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Shimla IGMC Assault Case: हिमाचल में डॉक्टर सामूहिक अवकाश पर, OPD सेवाएं प्रभावित; टर्मिनेशन रद्द करने की मांग

अमर उजाला ब्यूरो, शिमला। Published by: अंकेश डोगरा Updated Fri, 26 Dec 2025 03:37 PM IST
सार

Himachal Doctor Strike: इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में डॉ. राघव की बर्खास्तगी के फैसले ने प्रदेश के डॉक्टर संगठनों को आमने-सामने ला दिया है। गुस्साए चिकित्सक संगठनों ने शुक्रवार को एक दिन का सामूहिक अवकाश करने का निर्णय लिया है। ऐसे में ओपीडी सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। पढ़ें पूरी खबर...

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IGMC Shimla assault case Doctors go on mass leave OPD services affected
डॉक्टर के अवकाश पर रहने से ओपीडी सेवाएं प्रभावित। - फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
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विस्तार
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आईजीएमसी शिमला में मरीज से मारपीट पर आरोपी डॉक्टर को बर्खास्त करने के बाद यह मामला गरमा गया है। गुस्साए चिकित्सक संगठनों ने वीरवार को बैठकें कर शुक्रवार को एक दिन का सामूहिक अवकाश करने का निर्णय लिया है। मांगें न मानने पर शनिवार से हड़ताल पर जाने का एलान किया है। अपनी मांगों को लेकर शनिवार को सुबह रेजिडेंट डॉक्टर मुख्यमंत्री सुक्खू से मिलेंगे। उन्होंने मांगें न मानने पर अपने इस निर्णय पर अडिग रहने की घोषणा की।

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मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने हड़ताल वापस ले ली है। रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन आईजीएमसी शिमला के अध्यक्ष सोहिल शर्मा ने कहा कि हम आज यहां आने और हमारी शिकायतों को विस्तार से सुनने के लिए मुख्यमंत्री का धन्यवाद करते हैं। हमने डॉ. राघव नरूला के बारे में अपनी मांग रखी, जिनके लिए मुख्यमंत्री के आश्वासन के अनुसार जांच की जाएगी। मुख्यमंत्री ने अस्पताल में घुसकर डॉक्टरों को धमकाने वाली भीड़ के खिलाफ कार्रवाई का भी वादा किया है। इसके अलावा, डॉक्टरों की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए संशोधित गाइडलाइंस जारी की गई हैं।
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आईजीएमसी में 22 दिसंबर को डॉक्टर और मरीज के बीच हुई मारपीट मामले में सरकार ने सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर राघव नरूला की सेवा समाप्ति के आदेश दिए। यह कार्रवाई मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के सख्त रुख के बाद की गई। जिसके खिलाफ डॉक्टर संगठनों ने मोर्चा खोला है। डॉक्टर संगठनों का कहना है कि डॉ. राघव नरूला की सेवा समाप्ति का आदेश अन्यायपूर्ण है और इसे तुरंत प्रभाव से वापस लिया जाना चाहिए।




सामूहिक अवकाश के चलते अस्पतालों में सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। हालांकि, आपातकालीन सेवाएं जारी हैं। डीडीयू शिमला में ओपीडी सेवा बंद है, जबकि इमरजेंसी सेवाएं मरीजों को मिल रही हैं। आईजीएमसी शिमला की बात करें तो यहां सिर्फ भी इमरजेंसी सेवाएं चल रही हैं और ओपीडी सेवाएं बंद हैं। जबकि यहां कंसल्टेंट अपनी सेवाएं दे रहे हैं। 

डॉक्टरों की हड़ताल के चलते धर्मशाला अस्पताल में भी ओपीडी सेवाएं बंद
हिमाचल प्रदेश में डॉक्टरों की हड़ताल के चलते धर्मशाला अस्पताल में भी ओपीडी सेवाएं बंद रहीं। जिसके चलते मरीजों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा। कोई भी डॉक्टर सुबह से ओपीडी में नहीं बैठा।

नरेश दास्टा ने दी धमकी
आरडीए के अध्यक्ष डॉ. सोहेल शर्मा ने आरोप लगाया कि डॉ. राघव को जान से मारने और देश छोड़ने की धमकी दी गई है। उन्होंने दावा किया कि यह धमकी नरेश दास्टा नामक व्यक्ति ने दी है। एसोसिएशन ने मांग उठाई कि धमकी मामले में तुरंत एफआइआर दर्ज की जाए। एसोसिएशन ने यह भी आरोप लगाया कि आइजीएमसी परिसर में भीड़ ने डॉक्टरों को धमकाया। इससे अस्पताल की कार्यप्रणाली प्रभावित हुई। अस्पताल परिसर में सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप भी लगाया है

चिकित्सक के पक्ष में उतरे कुल्लू के डॉक्टर, निष्पक्ष जांच की मांग
आईजीएमसी में मरीज और चिकित्सक मामले में कुल्लू के डॉक्टर्स भी पक्ष में उतर आए हैं। क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू में डॉक्टर हड़ताल पर रहे। अस्पताल में डॉक्टरों ने ओपीडी में सेवाएं नहीं दी। चिकित्सकों ने शुक्रवार को अस्पताल परिसर में गेट मीटिंग की। वहीं, चिकित्सक एशोसिएशन के अध्यक्ष राजेन्द्र कोहली ने कहा आईएमजीसी के चिकित्सक को जिस पद हटाया गया है वो गलत है। इस मामले में निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।

सामूहिक अवकाश पर चिकित्सक, बेहाल मरीज
सोलन क्षेत्रीय अस्पताल समेत जिले के अस्पतालों में चिकित्सक सामूहिक अवकाश पर होने से मरीजों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हालात ये हैं कि सुबह मरीजों को चिकित्सकों के सामूहिक अवकाश की जानकारी नहीं थी। ऐसे में दूर दराज क्षेत्रों से आने वाले मरीजों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी है। बता दें कि आईजीएमसी शिमला में रेजिडेंट चिकित्सक डॉ. राघव के बर्खास्त करने का मुद्दा गरमाता जा रहा है।

डॉक्टर राघव निरुला को नौकरी से बर्खास्त करने के खिलाफ आक्रोश
आईजीएमसी शिमला अस्पताल में डॉक्टर व मरीज मारपीट मामले में डॉक्टर राघव नरूला को सरकार और विभाग ने टर्मिनेट कर दिया गया है। इस सख्त  कार्रवाई के खिलाफ पांवटा क्षेत्र में दोपहर तक बाजार बंद रखा गया है। बाल्मीकि चौक से मुख्य बाजार होकर गीता भवन तक सरकार के इस फैसला के खिलाफ रोष प्रदर्शन निकाला गया। प्रदर्शन में स्थानीय विधायक सुखराम चौधरी भी शामिल हुए। इसके बाद एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश को ज्ञापन भेज दिया गया है। जिसमें डॉक्टर को फिर से बहाल करने की मांग रखी गई है।

वहीं, विपक्ष के नेता और बीजेपी नेता जयराम ठाकुर ने कहा कि रिपोर्ट आने के बाद सरकार ने कार्रवाई की है। ऐसी घटनाएं नहीं होनी चाहिए। ऐसी घटनाओं को रोकने के नजरिए से, यह बहुत जरूरी है कि आने वाले समय में कुछ काम किया जाए।
 

बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा कि मरीज को थप्पड़ मारने के लिए नौकरी से निकाले गए आईजीएमसी के डॉक्टर को वापस नौकरी पर रखने की मांग पर कहा कि जांच और कार्रवाई होनी चाहिए।
 

सामने आई आरोपी डॉक्टर राघव की मां, निष्पक्ष जांच की उठाई मांग
इसी बीच बर्खास्त किए गए डॉक्टर राघव नरूला की मां भी सामने आई हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी बच्चा अपने मां बाप के बारे में कुछ गलत नहीं सुन सकता। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल ने बिना पूरी बात सुने मेरे बेटे को गुंडा कहा। राघव की मां ने पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करने की मांग की है। 

खनेरी अस्पताल में सुनसान पड़ी रही ओपीडी
आईजीएमसी में मरीज और डॉक्टर के बीच हुए विवाद के बाद प्रदेश भर में स्वास्थ्य सुविधाएं प्रभावित हुई हैं। शुक्रवार को प्रदेश भर में डॉक्टरों के सामूहिक अवकाश पर जाने से मरीजों को खासी परेशानियां झेलनी पड़ी। रामपुर स्थित चार जिलों के मुख्य अस्पताल खनेरी में शुक्रवार को मरीज तो अस्पताल पहुंचे, लेकिन डॉक्टर न मिलने से उन्हें मायूस वापस लौटना पड़ा। अस्पताल की आपातकाल ओपीडी में मरीज कतारों में उपचार के लिए खड़े रहे।



आईजीएमसी शिमला में मरीज और डॉक्टर के बीच हुई हाथापाई का मामला अब तूल पकड़ने लगा है। डॉक्टर के खिलाफ हुई कार्रवाई के विरोध में शुक्रवार को प्रदेश भर के अस्पतालों में तैनात डॉक्टरों ने एक दिन का सामूहिक अवकाश किया। रामपुर के विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में तैनात चिकित्सकों ने भी प्रदेशव्यापी आह्वान के चलते अवकाश का समर्थन किया। चार जिलों के मुख्य अस्पताल में खनेरी में विभिन्न क्षेत्रों अस्पताल पहुंचे मरीजों को खासी परेशानियां झेलनी पड़ी। अस्पताल में सुबह से ही मरीजों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया, लेकिन मरीजों को डॉक्टरों के अवकाश पर जाने की जानकारी न होने के कारण उनकी जांच नहीं हो पाई। दूर दराज और दुर्गम क्षेत्रों से उपचार के लिए अस्पताल पहुंचे मरीज यहां वहां भटकते दिखे।

डॉक्टरों के अवकाश के कारण अस्पताल की सभी ओपीडी बंद रही और यहां पूरी तरह से सन्नाटा पसरा रहा। सैकड़ों मरीजों को उपचार के बिना वापस लौटना पड़ा। हालांकि अस्पताल में आपात सेवाएं जारी रही, लेकिन यहां तैनात डॉक्टर पर भी मरीजों की अधिक संख्या होने पर कार्य का बोझ बढ़ा रहा। मरीज यहां कतारों में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करते नजर आए। अस्पताल पहुंचने वाले अधिकांश लोगों को डॉक्टरों के अवकाश की जानकारी ही नहीं थी, जिस कारण उन्हें दिक्कतों से दो चार होना पड़ा। बुजुर्ग और बच्चों को सबसे अधिक परेशानियां पेश आई।

विभिन्न बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को उपचार न मिलने से उनके तीमारदारों में भी रोष दिखा। बताया जा रहा है कि शनिवार से अस्पताल में व्यवस्था पटरी पर लौट जाएगी। डॉक्टर और मरीज के बीच पेश आया मारपीट का मामला अब क्षेत्र के हजारों मरीजों की परेशानियों का सबब बनता जा रहा है। अस्पताल पहुंची बुजुर्ग महिला रामी देवी, नरैण से पहुंचे संदीप कुमार, यशवंत सिंह, रामेश्वर सिंह, राजेश कुमार, कुलदीप, राहुल सहित अन्य लोगों ने कहा कि अस्पताल पहुंचने पर उन्हें डॉक्टर के अवकाश पर जाने की जानकारी मिली। डॉक्टर न मिलने के कारण उन्हें बिना उपचार के वापस लौटना पड़ा।
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