{"_id":"69458d7e88f9406e8200040b","slug":"citu-protests-against-labour-laws-kullu-news-c-89-1-ssml1013-164487-2025-12-19","type":"story","status":"publish","title_hn":"Kullu News: श्रम कानूनों के विरोध में सीटू ने बोला हल्ला","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Kullu News: श्रम कानूनों के विरोध में सीटू ने बोला हल्ला
संवाद न्यूज एजेंसी, कुल्लू
Updated Fri, 19 Dec 2025 11:18 PM IST
विज्ञापन
कुल्लू में मागों को लेकर उपायुक्त कार्यालय के बाहर प्रदर्शन करते सीटू के कार्यकर्ता।-संवाद
विज्ञापन
कुल्लू में डीसी कार्यालय के बाहर प्रदर्शन, रैली भी निकाली
मांग, चार श्रम कोड वापस लें, मनरेगा कानून से न हो छेड़खानी
संवाद न्यूज एजेंसी
कुल्लू। केंद्र सरकार की ओर से लागू चार श्रम संहिताओं के विरोध में बुधवार को सीटू जिला कमेटी कुल्लू की ओर से मजदूर भवन से जिलाधीश कार्यालय तक रैली निकाली गई। रैली के बाद जिलाधीश कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया गया।
सीटू के जिला अध्यक्ष चमन ठाकुर और जिला महासचिव राजेश ठाकुर ने कहा कि मोदी सरकार ने मजदूरों के लंबे संघर्षों से हासिल 29 श्रम कानूनों को समाप्त कर लॉकडाउन के दौरान बनाए गए चार श्रम कोड 21 नवंबर 2025 से लागू कर दिए हैं। ये कोड मजदूरों के लोकतांत्रिक अधिकारों, सुरक्षा, वेतन और सामाजिक सुरक्षा को कमजोर करते हैं और पूंजीपति वर्ग के हित में बनाए गए हैं।
उन्होंने कहा कि इन श्रम कोड से संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों में ठेका, कांट्रेक्ट और अस्थायी रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। ट्रेड यूनियन गतिविधियां कठिन होंगी और श्रम कल्याण की अवधारणा सीमित हो जाएगी। मजदूर संगठनों के विरोध और आपत्तियों को पूरी तरह नजरअंदाज कर इन कोड को एकतरफा तरीके से लागू किया गया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार मनरेगा कानून को भी कमजोर कर रही है। हर साल योजना के बजट में कटौती की जा रही है। अब मनरेगा का नाम बदलकर विकसित भारत गारंटी रोजगार आजीविका मिशन (ग्रामीण) किया जा रहा है जिसमें केंद्र सरकार 60 प्रतिशत और राज्य सरकार को 40 प्रतिशत खर्च करना होगा। राज्य सरकारों की आर्थिक स्थिति कमजोर होने से योजना का क्रियान्वयन कठिन होगा और ग्रामीण रोजगार की गारंटी खत्म हो जाएगी। सीटू ने मांग की कि मनरेगा कानून से छेड़छाड़ बंद की जाए और इसके बजट में बढ़ोतरी की जाए। वक्ताओं ने कहा कि जब तक चारों श्रम कोड वापस नहीं लिए जाते, मजदूर वर्ग संघर्ष जारी रखेगा। प्रदर्शन में राम चंद, शेर सिंह, रामेंद्र भारद्वाज, धर्मपाल, संजय कुमार, महेश्वर, केशव, प्रवीण, अनिल कुमार और ईशरू राम सहित अन्य मजदूर नेताओं ने भाग लिया।
--
Trending Videos
मांग, चार श्रम कोड वापस लें, मनरेगा कानून से न हो छेड़खानी
संवाद न्यूज एजेंसी
कुल्लू। केंद्र सरकार की ओर से लागू चार श्रम संहिताओं के विरोध में बुधवार को सीटू जिला कमेटी कुल्लू की ओर से मजदूर भवन से जिलाधीश कार्यालय तक रैली निकाली गई। रैली के बाद जिलाधीश कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया गया।
सीटू के जिला अध्यक्ष चमन ठाकुर और जिला महासचिव राजेश ठाकुर ने कहा कि मोदी सरकार ने मजदूरों के लंबे संघर्षों से हासिल 29 श्रम कानूनों को समाप्त कर लॉकडाउन के दौरान बनाए गए चार श्रम कोड 21 नवंबर 2025 से लागू कर दिए हैं। ये कोड मजदूरों के लोकतांत्रिक अधिकारों, सुरक्षा, वेतन और सामाजिक सुरक्षा को कमजोर करते हैं और पूंजीपति वर्ग के हित में बनाए गए हैं।
विज्ञापन
विज्ञापन
उन्होंने कहा कि इन श्रम कोड से संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों में ठेका, कांट्रेक्ट और अस्थायी रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। ट्रेड यूनियन गतिविधियां कठिन होंगी और श्रम कल्याण की अवधारणा सीमित हो जाएगी। मजदूर संगठनों के विरोध और आपत्तियों को पूरी तरह नजरअंदाज कर इन कोड को एकतरफा तरीके से लागू किया गया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार मनरेगा कानून को भी कमजोर कर रही है। हर साल योजना के बजट में कटौती की जा रही है। अब मनरेगा का नाम बदलकर विकसित भारत गारंटी रोजगार आजीविका मिशन (ग्रामीण) किया जा रहा है जिसमें केंद्र सरकार 60 प्रतिशत और राज्य सरकार को 40 प्रतिशत खर्च करना होगा। राज्य सरकारों की आर्थिक स्थिति कमजोर होने से योजना का क्रियान्वयन कठिन होगा और ग्रामीण रोजगार की गारंटी खत्म हो जाएगी। सीटू ने मांग की कि मनरेगा कानून से छेड़छाड़ बंद की जाए और इसके बजट में बढ़ोतरी की जाए। वक्ताओं ने कहा कि जब तक चारों श्रम कोड वापस नहीं लिए जाते, मजदूर वर्ग संघर्ष जारी रखेगा। प्रदर्शन में राम चंद, शेर सिंह, रामेंद्र भारद्वाज, धर्मपाल, संजय कुमार, महेश्वर, केशव, प्रवीण, अनिल कुमार और ईशरू राम सहित अन्य मजदूर नेताओं ने भाग लिया।