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HP Minimum Bus Fare: किराया बढ़ोतरी की CPIM ने की निंदा, फैसला वापस लेने की मांग; दी ये चेतावनी

अमर उजाला ब्यूरो, शिमला। Published by: अंकेश डोगरा Updated Sun, 20 Apr 2025 01:34 PM IST
सार

हिमाचल प्रदेश में बसों के न्यूनतम किराए में की गई बढ़ोतरी की भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने निंदा की है।  

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HP Minimum Bus Fare CPIM condemns fare hike demands withdrawal of decision
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) पार्टी का झंडा। - फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
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भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने प्रदेश सरकार द्वारा बसों का न्यूनतम किराया 5 रुपये से बढ़ाकर 10 रुपये किया गया उसका विरोध किया है। पार्टी ने कहा कि सरकार किराया वृद्धि के इस जनविरोधी निर्णय को तुरंत वापस ले। इससे पहले भी एचआरटीसी ने स्कूल बसों के किराए में 50 प्रतिशत की थी। यदि सरकार इस बस किराया वृद्धि के निर्णय को तुरंत प्रभाव से वापस नहीं लेती तो पार्टी सरकार के इस आम जनता पर आर्थिक बोझ डालने वाले निर्णय के विरूद्ध जनता को लामबंद कर प्रदेशव्यापी आंदोलन करेगी।

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पार्टी का कहना है कि प्रदेश में रेलवे लाइनों व अन्य परिवहन के साधनों के अभाव में जनसाधारण का बस सेवा ही एकमात्र परिवहन का साधन है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आम जनता बस से ही सफर कर पाती है। इसलिए यदि बस किराए में वृद्धि की गई तो इससे आम जनता विशेष रूप से किसान, मजदूर, छात्र, कर्मचारी, महिला व युवा वर्ग बुरी तरह से प्रभावित होंगे। हर रोज सफर करने वाले जिसमे दिहाड़ी मजदूरी करने वाले मजदूर, स्कूली बच्चे, कर्मचारी, कामकाजी महिलाएं व किसान शामिल हैं को कम दूरी के सफर के लिए लगभग दोगुना बस किराया देना होगा।

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भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) पार्टी का झंडा। - फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
पार्टी का कहना है कि सरकार द्वारा प्रदेश में चल रहे आर्थिक संकट और एचआरटीसी को घाटे से उभारने के नाम पर बस किराए में वृद्धि का तर्क दिया जा रहा है। जबकि हकीकत इससे अलग है। आर्थिक संकट के लिए प्रदेश मे एक के बाद एक आने वाली सरकार द्वारा लागू की जा रही नवउदारवादी नीतियां जिम्मेवार हैं तथा इन्हीं नीतियों के चलते प्रदेश मे सरकार द्वारा परिवहन क्षेत्र में भी निजीकरण की नीतियां लागू की जा रही हैं। जिसके कारण आज सार्वजनिक क्षेत्र के एचआरटीसी में बसों की संख्या तथा रूटों में निरंतर कटौती की जा रही है और अधिकांश जो मुनाफे वाले रूट हैं उन पर निजी बस ऑपरेटरों को बस सेवा प्रदान करने के लिए परमिट जारी किए जा रहे हैं। जिसके चलते आज एचआरटीसी के पास मात्र 2573 रूट तथा 3150 बसें रह गई हैं। जबकि निजी ऑपरेटरों के पास अधिकांश बस रूट हैं तथा इनकी 8300 के करीब बसे चल रही हैं। इसके साथ ही मुनाफे के रूट निजी ऑपरेटरों को दिए जा रहे हैं और एचआरटीसी को घाटा उठाने के लिए मजबूर किया जा रहा है

पार्टी का कहना है कि न्यूनतम बस किराया में भारी वृद्धि से शहरी क्षेत्रों विशेष रूप से राजधानी शिमला जैसे शहर जो पहले ही ट्रैफिक की विकराल समस्या से जूझ रहे हैं इसका बेहद प्रतिकूल असर देखने को मिलेगा। इस भारी बस किराए वृद्धि से लोग स्कूल, कार्यालय व अन्य कार्यों के लिए निजी वाहनों को प्राथमिकता देंगे जिससे शहर में ट्रैफिक तथा प्रदूषण की समस्या और अधिक विकराल होगी।

पार्टी मांग करती है कि सरकार अपना कल्याणकारी राज्य के दायित्व का निर्वहन करते हुए इस बस किराए वृद्धि के निर्णय को तुरन्त वापस ले तथा इसके साथ ही एचआरटीसी जैसे सार्वजनिक क्षेत्र को मजबूत कर जनता को बेहतर परिवहन की सुविधा उपलब्ध करवाए। विश्वभर में परिवहन सेवा के निजीकरण के अच्छे परिणाम नहीं देखे गए हैं। जिसके चलते कई देशों मे अब परिवहन को निजी कंपनियों से लेकर इसको सार्वजनिक क्षेत्र में चलाया जा रहा है। विश्व में ऐसे भी कई शहर है जो परिवहन सेवाए मुफ्त उपलब्ध करवा रहे हैं।
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