हिमाचल प्रदेश: एम्स बिलासपुर में सांस के रोगियों को मिलेगा हाईटेक उपचार, जानें प्रणाली की विशेषताएं और उपयोग
एम्स बिलासपुर में एनेस्थीसिया और इमरजेंसी मेडिसिन विभाग में प्रदेश की पहली उन्नत डिफिकल्ट एयरवे मैनेजमेंट ट्रेनिंग एंड इवैल्यूएशन सिस्टम स्थापित की जाएगी। यह प्रणाली मुख्य रूप से एनेस्थीसिया विभाग और इमरजेंसी मेडिसिन विभाग में उपयोग में लाई जाएगी। जानें सबकुछ विस्तार से...
विस्तार
एम्स बिलासपुर स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक सुरक्षित, आधुनिक और विश्वस्तरीय बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रहा है। संस्थान के एनेस्थीसिया और इमरजेंसी मेडिसिन विभाग में प्रदेश की पहली उन्नत डिफिकल्ट एयरवे मैनेजमेंट ट्रेनिंग एंड इवैल्यूएशन सिस्टम स्थापित की जाएगी। यह अत्याधुनिक सिम्युलेटर-आधारित प्रणाली जटिल श्वसन और कठिन इंट्यूबेशन मामलों में डॉक्टरों की दक्षता बढ़ाएगी। वहीं, गंभीर मरीजों के उपचार में जोखिम कम होगा और जीवन रक्षा की संभावना बढ़ेगी।
यह हाई-टेक प्रणाली मुख्य ऑपरेशन थिएटर (ओटी) कॉम्प्लेक्स के समीप एक समर्पित ट्रेनिंग एरिया में स्थापित की जाएगी, ताकि एनेस्थीसिया और इमरजेंसी विभाग के चिकित्सकों, रेजिडेंट्स और नर्सिंग स्टाफ को आसानी से प्रशिक्षण मिल सके। जानकारी के अनुसार, निविदा प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और इस परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 4.78 करोड़ रुपये है। सभी औपचारिकताओं के बाद यह सुविधा जल्द ही कार्यरत हो जाएगी।
यह प्रणाली विशेष रूप से उन मरीजों के लिए उपयोगी है, जिन्हें सांस की नली डालने में कठिनाई होती है, जैसे कि अत्यधिक वजन वाले मरीज। इसमें एक लचीला ब्रोंकोस्कोप होता है जिसकी सहायता से सांस की नली आसानी से डाली जा सकती है। इसमें कैमरा लगा होता है, जो डॉक्टर को प्रक्रिया के दौरान सटीक मार्गदर्शन प्रदान करता है। यह एक पूरी ट्रॉली के रूप में आती है, जिसमें सीखने के लिए सिम्युलेटर और इलाज के लिए आवश्यक सभी उपकरण शामिल होते हैं।
हिमाचल प्रदेश में फिलहाल किसी भी अस्पताल में इस स्तर की सिम्युलेटर-आधारित डिफिकल्ट एयरवे मैनेजमेंट प्रणाली उपलब्ध नहीं है। एम्स बिलासपुर में इसकी शुरुआत से दूर-दराज के क्षेत्रों के मरीजों को स्थानीय स्तर पर विश्वस्तरीय इलाज मिलेगा। आपातकालीन परिस्थितियों में सफलता दर में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। मेडिकल शिक्षा और स्टाफ ट्रेनिंग का स्तर और ऊंचा होगा। यह हाई-टेक श्वसन प्रबंधन प्रणाली एनेस्थीसिया और इमरजेंसी विभाग की क्षमताओं को कई गुना बढ़ा देगी, जिससे ऑपरेशन थिएटर और आईसीयू में गंभीर मरीजों के इलाज में जोखिम काफी हद तक कम हो जाएगा।