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Bilaspur News: घरेलू हिंसा मामले में पत्नी का अंतरिम भरण-पोषण भत्ता चार हजार घटा
संवाद न्यूज एजेंसी, बिलासपुर
Updated Tue, 16 Dec 2025 11:46 PM IST
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अदालत से-- -- -- -- -- -- -- -- -
अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने निचली अदालत के आदेश में किया संशोधन
भारतीय सेना में लांस नायक ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के आदेश को दी थी चुनौती
कोर्ट ने कहा, व्यक्ति की आय, वैधानिक दायित्वों, ऋण भार को नहीं किया जा सकता नजरअंदाज
संवाद न्यूज एजेंसी
बिलासपुर। घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम के तहत दर्ज एक मामले में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, घुमारवीं (बिलासपुर कैंप) की अदालत ने पति की आपराधिक अपील को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निचली अदालत के आदेश में संशोधन किया है। अदालत ने पत्नी को दिए जा रहे अंतरिम भरण-पोषण की राशि 11,000 रुपये प्रतिमाह से घटाकर 7,000 रुपये प्रतिमाह कर दी है।
यह निर्णय मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, बिलासपुर ने 4 अप्रैल 2025 को पारित आदेश के खिलाफ दायर आपराधिक अपील पर सुनाया था। घुमारवीं के भुलस्वाएं की महिला जो वर्तमान में बग्गड़ की निवासी हैं ने अपनी याचिका में बताया कि उसका विवाह 24 जून 2022 को हिंदू रीति-रिवाजों से भुलस्वाएं में हुआ था। विवाह के 15–20 दिन बाद ही पति व ससुराल पक्ष उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने लगे। याचिका के अनुसार ससुराल पक्ष उसे और उसके माता-पिता को अपमानजनक व गंदी भाषा बोलते थे। एक झगड़े के दौरान पति ने उसका मोबाइल फोन तोड़ दिया। आरोप लगाया था कि पति भारतीय सेना में लांस नायक के पद पर कार्यरत है और शराब व नशीले पदार्थों का आदी हैं। छुट्टी पर घर आने के दौरान वह नशे की हालत में उसके साथ मारपीट करता और उस पर झूठे चरित्र संबंधी आरोप लगाता था। कहा था कि वो बीएससी. नर्सिंग पास है और आगे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना चाहती थी। 5 अगस्त 2022 को उसे हमीरपुर स्थित एक नर्सिंग कोचिंग अकादमी में एक माह के कोर्स में प्रवेश मिला, लेकिन पति ने इसका विरोध किया और खर्च देने से मना कर दिया, जिसे उसके माता-पिता ने वहन किया। कोचिंग के दौरान भी पति रात के समय नशे की हालत में फोन कर मानसिक रूप से परेशान करने का आरोप लगाया।
महिला के अनुसार नवंबर 2022 में जब वह पति के साथ उसकी पोस्टिंग स्थल पर गई, तो वहां भी उसे मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया। याचिका में गंभीर आरोप लगाते हुए कहा गया कि पति ने नौकरी में पदोन्नति के लिए उसे अपने वरिष्ठ अधिकारी के साथ संबंध बनाने के लिए मजबूर किया। दिसंबर 2022 में छुट्टी के दौरान पति ने एक गांव की युवती के साथ आपत्तिजनक हरकत की, जिस पर ग्रामीणों ने उसकी पिटाई की और घटना का वीडियो वायरल हो गया। पति ने उसके नाम से फर्जी सोशल मीडिया आईडी बनाकर उसका दुरुपयोग किया, जिसकी शिकायत पुलिस में दी गई। लगातार तनाव और उत्पीड़न के चलते उसका चार माह का गर्भ गिर गया। 22 दिसंबर 2022 को पति व उसके परिजनों ने उसे जबरन ससुराल से बाहर निकाल दिया। उस समय उसके सोने-चांदी के जेवरात सास के पास रह गए और उसे अपने कपड़े व किताबें तक नहीं ले जाने दी गईं।
महिला के पति ने सभी आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि पत्नी स्वयं बिना किसी कारण के घर छोड़कर गई थी और वह बीएससी नर्सिंग योग्यताधारी होने के कारण अपना भरण-पोषण करने में सक्षम है। बताया कि वह भारतीय सेना में लांस नायक के पद पर कार्यरत है और लगभग 55 हजार रुपये मासिक वेतन पाता है। पारिवारिक न्यायालय के आदेशानुसार उसे अपने माता-पिता को 22 हजार रुपये प्रतिमाह भरण-पोषण देना पड़ता है, साथ ही वह ऋण की किस्त भी चुका रहा है। अदालत ने कहा कि पति की पत्नी के भरण-पोषण की वैधानिक जिम्मेदारी बनी रहती है, लेकिन उसकी आय, अन्य वैधानिक दायित्वों और ऋण भार को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इन परिस्थितियों को देखते हुए अदालत ने अंतरिम भरण-पोषण की राशि 11,000 रुपये से घटाकर 7,000 रुपये प्रतिमाह कर दी। यह राशि याचिका दायर करने की तिथि से देय होगी। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह आदेश केवल अंतरिम है और मुख्य मामले का अंतिम निर्णय साक्ष्यों के आधार पर किया जाएगा। दोनों पक्षों को 29 दिसंबर 2025 को ट्रायल कोर्ट में उपस्थित होने के निर्देश दिए गए हैं।
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संवाद न्यूज एजेंसी
बिलासपुर। घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम के तहत दर्ज एक मामले में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, घुमारवीं (बिलासपुर कैंप) की अदालत ने पति की आपराधिक अपील को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निचली अदालत के आदेश में संशोधन किया है। अदालत ने पत्नी को दिए जा रहे अंतरिम भरण-पोषण की राशि 11,000 रुपये प्रतिमाह से घटाकर 7,000 रुपये प्रतिमाह कर दी है।
यह निर्णय मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, बिलासपुर ने 4 अप्रैल 2025 को पारित आदेश के खिलाफ दायर आपराधिक अपील पर सुनाया था। घुमारवीं के भुलस्वाएं की महिला जो वर्तमान में बग्गड़ की निवासी हैं ने अपनी याचिका में बताया कि उसका विवाह 24 जून 2022 को हिंदू रीति-रिवाजों से भुलस्वाएं में हुआ था। विवाह के 15–20 दिन बाद ही पति व ससुराल पक्ष उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने लगे। याचिका के अनुसार ससुराल पक्ष उसे और उसके माता-पिता को अपमानजनक व गंदी भाषा बोलते थे। एक झगड़े के दौरान पति ने उसका मोबाइल फोन तोड़ दिया। आरोप लगाया था कि पति भारतीय सेना में लांस नायक के पद पर कार्यरत है और शराब व नशीले पदार्थों का आदी हैं। छुट्टी पर घर आने के दौरान वह नशे की हालत में उसके साथ मारपीट करता और उस पर झूठे चरित्र संबंधी आरोप लगाता था। कहा था कि वो बीएससी. नर्सिंग पास है और आगे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना चाहती थी। 5 अगस्त 2022 को उसे हमीरपुर स्थित एक नर्सिंग कोचिंग अकादमी में एक माह के कोर्स में प्रवेश मिला, लेकिन पति ने इसका विरोध किया और खर्च देने से मना कर दिया, जिसे उसके माता-पिता ने वहन किया। कोचिंग के दौरान भी पति रात के समय नशे की हालत में फोन कर मानसिक रूप से परेशान करने का आरोप लगाया।
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महिला के अनुसार नवंबर 2022 में जब वह पति के साथ उसकी पोस्टिंग स्थल पर गई, तो वहां भी उसे मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया। याचिका में गंभीर आरोप लगाते हुए कहा गया कि पति ने नौकरी में पदोन्नति के लिए उसे अपने वरिष्ठ अधिकारी के साथ संबंध बनाने के लिए मजबूर किया। दिसंबर 2022 में छुट्टी के दौरान पति ने एक गांव की युवती के साथ आपत्तिजनक हरकत की, जिस पर ग्रामीणों ने उसकी पिटाई की और घटना का वीडियो वायरल हो गया। पति ने उसके नाम से फर्जी सोशल मीडिया आईडी बनाकर उसका दुरुपयोग किया, जिसकी शिकायत पुलिस में दी गई। लगातार तनाव और उत्पीड़न के चलते उसका चार माह का गर्भ गिर गया। 22 दिसंबर 2022 को पति व उसके परिजनों ने उसे जबरन ससुराल से बाहर निकाल दिया। उस समय उसके सोने-चांदी के जेवरात सास के पास रह गए और उसे अपने कपड़े व किताबें तक नहीं ले जाने दी गईं।
महिला के पति ने सभी आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि पत्नी स्वयं बिना किसी कारण के घर छोड़कर गई थी और वह बीएससी नर्सिंग योग्यताधारी होने के कारण अपना भरण-पोषण करने में सक्षम है। बताया कि वह भारतीय सेना में लांस नायक के पद पर कार्यरत है और लगभग 55 हजार रुपये मासिक वेतन पाता है। पारिवारिक न्यायालय के आदेशानुसार उसे अपने माता-पिता को 22 हजार रुपये प्रतिमाह भरण-पोषण देना पड़ता है, साथ ही वह ऋण की किस्त भी चुका रहा है। अदालत ने कहा कि पति की पत्नी के भरण-पोषण की वैधानिक जिम्मेदारी बनी रहती है, लेकिन उसकी आय, अन्य वैधानिक दायित्वों और ऋण भार को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इन परिस्थितियों को देखते हुए अदालत ने अंतरिम भरण-पोषण की राशि 11,000 रुपये से घटाकर 7,000 रुपये प्रतिमाह कर दी। यह राशि याचिका दायर करने की तिथि से देय होगी। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह आदेश केवल अंतरिम है और मुख्य मामले का अंतिम निर्णय साक्ष्यों के आधार पर किया जाएगा। दोनों पक्षों को 29 दिसंबर 2025 को ट्रायल कोर्ट में उपस्थित होने के निर्देश दिए गए हैं।