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अमर उजाला ग्राउंड रिपोर्ट: सूख रहीं बावड़ियां; खेती हो गई चौपट, पलायन को मजबूर युवा

सुरेश शांडिल्य, नम्होल (बिलासपुर)। Published by: Krishan Singh Updated Wed, 17 Dec 2025 11:20 AM IST
सार

बिलासपुर जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर यह है नम्होल उपतहसील का साई नोडुवा गांव। इस गांव में गिने-चुने खेतों में ही गेहूं की फसल उगी है। 

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Ground report: Stepwells are drying up; farming has been ruined, and young people are forced to migrate.
कराहते पहाड़, ग्राउंड रिपोर्ट। - फोटो : Ground report
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विस्तार
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हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर यह है नम्होल उपतहसील का साई नोडुवा गांव। इस गांव में गिने-चुने खेतों में ही गेहूं की फसल उगी है। यह भी अब मुरझाने लगी है। किसानों की नजरें आसमान पर टिकी हैं। यहां पानी के लिए परंपरागत स्रोत दो बावड़ियां हैं। ग्रामीण आशंकित हैं कि सर्दियों में पर्याप्त बारिश नहीं हुई तो बावड़ियों में पिछले कुछ वर्षों की तरह पानी सूख जाएगा। दूर नीचे अली खड्ड से उठाऊ पेयजल योजना का एक कनेक्शन इस गांव को मिला जरूर है, पर इससे भी बहुत कम पानी पहुंचता है और गर्मियों में तो नाममात्र का। इस खड्ड पर इलाके की हजारों की जनसंख्या का दबाव है। इसमें गर्मियों में तो बहुत कम पानी रह जाता है।

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पहाड़ी पर कभी  बर्फ भी गिरती थी
गांव में एक बावड़ी के पास खड़े 66 वर्षीय रती राम इशारा कर कहते हैं कि यह बहुत पुरानी बावड़ी है। पीछे बरसात में अच्छी बारिश हुई, फिर भी इसमें पानी कम हो गया है। अभी से चिंता है कि गर्मियों में पानी सूख जाएगा। पहले यहां अदरक भी उगता था और धान व दूसरी फसलें भी, अब पहले जैसी स्थिति नहीं। पीने के पानी का भी संकट है। सामने दिखने वाली पहाड़ी पर कभी कहलूर के शासक का ग्रीष्मकालीन प्रवास होता था। वहां कभी बर्फ भी गिरती थी। आज यह पुराने जमाने की बात हो गई है।  गांव से पलायन की स्थिति पैदा हो चुकी है। 80 साल की संती देवी एक और बावड़ी को दिखाते हुए कहती हैं कि यहां पर कभी तालाब होता था। अब घास और झाड़ियां हैं। उससे आगे कूहल निकलती थी, जिससे पानी आगे खेतों में छोड़ा जाता था। राजपाल बताते हैं कि एक तो सिंचाई के साधन नहीं हैं। सुअर, मोर आदि फसल चौपट कर रहे हैं। हेमराज ठाकुर कहते हैं कि फोरलेन के लिए जंगल का कटान हुआ है। इससे भी जंगली जानवर डिस्टर्ब हो गए हैं। इधर, साथ लगते एक अन्य गांव गौटा के निवासी विजय कुमार ने बताया कि पानी की यहां भी बहुत कमी है। पहले अदरक की खेती खूब होती थी। युवा बद्दी, चंडीगढ़ आकर नौकरी करने को मजबूर हैं। गांव में पुरानी पीढ़ी ही रह रही है।

दुग्ध उत्पादन ने दिखाई उम्मीद की किरण
 इस क्षेत्र में दुग्ध उत्पादन ने ग्रामीणों को उम्मीद की एक नई किरण दिखाई है। स्थानीय महिला रमा ठाकुर का कहना है कि साथ में किसान उत्पादक संघ के रूप में काम कर रही कृषकों की व्यास कामधेनु संस्था का प्लांट है। खेती चौपट होने के बाद इससे किसानों को पशुपालन से कमाई की एक नई राह दिखी है। खेती छोड़कर अब किसान पशुपालन करने लग गए हैं। हालांकि, गर्मियों में पशुओं को भी पिलाने के लिए यहां पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता है। 

क्या कहते हैं जनप्रतिनिधि व अधिकारी
पर्यावरण प्रभाव की दृष्टि से इस क्षेत्र में अध्ययन करवाया जा सकता है। पानी की कमी को दूर करने के लिए जलशक्ति विभाग से बात की जाएगी। मामला संज्ञान में आया है तो उचित कदम उठाया जाएगा।राहुल कुमार, उपायुक्त, जिला बिलासपुर

खड्ड में पानी कम है तो ऐसे में सिंचाई केवल निचले क्षेत्रों तक ही सीमित है। सिंचाई के प्रबंध के बारे में सोचा जाएगा। जहां तक पीने के पानी की बात है तो कोल डैम से भी एक योजना लाई जा रही है। इसका लाभ लोगों को जल्द से जल्द मिले, इसके प्रयास किए जाएंगे। रणधीर शर्मा, विधायक, नयना देवी, बिलासपुर

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