ती ने शिमला के रिज मैदान पर कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा मनरेगा को लेकर किए गए धरने को पूरी तरह झूठ, भ्रम और राजनीतिक नौटंकी करार दिया है। सत्ती ने कहा कि कांग्रेस को जब शासन चलाना नहीं आता, तो वह तथ्यों को तोड़–मरोड़ कर जनता को गुमराह करने के लिए धरनों का सहारा लेती है।
सतपाल सत्ती ने कहा कि कांग्रेस यह झूठ फैला रही है कि मनरेगा को समाप्त किया जा रहा है, जबकि सच्चाई यह है कि केंद्र सरकार ने मनरेगा से भी आगे बढ़कर “विकसित भारत–रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण)” कानून लागू किया है, जिसमें ग्रामीण परिवारों को 100 नहीं बल्कि 125 दिन के रोजगार की गारंटी दी गई है। इसके लिए ₹1.51 लाख करोड़ से अधिक का प्रावधान किया गया है, जिसमें ₹95 हजार करोड़ से अधिक केंद्र सरकार का योगदान है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस यह बताने से क्यों डर रही है कि यूपीए सरकार के दौरान जहां 2006–07 से 2013–14 तक मनरेगा पर लगभग ₹2.13 लाख करोड़ खर्च हुए, वहीं एनडीए सरकार ने 2024–25 तक ₹8.53 लाख करोड़ से अधिक राशि खर्च कर लगभग दोगुना रोजगार सृजन किया है। यह आंकड़े कांग्रेस के झूठ और विफलता को उजागर करने के लिए काफी हैं।
सत्ती ने कहा कि कांग्रेस को अगर वाकई ग्रामीणों की चिंता होती, तो वह रिज पर धरना देने के बजाय राज्य में मनरेगा और अन्य योजनाओं के तहत समय पर मजदूरी भुगतान, काम की उपलब्धता और पंचायतों को अधिकार देने पर ध्यान देती। सच्चाई यह है कि हिमाचल में कांग्रेस सरकार की नाकामी को छिपाने के लिए केंद्र पर आरोप मढ़े जा रहे हैं।
उन्होंने कांग्रेस पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम का राजनीतिक दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए कहा कि जो पार्टी संसद में मर्यादाएं तार–तार करती है, कागज फाड़ती है, टेबलों पर चढ़ती है और लोकतंत्र को भीड़तंत्र में बदलने का प्रयास करती है, उसे गांधी जी के आदर्शों की दुहाई देने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।
सतपाल सत्ती ने कहा कि 'विकसित भारत के लिए विकसित गांव' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संकल्प है और नई योजना के तहत गांवों में जल संरक्षण, सड़क, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र, आंगनबाड़ी भवन, ड्रेनेज और आजीविका से जुड़े कार्यों को प्राथमिकता दी गई है। पंचायतों की ग्रेडिंग के आधार पर फंड आवंटन, मजदूरी में देरी पर अतिरिक्त भुगतान और कमजोर वर्गों के लिए विशेष प्रावधान इस बात का प्रमाण हैं कि केंद्र सरकार ग्रामीण भारत को सशक्त बनाने के लिए गंभीर है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का रिज मैदान पर धरना दरअसल राज्य सरकार की नाकामी, वित्तीय कुप्रबंधन और झूठे वादों से ध्यान भटकाने की असफल कोशिश है। हिमाचल की जनता अब कांग्रेस के झूठ को समझ चुकी है और समय आने पर इसका करारा जवाब देगी।
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक सतपाल सिंह सत्ती ने शिमला के रिज मैदान पर कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा मनरेगा को लेकर किए गए धरने को पूरी तरह झूठ, भ्रम और राजनीतिक नौटंकी करार दिया है। सत्ती ने कहा कि कांग्रेस को जब शासन चलाना नहीं आता, तो वह तथ्यों को तोड़–मरोड़ कर जनता को गुमराह करने के लिए धरनों का सहारा लेती है।
सतपाल सत्ती ने कहा कि कांग्रेस यह झूठ फैला रही है कि मनरेगा को समाप्त किया जा रहा है, जबकि सच्चाई यह है कि केंद्र सरकार ने मनरेगा से भी आगे बढ़कर “विकसित भारत–रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण)” कानून लागू किया है, जिसमें ग्रामीण परिवारों को 100 नहीं बल्कि 125 दिन के रोजगार की गारंटी दी गई है। इसके लिए ₹1.51 लाख करोड़ से अधिक का प्रावधान किया गया है, जिसमें ₹95 हजार करोड़ से अधिक केंद्र सरकार का योगदान है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस यह बताने से क्यों डर रही है कि यूपीए सरकार के दौरान जहां 2006–07 से 2013–14 तक मनरेगा पर लगभग ₹2.13 लाख करोड़ खर्च हुए, वहीं एनडीए सरकार ने 2024–25 तक ₹8.53 लाख करोड़ से अधिक राशि खर्च कर लगभग दोगुना रोजगार सृजन किया है। यह आंकड़े कांग्रेस के झूठ और विफलता को उजागर करने के लिए काफी हैं।
सत्ती ने कहा कि कांग्रेस को अगर वाकई ग्रामीणों की चिंता होती, तो वह रिज पर धरना देने के बजाय राज्य में मनरेगा और अन्य योजनाओं के तहत समय पर मजदूरी भुगतान, काम की उपलब्धता और पंचायतों को अधिकार देने पर ध्यान देती। सच्चाई यह है कि हिमाचल में कांग्रेस सरकार की नाकामी को छिपाने के लिए केंद्र पर आरोप मढ़े जा रहे हैं।
उन्होंने कांग्रेस पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम का राजनीतिक दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए कहा कि जो पार्टी संसद में मर्यादाएं तार–तार करती है, कागज फाड़ती है, टेबलों पर चढ़ती है और लोकतंत्र को भीड़तंत्र में बदलने का प्रयास करती है, उसे गांधी जी के आदर्शों की दुहाई देने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।
सतपाल सत्ती ने कहा कि 'विकसित भारत के लिए विकसित गांव' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संकल्प है और नई योजना के तहत गांवों में जल संरक्षण, सड़क, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र, आंगनबाड़ी भवन, ड्रेनेज और आजीविका से जुड़े कार्यों को प्राथमिकता दी गई है। पंचायतों की ग्रेडिंग के आधार पर फंड आवंटन, मजदूरी में देरी पर अतिरिक्त भुगतान और कमजोर वर्गों के लिए विशेष प्रावधान इस बात का प्रमाण हैं कि केंद्र सरकार ग्रामीण भारत को सशक्त बनाने के लिए गंभीर है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का रिज मैदान पर धरना दरअसल राज्य सरकार की नाकामी, वित्तीय कुप्रबंधन और झूठे वादों से ध्यान भटकाने की असफल कोशिश है। हिमाचल की जनता अब कांग्रेस के झूठ को समझ चुकी है और समय आने पर इसका करारा जवाब देगी।