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HP High Court: वक्फ बोर्ड के गठन में देरी और नियमों के उल्लंघन पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने दिया नोटिस

संवाद न्यूज एजेंसी, शिमला। Published by: अंकेश डोगरा Updated Sat, 20 Dec 2025 05:00 AM IST
सार

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश में वक्फ बोर्ड के गठन में देरी और नियमों के उल्लंघन पर राज्य सरकार सहित अन्य को नोटिस जारी किए हैं। हाईकोर्ट में इसे लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई है। जनहित याचिका में आरोप है कि राज्य सरकार की ओर से वक्फ अधिनियम,1995 के प्रावधानों की अनदेखी की जा रही है, जिससे वक्फ संपत्तियों के रखरखाव पर संकट पैदा हो गया है। 

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Himachal Pradesh High Court issues notice over delay in the formation of the Waqf Board and violation of rules
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट - फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
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विस्तार
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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश में वक्फ बोर्ड के गठन में देरी और नियमों के उल्लंघन पर राज्य सरकार सहित अन्य को नोटिस जारी किए हैं। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने इस मामले में राज्य सरकार सहित अन्य प्रतिवादियों से जवाब तलब किया है। मामले की अगली सुनवाई 9 मार्च को होगी।

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हाईकोर्ट में इसे लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई है। जनहित याचिका में आरोप है कि राज्य सरकार की ओर से वक्फ अधिनियम,1995 के प्रावधानों की अनदेखी की जा रही है, जिससे वक्फ संपत्तियों के रखरखाव पर संकट पैदा हो गया है। याचिका में बताया गया है कि 14 दिसंबर 2022 को प्रतिवादी राज्य ने वक्फ अधिनियम की धारा 99 के तहत वक्फ बोर्ड को भंग कर दिया था। इसके बाद 1 नवंबर 2025 को सरकार ने मुस्लिम समुदाय से एक सदस्य को बोर्ड के सदस्य के रूप में नामित किया और उन्हें अगले आदेश तक अंतरिम अध्यक्ष के रूप में कार्यभार सौंप दिया। जो वक्फ अधिनियम की धारा 13 और 14 का सीधा उल्लंघन है। यह धाराएं बोर्ड के उचित गठन और सदस्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया निर्धारित करती हैं।
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याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि अगर नियमानुसार वक्फ बोर्ड का गठन नहीं किया जाता है, तो वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन पूरी तरह ठप हो जाएगा। बोर्ड गठित न होने से वक्फ संपत्तियों को खतरा और इसके कार्यों पर सीधा असर पड़ेगा। वक्फ की उत्पत्ति, आय,उद्देश्य और लाभार्थियों से संबंधित जानकारी का रिकॉर्ड रखना मुश्किल होगा।यह सुनिश्चित करना असंभव होगा कि वक्फ की आय उसी उद्देश्य के लिए खर्च की जा रही है जिसके लिए उसे बनाया गया था। उन्होंने कहा कि वक्फ संपत्तियों के प्रशासन के लिए आवश्यक निर्देश देने वाली कोई वैधानिक संस्था नहीं है। बिना पूर्ण बोर्ड और केवल एक अंतरिम अध्यक्ष के भरोसे पूरी व्यवस्था को चलाना न केवल कानूनी रूप से संदिग्ध है, बल्कि यह वक्फ संपत्तियों के हितों के विरुद्ध भी है।

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