हिमाचल: पैसे के इंतजार में उधार से जल रहा स्कूलों का चूल्हा, चार माह से मिड-डे मील का मिल रहा आधा-अधूरा बजट
हिमाचल प्रदेश में नवंबर माह से मिड-डे मील के लिए ग्रांट नहीं जारी की गई है। बजट के अभाव में दुकानदार भी राशन समेत अन्य सामग्री देने से आनाकानी करने लगे हैं। पढ़ें पूरी खबर...
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प्रदेश भर के स्कूलों में हजारों बच्चों को उधार पर मिड-डे मील परोसा जा रहा है। नवंबर माह से मिड-डे मील के लिए ग्रांट नहीं जारी की गई है। ऐसे में स्कूलों में दोपहर का भोजन परोसना मुश्किल होता जा रहा है। हैरत की बात है कि बजट के अभाव में दुकानदार भी राशन समेत अन्य सामग्री देने से आनाकानी करने लगे हैं। आलम यह है कि कई जगह दुकानदारों ने मिड-डे मील का राशन देने से भी अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं। इससे बच्चों को मिलने वाले दोपहर के भोजन पर संकट मंडराना शुरू हो गया है।
नवंबर से अब तक योजना के तहत एक भी रुपया जारी नहीं
सरकारी स्कूलों को नवंबर से मिड-डे मील योजना का बजट जारी नहीं किया गया है। हालात ऐसे हैं कि बजट के अभाव के कारण कई स्कूलों में शिक्षकों को अपनी जेब से या स्थानीय दुकानदारों से उधार पर राशन लाकर विद्यार्थियों के लिए मध्याह्न भोजन की व्यवस्था करनी पड़ रही है। नवंबर से अब तक योजना के तहत एक भी रुपया जारी नहीं हुआ है। ऐसे में दुकानदारों ने भी शिक्षकों को उधार देने से हाथ खड़े कर दिए हैं।
मिड-डे मील योजना के तहत प्री-प्राइमरी से आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को प्रतिदिन पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जाता है। जिला चंबा के 1631 प्री-प्राइमरी, प्राइमरी, मिडल, हाई और वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाओं में प्रतिदिन पौष्टिक भोजन बच्चों को परोसा जाता है। इनमें 1144 प्री-प्राइमरी और प्राइमरी स्कूल, 226 मिडल स्कूल और 250 उच्च और वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय शामिल हैं। इन विद्यालयों के लिए मिड-डे मील की ग्रांट अभी तक जारी नहीं हो पाई है। इससे स्कूलों में मिड-डे मील बंद होने की नौबत आ रही है।