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Congress on National Herald Case: 'राजनीतिक प्रतिशोध और उत्पीड़न की कहानी'; ईडी की अपील खारिज होने पर कांग्रेस
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली।
Published by: निर्मल कांत
Updated Wed, 17 Dec 2025 10:06 AM IST
सार
Congress on National Herald Case: नेशनल हेराल्ड मामले में गांधी परिवार को राहत मिलने पर कांग्रेस नेताओं ने प्रतिक्रिया दी है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने इस मामले को राजनीतिक प्रतिशोध और उत्पीड़न करार दिया है।
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मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस अध्यक्ष
- फोटो : अमर उजाला ग्राफिक
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विस्तार
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि नेशनल हेराल्ड मामला राजनीतिक प्रतिशोध और उत्पीड़न की कहानी है। वहीं, कांग्रेस ने कहा कि कानून ने शोर से ज्यादा जोर से बात की है। बता दें कि दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने मंगलवार को नेशनल हेराल्ड मामले में धनशोधन के आरोपों से जुड़ी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की याचिका पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने क्या कहा?
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, ये लोग ईडी, सीबीआई जैसी एजेंसियों का उपयोग करके हमारे लोगों को बदनाम कर रहे हैं। खासकर गांधी परिवार को सताने के लिए उन्होंने ये केस डाला है। नहीं तो उसमें कुछ नहीं है। कोई एफआईआर नहीं है। कोई व्यक्ति शिकायत डालता है और ये उस पर कार्रवाई करते हैं। जिस चीज में कोई दम नहीं है, उसमें दम भरने की कोशिश करके हमारे लोगों का उत्पीड़न करते हैं। हमारी कांग्रेस पार्टी के बहुत से नेता, 50 बड़े नेता जो उनसे सहानुभूति नहीं रखते हैं, उनके खिलाफ ईडी का केस डालकर उन्हें सता रहे हैं। उन्होंने धनशोधन का मुकदमा डालकर कई लोगों को अपनी ओर किया है। कई सांसदों को अपनी ओर किया है और कई जगह सरकारें बनाई हैं।
कोर्ट से सोनिया और राहुल गांधी को राहत
कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी को मंगलवार को बड़ी राहत मिली, जब कोर्ट ने दोनों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की तरफ से दोनों के खिलाफ दायर किए गए आरोपपत्र का संज्ञान लेने से इनकार कर दिया। ईडी ने दोनों नेताओं को धनशोधन मामले में आरोपी बनाया है। आरोपपत्र में सोनिया और राहुल पर एसोसिएट्स जर्नल लिमिटेड (एजेएल) के अंतर्गत आने वाली 2000 करोड़ रुपये की संपत्ति को हड़पने का आरोप था।
ये भी पढ़ें: 'क्या 12 लाख सैनिकों की जरूरत है?' भारतीय सेना पर ये क्या बोले गए कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण
इसके साथ ही कोर्ट ने ईडी को अपनी जांच जारी रखने की अनुमति दी और स्पष्ट किया कि आगे की जांच के लिए उसे स्वतंत्रता है। साथ ही कहा है कि ईडी का मामला सुब्रमण्यम स्वामी की ओर से दायर एक निजी शिकायत और मजिस्ट्रेट के समन आदेशों पर आधारित है, न कि किसी प्राथमिकी पर। हालांकि, एजेंसी इस मामले से जुड़े तथ्यों और साक्ष्यों को इकट्ठा करना जारी रख सकती है।
क्या है नेशनल हेराल्ड मामला?
देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने 20 नवंबर 1937 को एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड यानी एजेएल का गठन किया था। इसका उद्देश्य अलग-अलग भाषाओं में समाचार पत्रों को प्रकाशित करना था। तब एजेएल के अंतर्गत अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड, हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज समाचार पत्र प्रकाशित हुए।
भले ही एजेएल के गठन में पं. जवाहर लाल नेहरू की भूमिका थी, लेकिन इसपर मालिकाना हक कभी भी उनका नहीं रहा। क्योंकि, इस कंपनी को 5000 स्वतंत्रता सेनानी सपोर्ट कर रहे थे और वही इसके शेयर होल्डर भी थे। 90 के दशक में ये अखबार घाटे में आने लगे। साल 2008 तक एजेएल पर 90 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज चढ़ गया। तब एजेएल ने फैसला किया कि अब समाचार पत्रों का प्रकाशन नहीं किया जाएगा। अखबारों का प्रकाशन बंद करने के बाद एजेएल प्रॉपर्टी बिजनेस में उतरी। बता दें कि शांति भूषण और मार्कंडेय काटजू के पिता के नाम पर एजेएल में शेयर थे।
ये भी पढ़ें: चीन पर निर्भरता कम करेगी सरकार, दुर्लभ पृथ्वी चुंबक के निर्माण पर किया 7280 करोड़ का निवेश
फिर मामला दर्ज हुआ
2012 में भाजपा के नेता और देश के नामी वकील सुब्रमण्यम स्वामी ने नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीस, पत्रकार सुमन दुबे और टेक्नोक्रेट सैम पित्रोदा के खिलाफ मामला दर्ज कराया। तब केंद्र में कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार थी। सुब्रमण्यम स्वामी ने दावा किया कि यंग इंडिया लिमिटेड ने 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति और लाभ हासिल करने के लिए गलत तरीके से निष्क्रिय प्रिंट मीडिया आउटलेट की संपत्ति को अधिग्रहित किया।
स्वामी ने यह भी आरोप लगाया कि वाईआईएल ने 90.25 करोड़ रुपये की वसूली के अधिकार हासिल करने के लिए सिर्फ 50 लाख रुपये का भुगतान किया था, जो एजेएल पर कांग्रेस पार्टी का बकाया था। यह राशि पहले अखबार शुरू करने के लिए कर्ज के रूप में दी गई थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड को दिया गया कर्ज अवैध था, क्योंकि यह पार्टी के फंड से लिया गया था।
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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने क्या कहा?
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, ये लोग ईडी, सीबीआई जैसी एजेंसियों का उपयोग करके हमारे लोगों को बदनाम कर रहे हैं। खासकर गांधी परिवार को सताने के लिए उन्होंने ये केस डाला है। नहीं तो उसमें कुछ नहीं है। कोई एफआईआर नहीं है। कोई व्यक्ति शिकायत डालता है और ये उस पर कार्रवाई करते हैं। जिस चीज में कोई दम नहीं है, उसमें दम भरने की कोशिश करके हमारे लोगों का उत्पीड़न करते हैं। हमारी कांग्रेस पार्टी के बहुत से नेता, 50 बड़े नेता जो उनसे सहानुभूति नहीं रखते हैं, उनके खिलाफ ईडी का केस डालकर उन्हें सता रहे हैं। उन्होंने धनशोधन का मुकदमा डालकर कई लोगों को अपनी ओर किया है। कई सांसदों को अपनी ओर किया है और कई जगह सरकारें बनाई हैं।
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#WATCH | Delhi | On National Herald case, Congress President Mallikarjun Kharge says, "They are doing this for political vendetta. This case is only to trouble the Gandhi family. There is no FIR in this case...Our slogan is ‘Satyamev Jayate’, and we welcome the judgment in the… pic.twitter.com/ZetPQqecVW
— ANI (@ANI) December 17, 2025
कोर्ट से सोनिया और राहुल गांधी को राहत
कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी को मंगलवार को बड़ी राहत मिली, जब कोर्ट ने दोनों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की तरफ से दोनों के खिलाफ दायर किए गए आरोपपत्र का संज्ञान लेने से इनकार कर दिया। ईडी ने दोनों नेताओं को धनशोधन मामले में आरोपी बनाया है। आरोपपत्र में सोनिया और राहुल पर एसोसिएट्स जर्नल लिमिटेड (एजेएल) के अंतर्गत आने वाली 2000 करोड़ रुपये की संपत्ति को हड़पने का आरोप था।
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इसके साथ ही कोर्ट ने ईडी को अपनी जांच जारी रखने की अनुमति दी और स्पष्ट किया कि आगे की जांच के लिए उसे स्वतंत्रता है। साथ ही कहा है कि ईडी का मामला सुब्रमण्यम स्वामी की ओर से दायर एक निजी शिकायत और मजिस्ट्रेट के समन आदेशों पर आधारित है, न कि किसी प्राथमिकी पर। हालांकि, एजेंसी इस मामले से जुड़े तथ्यों और साक्ष्यों को इकट्ठा करना जारी रख सकती है।
क्या है नेशनल हेराल्ड मामला?
देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने 20 नवंबर 1937 को एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड यानी एजेएल का गठन किया था। इसका उद्देश्य अलग-अलग भाषाओं में समाचार पत्रों को प्रकाशित करना था। तब एजेएल के अंतर्गत अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड, हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज समाचार पत्र प्रकाशित हुए।
भले ही एजेएल के गठन में पं. जवाहर लाल नेहरू की भूमिका थी, लेकिन इसपर मालिकाना हक कभी भी उनका नहीं रहा। क्योंकि, इस कंपनी को 5000 स्वतंत्रता सेनानी सपोर्ट कर रहे थे और वही इसके शेयर होल्डर भी थे। 90 के दशक में ये अखबार घाटे में आने लगे। साल 2008 तक एजेएल पर 90 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज चढ़ गया। तब एजेएल ने फैसला किया कि अब समाचार पत्रों का प्रकाशन नहीं किया जाएगा। अखबारों का प्रकाशन बंद करने के बाद एजेएल प्रॉपर्टी बिजनेस में उतरी। बता दें कि शांति भूषण और मार्कंडेय काटजू के पिता के नाम पर एजेएल में शेयर थे।
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फिर मामला दर्ज हुआ
2012 में भाजपा के नेता और देश के नामी वकील सुब्रमण्यम स्वामी ने नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीस, पत्रकार सुमन दुबे और टेक्नोक्रेट सैम पित्रोदा के खिलाफ मामला दर्ज कराया। तब केंद्र में कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार थी। सुब्रमण्यम स्वामी ने दावा किया कि यंग इंडिया लिमिटेड ने 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति और लाभ हासिल करने के लिए गलत तरीके से निष्क्रिय प्रिंट मीडिया आउटलेट की संपत्ति को अधिग्रहित किया।
स्वामी ने यह भी आरोप लगाया कि वाईआईएल ने 90.25 करोड़ रुपये की वसूली के अधिकार हासिल करने के लिए सिर्फ 50 लाख रुपये का भुगतान किया था, जो एजेएल पर कांग्रेस पार्टी का बकाया था। यह राशि पहले अखबार शुरू करने के लिए कर्ज के रूप में दी गई थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड को दिया गया कर्ज अवैध था, क्योंकि यह पार्टी के फंड से लिया गया था।
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