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Solan News: कड़ाके की ठंड में खेतों में रातें काट रहे किसान, नीलगायों ने बढ़ाई मुसीबत
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नालागढ़ क्षेत्र में किसान खेत में बैठने के लिए आशियना बना कर दे रहे ठिकरी पहरा- स्रोत- ग्रामीण।
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नालागढ़ की आधा दर्जन पंचायतों में गेहूं की फसल को कर रहीं चौपट, तारबंदी भी हो रही फेल
सरकार से समस्या के स्थायी समाधान की उठाई मांग
संवाद न्यूज एजेंसी
नालागढ़ (सोलन) नालागढ़ उपमंडल में जंगल से सटी पंचायतों में इन दिनों नीलगायों का आतंक बना हुआ है। नीलगायों का झुंड रात के समय खेतों में घुसकर गेहूं की फसल को तहस-नहस कर रहा हैं। इस समस्या से परेशान किसान कड़ाके की ठंड और शीतलहर के बावजूद रातों को खेतों में ठिकरी पहरा देने को मजबूर हैं। इन पंचायतों में सबसे ज्यादा दहशत जंगल के साथ लगती पंचायत बघेरी, ढांग निहली, बरूणा, पंजेहरा, मस्तानपुरा, बगलैहड़ और बेरछा के किसान नीलगायों से सर्वाधिक परेशान हैं। किसानों का कहना है कि उन्होंने फसलों को बचाने के लिए खेतों के चारों ओर तारबंदी भी की है, लेकिन भारी-भरकम नीलगायें इसके ऊपर से छलांग लगाकर खेतों में दाखिल हो जाती हैं और सुबह तक पूरी फसल चौपट कर देती हैं। महंगे बीज पर फिर रहा पानी ढांग निहली के किसान सदा राम, पंजेहरा के राजेंद्र कुमार और बरुणा के विनोद ठाकुर सहित अन्य किसानों ने बताया कि कई क्षेत्रों में विभाग को वापस बेचने के उद्देश्य से महंगा बीज गेहूं लगाया गया है। अगर नील गायें इसी तरह फसल बर्बाद करती रहीं, तो किसानों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा। किसानों का कहना है कि अब उनके पास पूरी-पूरी रात जागकर रखवाली करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। सरकार से लगाई गुहार प्रभावित पंचायतों के प्रतिनिधियों और किसानों ने सरकार व संबंधित विभाग से मांग की है कि जंगली जानवरों के इस आतंक से उन्हें स्थायी राहत दिलाई जाए। किसानों ने नुकसान का उचित मुआवजा देने की भी अपील की है।
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सरकार से समस्या के स्थायी समाधान की उठाई मांग
संवाद न्यूज एजेंसी
नालागढ़ (सोलन) नालागढ़ उपमंडल में जंगल से सटी पंचायतों में इन दिनों नीलगायों का आतंक बना हुआ है। नीलगायों का झुंड रात के समय खेतों में घुसकर गेहूं की फसल को तहस-नहस कर रहा हैं। इस समस्या से परेशान किसान कड़ाके की ठंड और शीतलहर के बावजूद रातों को खेतों में ठिकरी पहरा देने को मजबूर हैं। इन पंचायतों में सबसे ज्यादा दहशत जंगल के साथ लगती पंचायत बघेरी, ढांग निहली, बरूणा, पंजेहरा, मस्तानपुरा, बगलैहड़ और बेरछा के किसान नीलगायों से सर्वाधिक परेशान हैं। किसानों का कहना है कि उन्होंने फसलों को बचाने के लिए खेतों के चारों ओर तारबंदी भी की है, लेकिन भारी-भरकम नीलगायें इसके ऊपर से छलांग लगाकर खेतों में दाखिल हो जाती हैं और सुबह तक पूरी फसल चौपट कर देती हैं। महंगे बीज पर फिर रहा पानी ढांग निहली के किसान सदा राम, पंजेहरा के राजेंद्र कुमार और बरुणा के विनोद ठाकुर सहित अन्य किसानों ने बताया कि कई क्षेत्रों में विभाग को वापस बेचने के उद्देश्य से महंगा बीज गेहूं लगाया गया है। अगर नील गायें इसी तरह फसल बर्बाद करती रहीं, तो किसानों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा। किसानों का कहना है कि अब उनके पास पूरी-पूरी रात जागकर रखवाली करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। सरकार से लगाई गुहार प्रभावित पंचायतों के प्रतिनिधियों और किसानों ने सरकार व संबंधित विभाग से मांग की है कि जंगली जानवरों के इस आतंक से उन्हें स्थायी राहत दिलाई जाए। किसानों ने नुकसान का उचित मुआवजा देने की भी अपील की है।