हिमाचल: बिना अनुमति शिक्षकों की बाहरी राज्यों में ड्यूटी लगाने पर रोक, स्कूल शिक्षा निदेशालय ने जारी किए आदेश
हिमाचल प्रदेश में बिना पूर्व अनुमति शिक्षकों को राज्य से बाहर किसी भी प्रकार की ड्यूटी, प्रशिक्षण कार्यक्रम, कार्यशाला या सेमिनार के लिए भेजने पर रोक लगा दी गई है।
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हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शैक्षणिक गुणवत्ता बनाए रखने के लिए शिक्षा निदेशालय ने बड़ा फैसला लेते हुए बिना पूर्व अनुमति शिक्षकों को राज्य से बाहर किसी भी प्रकार की ड्यूटी, प्रशिक्षण कार्यक्रम, कार्यशाला या सेमिनार के लिए भेजने पर रोक लगा दी गई है। इस संबंध में सभी जिला उपनिदेशकों को कड़े निर्देश जारी किए गए हैं।
स्कूल शिक्षा निदेशक आशीष कोहली की ओर से वीरवार को जारी पत्र में कहा गया कि निदेशालय के संज्ञान में आया है कि कुछ जिला उपनिदेशक शिक्षकों को विभिन्न गतिविधियों के लिए राज्य के बाहर भेज रहे हैं, जबकि इसके लिए अनिवार्य रूप से निदेशालय की अनुमति आवश्यक है। बिना अनुमति शिक्षक बाहरी राज्यों में भेजे जा रहे हैं, जिससे स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित हो रही है। पत्र में कहा कि एक शैक्षणिक वर्ष में 220 टीचिंग डेज पूरे करना अनिवार्य है, ताकि छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके। जब शिक्षक स्कूल से बाहर रहते हैं, तो पढ़ाई बाधित होती है और इसका सीधा असर बच्चों की शिक्षा पर पड़ता है।
निदेशक ने कहा है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। ऐसे में शिक्षकों की स्कूल में नियमित उपस्थिति बेहद जरूरी है। निदेशालय ने सभी जिला उपनिदेशकों को निर्देश दिए हैं कि किसी भी शिक्षक या शिक्षकों के समूह को बाहरी राज्यों में किसी भी प्रकार के प्रशिक्षण, सेमिनार, गतिविधि या कार्यक्रम के लिए न भेजा जाए। यदि ऐसी कोई आवश्यकता हो तो पहले निदेशालय से अनुमति लेनी अनिवार्य है। सिर्फ समग्र शिक्षा के तहत आयोजित कार्यक्रमों के लिए छूट दी गई है।
पत्र में चेतावनी देते हुए कहा गया है कि इन निर्देशों की अनदेखी को गंभीरता से लिया जाएगा। किसी भी प्रकार की लापरवाही पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। शिक्षा विभाग का मानना है कि शिक्षकों का अनावश्यक रूप से बाहर जाना सीधे तौर पर बच्चों की पढ़ाई को प्रभावित करता है। ऐसे में निदेशालय ने स्पष्ट कर दिया है कि छात्रों की शिक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा और शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित करना जिला अधिकारियों की जिम्मेदारी होगी।