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भागवत कथा मनुष्य को ईश्वर से जोड़ने का सशक्त माध्यम : अरुण
संवाद न्यूज एजेंसी, बिलासपुर
Updated Tue, 16 Dec 2025 11:50 PM IST
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सिल्ह में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के समापन अवसर पर उपस्थित लोग। स्रोत: जागरूक पाठक।
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सिल्ह में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा का हुआ समापन
संवाद न्यूज एजेंसी
घुमारवीं (बिलासपुर)। उपमंडल घुमारवीं के सिल्ह में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का समापन मंगलवार को हुआ। इस दौरान कथा व्यास आचार्य अरुण मोदगिल ने सुदामा चरित एवं परीक्षित मोक्ष की कथा का भावपूर्ण वर्णन किया।
उन्होंने कहा कि श्रीमद् गवत कथा की दिव्य महिमा ऐसी है जो मानव जीवन को समस्त सांसारिक बंधनों से मुक्त कर मोक्ष की ओर अग्रसर करती है। यह कथा केवल सुनने मात्र से ही जीव का कल्याण करने वाली है और मनुष्य को ईश्वर से जोड़ने का सशक्त माध्यम है। भागवत कथा जीवन के प्रत्येक पहलू को आध्यात्मिक दृष्टि से समझने की प्रेरणा देती है। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस हमें जीवन जीने की कला सिखाती है, जबकि श्रीमद्भागवत हमें मृत्यु को सुंदर और सार्थक बनाने की कला सिखाती है। मृत्यु से भयभीत होने के बजाय यदि मनुष्य भगवान के नाम और कथा का आश्रय ले तो मृत्यु भी मोक्ष का द्वार बन जाती है। उन्होंने कहा कि सुदामा और भगवान श्री कृष्ण की मित्रता, त्याग, प्रेम और निष्काम भक्ति का अद्भुत उदाहरण है। सुदामा की सच्ची भक्ति और निष्कपट हृदय भाव से भगवान स्वयं द्रवित हो उठते हैं और बिना मांगे ही उसे सब कुछ प्रदान कर देते हैं। यह प्रसंग मानव को अहंकार त्याग कर सरलता और भक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि यह संसार एक भवसागर है और यदि जीव को इस भवसागर से पार होना है तो उसके पास एकमात्र उपाय भगवान का नाम स्मरण और भगवान की मंगलमयी कथा है। यही कथा संसार के समस्त जीवों को भवबंधन से मुक्त कर सकती है। इस अवसर पर समस्त ग्रामवासियों एवं मंदिर कमेटी के सहयोग से विशाल भंडारे का आयोजन हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।
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घुमारवीं (बिलासपुर)। उपमंडल घुमारवीं के सिल्ह में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का समापन मंगलवार को हुआ। इस दौरान कथा व्यास आचार्य अरुण मोदगिल ने सुदामा चरित एवं परीक्षित मोक्ष की कथा का भावपूर्ण वर्णन किया।
उन्होंने कहा कि श्रीमद् गवत कथा की दिव्य महिमा ऐसी है जो मानव जीवन को समस्त सांसारिक बंधनों से मुक्त कर मोक्ष की ओर अग्रसर करती है। यह कथा केवल सुनने मात्र से ही जीव का कल्याण करने वाली है और मनुष्य को ईश्वर से जोड़ने का सशक्त माध्यम है। भागवत कथा जीवन के प्रत्येक पहलू को आध्यात्मिक दृष्टि से समझने की प्रेरणा देती है। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस हमें जीवन जीने की कला सिखाती है, जबकि श्रीमद्भागवत हमें मृत्यु को सुंदर और सार्थक बनाने की कला सिखाती है। मृत्यु से भयभीत होने के बजाय यदि मनुष्य भगवान के नाम और कथा का आश्रय ले तो मृत्यु भी मोक्ष का द्वार बन जाती है। उन्होंने कहा कि सुदामा और भगवान श्री कृष्ण की मित्रता, त्याग, प्रेम और निष्काम भक्ति का अद्भुत उदाहरण है। सुदामा की सच्ची भक्ति और निष्कपट हृदय भाव से भगवान स्वयं द्रवित हो उठते हैं और बिना मांगे ही उसे सब कुछ प्रदान कर देते हैं। यह प्रसंग मानव को अहंकार त्याग कर सरलता और भक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि यह संसार एक भवसागर है और यदि जीव को इस भवसागर से पार होना है तो उसके पास एकमात्र उपाय भगवान का नाम स्मरण और भगवान की मंगलमयी कथा है। यही कथा संसार के समस्त जीवों को भवबंधन से मुक्त कर सकती है। इस अवसर पर समस्त ग्रामवासियों एवं मंदिर कमेटी के सहयोग से विशाल भंडारे का आयोजन हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।
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