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Hamirpur (Himachal) News: मानवता के लिए बिल नहीं, लोगों ने खोले अपने दिल
संवाद न्यूज एजेंसी, हमीरपुर (हि. प्र.)
Updated Thu, 13 Nov 2025 06:14 AM IST
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कुल्लू। फेफड़े की गंभीर बीमारी से जूझ रहे जटेहड़ बिहाल कटराईं के 54 वर्षीय सालगी राम की मदद के लिए लोगों ने अपने दिल खोल दिए हैं और उनकी मदद के लिए आगे आने लगे हैं। सालगी राम का 2016 में एक फेफड़ा ऑपरेशन कर निकाला जा चुका है। अब इंफेक्शन से जूझ रहे हैं। उनके लिए सरकारी मदद अब कागजी बिल की बाधाओं में फंस गई है।
एक तरफ जहां उन्होंने अपने उपचार के लिए जमीन बेच दी है और अब घर नीलाम होने की कगार पर है, वहीं दूसरी ओर जिला रेड क्रॉस सोसायटी बिना बिल जमा किए मदद देने के लिए तैयार नहीं है। सालगई राम ने सोसायटी के सामने तर्क दिया कि उनके पास डॉक्टर से उपचार की एंट्री बुक मौजूद है, जिसमें दवाइयों और उपचार का सारा रिकॉर्ड दर्ज है, लेकिन बिल गुम हो गए हैं।
इसके बावजूद रेड क्रॉस सोसायटी ने मदद करने से मना कर दिया और उन्हें शिमला जाकर डुप्लीकेट बिल लाने के लिए कहा है, जो बीमार और कमाने में असमर्थ व्यक्ति के लिए एक बड़ी चुनौती है। जहां रेड क्रॉस सोसायटी ने नियम का हवाला देकर मदद रोक दी है। अमर उजाला में यह समाचार छपने के बाद आम जनता ने मानवता का परिचय देते हुए तत्काल राहत देना शुरू कर दिया है।
लोगों ने ऑनलाइन माध्यमों से 50 से लेकर 2,000 तक की छोटी-बड़ी आर्थिक मदद भेजनी शुरू कर दी है। इस ऑनलाइन माध्यम से सालगी राम को एक ही दिन में 10,000 की सहायता मिल चुकी है। सालगई राम का कहना है कि लोगों के खुले दिल से कुछ हद तक आर्थिक मदद मिलनी शुरू हुई है, लेकिन फेफड़े की गंभीर बीमारी के उपचार के लिए यह राशि पर्याप्त नहीं है। उन्हें उम्मीद है कि रेड क्रॉस सोसायटी अपने नियमों में नरमी लाकर जल्द ही उनकी सहायता करेगी।
नियमों के तहत की जाती है मदद
उधर, रेड क्रॉस सोसायटी के सचिव वीके मोदगिल ने कहा है कि सोसायटी से मदद लेने के लिए मरीज को नियमानुसार उपचार बिल, आय प्रमाण पत्र और आधार कार्ड सहित अन्य दस्तावेज जमा करने होते हैं। यदि ये तमाम चीजें मरीज द्वारा जमा की जाती हैं तो उन्हें नियमों के तहत मदद की जा सकती है।
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एक तरफ जहां उन्होंने अपने उपचार के लिए जमीन बेच दी है और अब घर नीलाम होने की कगार पर है, वहीं दूसरी ओर जिला रेड क्रॉस सोसायटी बिना बिल जमा किए मदद देने के लिए तैयार नहीं है। सालगई राम ने सोसायटी के सामने तर्क दिया कि उनके पास डॉक्टर से उपचार की एंट्री बुक मौजूद है, जिसमें दवाइयों और उपचार का सारा रिकॉर्ड दर्ज है, लेकिन बिल गुम हो गए हैं।
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इसके बावजूद रेड क्रॉस सोसायटी ने मदद करने से मना कर दिया और उन्हें शिमला जाकर डुप्लीकेट बिल लाने के लिए कहा है, जो बीमार और कमाने में असमर्थ व्यक्ति के लिए एक बड़ी चुनौती है। जहां रेड क्रॉस सोसायटी ने नियम का हवाला देकर मदद रोक दी है। अमर उजाला में यह समाचार छपने के बाद आम जनता ने मानवता का परिचय देते हुए तत्काल राहत देना शुरू कर दिया है।
लोगों ने ऑनलाइन माध्यमों से 50 से लेकर 2,000 तक की छोटी-बड़ी आर्थिक मदद भेजनी शुरू कर दी है। इस ऑनलाइन माध्यम से सालगी राम को एक ही दिन में 10,000 की सहायता मिल चुकी है। सालगई राम का कहना है कि लोगों के खुले दिल से कुछ हद तक आर्थिक मदद मिलनी शुरू हुई है, लेकिन फेफड़े की गंभीर बीमारी के उपचार के लिए यह राशि पर्याप्त नहीं है। उन्हें उम्मीद है कि रेड क्रॉस सोसायटी अपने नियमों में नरमी लाकर जल्द ही उनकी सहायता करेगी।
नियमों के तहत की जाती है मदद
उधर, रेड क्रॉस सोसायटी के सचिव वीके मोदगिल ने कहा है कि सोसायटी से मदद लेने के लिए मरीज को नियमानुसार उपचार बिल, आय प्रमाण पत्र और आधार कार्ड सहित अन्य दस्तावेज जमा करने होते हैं। यदि ये तमाम चीजें मरीज द्वारा जमा की जाती हैं तो उन्हें नियमों के तहत मदद की जा सकती है।