अपने ही जाल में फंसे: क्या पाकिस्तान में नई अस्थिरता लाएगा मुनीर का गाजा मिशन? डार के बयान से सामने आई कलह
पाकिस्तान के सैन्य प्रमुख आसिम मुनीर अमेरिका के दबाव में गाजा में शांति के लिए सेना भेजने पर विचार कर रहे हैं। यह कदम देश में घरेलू विरोध और राजनीतिक अस्थिरता को बढ़ा सकता है। मुनीर का ट्रंप के साथ करीबी रिश्ता पाकिस्तान को सुरक्षा मदद दिला सकता है, लेकिन विदेश नीति और जनभावनाओं के लिहाज से यह चुनौतीपूर्ण साबित होगा। आइए समझते हैं कैसे?
विस्तार
दुनियाभर में कटोरा लेकर घूमने वाला पाकिस्तान अब नई-नई परेशानियों से घिर गया है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ मिलना-जुलना और व्हाइट हाउस में भोजन के बाद अपना वर्चस्व चरम पर दिखाने वाले पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर आजकल अपने करियर के सबसे बड़े और चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं। कारण है कि अमेरिका ने उनसे गाजा में शांति सेना भेजने का आग्रह किया है, जिसे लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि यह घरेलू विरोध को भड़का सकता है। साथ ही इससे वैश्विक मंच पर पाकिस्तान की एक बार फिर बड़े पैमाने पर थू-थू भी हो सकती है।
इस बात की शुरुआत तब हुई जब इस खबर को लेकर अटकलें तेज हुई कि मुनीर जल्द ही वॉशिंगटन जाएंगे और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलेंगे। यह उनके पिछले छह महीनों में तीसरी बैठक होगी, जिसमें मुख्य फोकस गाजा मिशन होगा। ट्रंप का 20-पॉइंट गाजा प्लान मुस्लिम देशों की सेनाओं से इस क्षेत्र में शांति और पुनर्निर्माण का काम करवाना चाहता है।
अमेरिका का दबाव पाकिस्तान के लिए मजबूरी
विश्लेषकों की माने तो ट्रंप की योजना है कि गाजा में मुस्लिम देशों का एक बल भेजा जाए, जो वहां हामास के हथियार खत्म करने और पुनर्निर्माण में मदद करे। पाकिस्तान जैसे देशों के लिए यह मिशन बहुत जोखिम भरा है। अगर वहां सैनिक भेजे गए, तो पाकिस्तान सीधे संघर्ष में फंस सकता हैं और देश में भारी विरोध प्रदर्शन भी हो सकते हैं। हालांकि ये समय एक ना एक दिन आना ही था, क्योंकि मुनीर ने ट्रंप के साथ खास रिश्ता बनाया है, जिससे पाकिस्तान अमेरिका से सुरक्षा मदद और निवेश पाने की उम्मीद रखता है। इसलिए वह अमेरिका को निराश नहीं करना चाहते।
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पाकिस्तान में घरेलू अस्थिरता का खतरा कैसे?
इन अटकलों के बीच पाकिस्तान में अस्थिरता का खतरा बढ़ सकता है। इस बात को ऐसे समझा जा सकता है कि ऐसी अटकलें आने के तुरंत बाद ही पाकिस्तानी विदेश मंत्री इशाक डार ने इस बात से आपत्ति जताई। डार ने कहा कि पाकिस्तान शांति स्थापन बल में योगदान पर विचार कर सकता है, लेकिन हमास को असशस्त्र करना पाकिस्तान का काम नहीं है।
दूसरी ओर अगर पाकिस्तान गाजा में सैनिक भेजता है, तो इससे पाकिस्तान में इस्लामिक दल और जनता में भारी विरोध हो सकता है। पाकिस्तान की सड़कों पर कई इस्लामिक दल हैं जो अमेरिका और इस्राइल के खिलाफ हैं। इमरान खान के समर्थक और इस्लामिक पार्टियां इसे मुनीर अमेरिका और इस्राइल के एजेंडे पर काम कर रहे हैं के रूप में दिखाएंगी। ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है कि क्योंकि हाल ही में एक बहुत ही ताकतवर इस्लामी पार्टी को बैन किया गया है, लेकिन उनका विचार अभी भी देश मौजूद है।
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क्यों इस मिशन से झिझकता है अन्य देश?
कई देशों को यह मिशन झिझकाता है क्योंकि यह हमास को असशस्त्र करने जैसा संवेदनशील काम है और इससे वे सीधे संघर्ष में फंस सकते हैं। पाकिस्तान की स्थिति और जटिल है क्योंकि देश में अमेरिकी समर्थन और निवेश को लेकर भी दबाव है।
पाकिस्तान में आसिम मुनीर की स्थिति
मुनीर ने हाल ही में इंडोनेशिया, मलेशिया, सऊदी अरब, तुर्की, जॉर्डन, मिस्र और कतर जैसे देशों के नेताओं से मुलाकात की। यह माना जा रहा है कि ये बैठकें गाजा मिशन पर सलाह-मशवरा थीं। बता दें कि आसिम मुनीर को हाल ही में हवाई और नौसैनिक बलों का भी प्रमुख बनाया गया और उनकी सेवा 2030 तक बढ़ा दी गई। उन्हें फील्ड मार्शल का जीवनकाल शीर्षक और संपूर्ण कानूनी सुरक्षा भी दी गई है। विशेषज्ञों के अनुसार, अब मुनीर के पास असीमित शक्ति है और फैसले लेने में किसी से बाधा नहीं।
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