Himachal Disaster: मंडी जिले की सराज घाटी के कई गांव तबाह, घर जमींदोज, बीस हजार आबादी पर विस्थापन का संकट
Himachal Disaster: हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी के सराज के कई गांवों को बसाना लगभग असंभव-सा हो गया है। कई क्षेत्रों में घर नालों में आई बाढ़ में बह गए। पढ़ें पूरी खबर...

विस्तार
सराज में आसमान से बरसी आफत ने कई गांवों को तबाह कर प्रभावितों को ताउम्र न भूलने वाले जख्म दे दिए हैं। सब कुछ इस आपदा में खोने वाले प्रभावितों को अब विस्थापन का डर सता रहा है। सराज के कई गांवों को बसाना लगभग असंभव-सा हो गया है। बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने की घटनाओं ने वैयोड़, लांबशाफड, देजी, रूशाड़गाड़ और अन्य गांवों को पूरी तरह उजाड़ दिया। यहां कभी हरियाली के बीच खुशहाल जीवन था, लेकिन अब हर तरफ मलबे के ही ढेर नजर आ रहे हैं। ऐसा लगता है कि कभी यहां बस्ती तक न हो।

थुनाग बाजार, लांब, केल्टी, रोपा, उंधीगाड़, कुथाह, लस्सी चिऊणी, शिवा खड्ड, चैड़ाखड्ड, लंबाथाच, शरण जैसे क्षेत्रों में घर नालों में आई बाढ़ में बह गए। बाखली, कुकलाह, जरोल, पांडवशीला, चैड़ाखड्ड, शिवा खड्ड, खबलेच, जैंशला, ढीम कटारू, तुंगाधार, पखरैर, बगस्याड, शिकावरी, ब्रेयोगी, गतू, मैहरीधार, रूहमणी और काकड़धार जैसे क्षेत्रों में खतरा बरकरार है। करीब 20 हजार लोग विस्थापन के कगार पर हैं। सराज की 38 पंचायतों के 129 राजस्व गांवों में रहने वाली 80 हजार आबादी इस आपदा की चपेट में है। भूस्खलन और बाढ़ ने मकान, स्कूल, गोशालाएं और खेतों को मलबे में बदल दिया। अब सराज में जीवन यापन जोखिम भरा हो गया है। लोग सुरक्षित स्थानों या रिश्तेदारों के पास पलायन कर रहे हैं।
बाखली खड्ड, देजी खड्ड, रूहाड़ागाड़, चिमटी खड्ड, तीर्थन खड्ड, घुमराला नाला और चिऊणी खड्ड ने इस आपदा में विकराल रूप दिखाया और चपेट में आने वाली हर चीज को अपना साथ ले गए। सराज के अधिकांश गांव नालों, खड्डों और छोटी पहाड़ियों के किनारे बसे हैं। जो अब बाढ़ और भूस्खलन की चपेट में आ चुके हैं। थुनाग बाजार पिछले तीन साल से मानसून की मार झेल रहा है, इस बार भी तबाही से नहीं बच सका।
देजी गांव के प्रभावित जालम सिंह, सोहन सिंह, नंद लाल, मस्त राम व अन्य ने बताया कि आपदा में गांव पूरी तरह खत्म हो गया है। यहां दोबारा बसना मुश्किल हो है। रूशाड़गाड़ गांव के प्रभावित इंद्र सिंह, दलवीर, और गोकुल चंद ने बताया कि यहां अब रहना खतरे से खाली नहीं है। थुनाग के प्रेम सिंह ने बताया कि यहां चार पीढि़यों से रह रहे हैं। आपदा में मकान बह गया है। अब कहां रहेंगे।
हिमालय नीति अभियान के गुमान सिंह ने इस आपदा को मानव-निर्मित करार देते हुए कहा कि नाजुक मिट्टी और कमजोर स्टाटा वाले सराज में अवैज्ञानिक निर्माण और अवैध रेत खनन ने खतरे को बढ़ाया। उन्होंने देजी-पखरैर की तबाही का 60 फीसदी जिम्मेदार मानवीय गतिविधियों को ठहराया। उनका कहना है कि यह आपदा प्रकृति की चेतावनी है।
आठ जुलाई तक सरकारी आंकड़ों के अनुसार जिलेभर में इस त्रासदी से कुल 1183 घर, 710 गोशालाएं, 780 पशु हानि और 201 दुकानों को क्षति पहुंची है। अकेले थुनाग उपमंडल में 959 मकान, 395 गोशालाएं, 559 पशु हानि, 190 दुकानों को क्षति पहुंची है। अब तक कुल 290 फंसे हुए लोगों को रेस्क्यू किया जा चुका है।
धर्मपुर के लौंगणी पंचायत का स्याठी गांव 30 जून रात को आपदा से पूरी तरह तबाह हो गया है। यहां 27 घर पूर्णत, 11 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए। इसके साथ ही 38 गोशाला पूरी और 12 गोशालांए आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुई हैं। इसमें 76 पशुओं की हानी हुई है। मौजूदा समय में पूरा गांव मलबे के ढेर में तब्दील है और यहां पुनः बसना अब संभव न रहा है। जय सिंह, कृष्ण, दीप कुमार, देशराज, रजनीश, हल्कू व अन्य ने कहा कि गांव की हालत देखकर डर लग रहा है। पूरा गांव मलबे की ढेर में बदल चुका है। यहां अब दोबारा बसना सपने में भी नहीं सोच सकते हैं। सरकार दूसरी जगह जमीन उपलब्ध करवाए।