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DeepFake: यूएई में रह रहे रिश्तेदार के बेटे की आवाज में प्रिंसिपल को आया फोन, ठगों ने लूट लिए डेढ़ लाख रुपये

देवेंद्र ठाकुर, अमर उजाला नेटवर्क, शिमला Published by: अंकेश डोगरा Updated Sat, 07 Dec 2024 05:00 AM IST
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सार

ऑडियो डीपफेक लोगों से ठगी करने का हाईटेक तरीका बन गया है। साइबर ठग उन्नत मशीन लर्निंग तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। इसमें वाइस क्लोनिंग की मदद भी लेते हैं। जानें विस्तार से खबर में।

DeepFake Principal received a call in the voice of a relative son living in UAE thugs looted 1.5 lakh rupees
सांकेतिक तस्वीर। - फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
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आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस (एआई) ने जहां लोगों की जिंदगी आसान कर दी है, वहीं इसकी मदद से साइबर ठग लोगों को धोखाधड़ी का शिकार भी बना रहे हैं। इसमें ऑडियो डीपफेक लोगों से ठगी करने का हाईटेक तरीका बन गया है। इसमें साइबर ठग उन्नत मशीन लर्निंग तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। इसमें वाइस क्लोनिंग की मदद भी लेते हैं। इसमें साइबर ठग किसी भी व्यक्ति के वायस सैंपल एकत्रित करने के बाद डीप एल्गोरिदम का इस्तेमाल करते हैं। हाल ही में साइबर क्राइम सेल के पास ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें डीपफेक ऑडियो का इस्तेमाल करके प्रिंसिपल से डेढ़ लाख रुपये की ठगी को अंजाम दिया गया।

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शिकायतकर्ता के मुताबिक उसे यूएई में रह रहे रिश्तेदार के बेटे की आवाज में फोन आया। बताया गया कि उसे पुलिस ने वहां पर गिरफ्तार कर लिया है और छोड़ने के एवज में डेढ़ लाख रुपये मांग रहे हैं। आवाज पर भरोसा करके प्रदेश में रहने वाले एक व्यक्ति ने रकम ठगों के बताए अकाउंट में डाल दी। इसके बाद जब उन्होंने रिश्तेदार को फोन करके इस बारे में बताया तो पता चला कि उनका बेटा तो उनके पास ही बैठा है। इसके बाद उन्होंने मामले की सूचना साइबर क्राइम सेल को दी। न्होंने लोगों को इस तरह की कॉल से सावधान रहने की अपील की है। ऐसा होने पर लोगों से फौरन साइबर क्राइम सेल के हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करने का आग्रह किया है। साइबर क्राइम सेल के मुताबिक लोग ठगी होने के बाद पुलिस संपर्क करते हैं, लेकिन उन्हें किसी भी प्रकार का शक होने पर पैसे ट्रांसफर करने से पहले ही संपर्क करना चाहिए।

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ऐसे ठगी का शिकार हो रहे लोग
डीपफेक ऑडियो के जरिये ठगी करने के लिए साइबर ठग आपके वाइस सैंपल का इस्तेमाल करते हैं। इसमें मशीन लर्निंग जनरेटिव एआई का इस्तेमाल किया जाता है। इसकी मदद से व्यक्ति को लकर मुसीबत में फंसे होने, बीमार होने या घायल होने का अहसास हो सकता है। इसी का फायदा उठाकर लोगों को अहसास होता है कि उनका अपना किसी मुसीबत में है और उन्हें उनकी मदद करनी चाहिए।

कैसे बनते हैं डीपफेक?
डीपफेक दो नेटवर्क की मदद से बनता है जिनमें एक इनकोडर होता है और दूसरा डीकोडर नेटवर्क होता है। इनकोडर नेटवर्क सोर्स कंटेंट (असली वीडियो) को एनालाइज करता है और फिर डाटा को डीकोडर नेटवर्क को भेजता है। उसके बाद फाइनल आउटपुट निकलता है जो कि हूबहू असली जैसा है लेकिन वास्तव में वह फेक होता है। इसके लिए सिर्फ एक वीडियो या वीडियो की जरूरत होती है। डीपफेक के लिए कई वेबसाइट्स और एप हैं जहां लोग डीपफेक वीडियोज बना रहे हैं। 

डीपफेक ऑडियो मशीन लर्निंग जनरेटिव एआई की मदद से साइबर ठगों का धोखाधड़ी करने का नया तरीका है। इससे बचने के लिए लोगों को सलाह दी जाती है कि किसी भी प्रकार के मुसीबत में फंसे होने की कॉल आने पर पहले उसकी पूरी तरह से जांच कर लें। अगर भ्रमित हो रहे हैं तो हेल्पलाइन नंबर 1930 पर भी कॉल कर सकते हैं। हमारे विशेषज्ञ लोगों की मदद के लिए हर समय तैयार रहते हैं। हाल ही में डीपफेक ऑडियो के जरिये एक प्रिंसिपल से धोखाधड़ी का मामला सामने आया है- मोहित चावला, डीआईजी साइबर क्राइम

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