Himachal News: 395 करोड़ रुपये से चीन शासित तिब्बत सीमा के गांवों में थमेगा पलायन
वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत हिमाचल सरकार ने इस वर्ष दो बार परियोजनाओं की शेल्फ केंद्र सरकार को भेजी है। पहले चरण में 160 करोड़ रुपये की शेल्फ भेजी गई थी, जबकि अब 235 करोड़ रुपये की ताजा शेल्फ केंद्र को प्रेषित की गई है। पढ़ें पूरी खबर...
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चीन शासित तिब्बत सीमा से सटे सीमावर्ती गांवों में लगातार हो रहे पलायन को रोकने के लिए केंद्र सरकार की वाइब्रेंट विलेज योजना में हिमाचल को 395 करोड़ रुपये की केंद्रीय मदद मिल सकती है। इस योजना में सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं को मजबूत कर लोगों को गांवों में ही बेहतर जीवन और रोजगार उपलब्ध कराने का लक्ष्य तय किया गया है। इसी कड़ी में राज्य सरकार ने इस वर्ष दो बार परियोजनाओं की शेल्फ केंद्र सरकार को भेजी है। पहले चरण में 160 करोड़ रुपये की शेल्फ भेजी गई थी, जबकि अब 235 करोड़ रुपये की ताजा शेल्फ केंद्र को प्रेषित की गई है। इस तरह कुल 395 करोड़ रुपये की विकास योजनाएं प्रस्तावित की गई हैं।
इन प्रस्तावों का मकसद सीमा से सटे गांवों को सुविधाओं से लैस कर उन्हें रहने योग्य, सुरक्षित और आत्मनिर्भर बनाना है। दुर्गम इलाकों में सड़क, पेयजल, स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के अवसरों की कमी के कारण लोग वर्षों से मैदानी क्षेत्रों की ओर पलायन कर रहे हैं। वाइब्रेंट विलेज योजना को इसी समस्या का स्थायी समाधान माना जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि पहले चरण में 160 करोड़ रुपये की शेल्फ भेजकर प्राथमिक जरूरतों से जुड़ी परियोजनाओं को शामिल किया गया था।
इसके बाद विस्तृत आकलन और स्थानीय स्तर से मिले सुझावों के आधार पर दूसरी शेल्फ तैयार की गई, जिसकी लागत 235 करोड़ रुपये है। ताजा शेल्फ में अतिरिक्त गांवों को शामिल करने के साथ-साथ कुछ नई योजनाओं को भी जोड़ा गया है। दोनों शेल्फ मिलाकर सीमावर्ती क्षेत्रों के समग्र विकास की मजबूत रूपरेखा तैयार की गई है। वाइब्रेंट विलेज योजना केंद्र सरकार की योजना है, जिसकी शुरुआत वर्ष 2022-23 में की गई थी। इसके तहत सीमाई क्षेत्रों में सड़क और कनेक्टिविटी, पेयजल और स्वच्छता, स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा, बिजली और डिजिटल सुविधा, आजीविका और पर्यटन जैसे कार्यों पर फोकस किया जा रहा है।
इन योजनाओं के लागू होने से लोगों को बुनियादी सुविधाओं के लिए गांव छोड़ने की मजबूरी नहीं रहेगी। सड़क और डिजिटल कनेक्टिविटी सुधरने से शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के नए अवसर गांवों तक पहुंचेंगे। पर्यटन और स्थानीय रोजगार से युवाओं को आय के साधन मिलेंगे, जिससे वे अपने गांव में ही टिके रह सकेंगे। वाइब्रेंट विलेज योजना का राष्ट्रीय सुरक्षा से भी सीधा संबंध है। सीमावर्ती गांवों में आबादी बनी रहने से सीमा क्षेत्रों में मानवीय उपस्थिति मजबूत होती है। यह न केवल स्थानीय संस्कृति और जीवनशैली को बचाने में मददगार है, बल्कि सीमा सुरक्षा की दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है। अतिरिक्त मुख्य सचिव जनजातीय विकास ओंकार शर्मा ने बताया कि पहले 160 करोड़ की शेल्फ केंद्र को भेजी गई थी। अब 235 करोड़ रुपये की नई शेल्फ भेजी गई है।