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Una News: स्कूलों में एसएमसी और पीटीए के चयन में मानकों के पालन की हिदायत
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कई स्कूलों में गुपचुप तरीके से नियुक्त की जा रही एसएमसी
विभाग ने कहा- अभिभावकों के विश्वास और अच्छे चरित्र का रखें ध्यान
विभाग की टीम स्कूलों में जाकर एसएमसी सदस्यों के बारे भी लेगी ब्योरा
संवाद न्यूज एजेंसी
ऊना। जिले के सरकारी स्कूलों में स्कूल प्रबंधन समिति (एसएमसी) और अभिभावक-शिक्षक संघ (पीटीए) के चयन में मानकों के पालन को लेकर शिक्षा निदेशालय ने नए निर्देश जारी किए हैं। निदेशालय ने स्पष्ट किया है कि एसएमसी और पीटीए के अध्यक्ष की नियुक्ति से पहले अभिभावकों से चर्चा अनिवार्य रूप से की जाए। अभिभावकों का विश्वास और समर्थन प्राप्त करने के बाद ही अध्यक्ष पद पर किसी व्यक्ति की नियुक्ति की जाए। निर्देशों में यह भी कहा गया है कि दावेदारों के चरित्र, सामाजिक व्यवहार और क्षेत्र में उनकी छवि का विशेष ध्यान रखा जाए। साथ ही चयन प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होनी चाहिए और किसी भी प्रकार के प्रभाव या पक्षपात से मुक्त रखी जाए। निदेशालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि चयनित अध्यक्ष में इतनी योग्यता अवश्य होनी चाहिए कि वह विद्यालय और विद्यार्थियों के हित में काम करते हुए शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए ठोस कदम उठा सके। शिक्षा विभाग की टीमें इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी करेंगी और स्कूलों में व्यवस्था की गुणवत्ता का मूल्यांकन करेंगी। उल्लेखनीय है कि कई सरकारी स्कूलों में अब तक केवल खानापूर्ति के लिए एसएमसी और पीटीए की कार्यकारिणी गठित की जाती रही है। कई बार अध्यक्षों की शैक्षणिक योग्यता और क्षमता को नजरअंदाज कर दिया जाता है। ऐसे मामलों पर अब शिक्षा निदेशालय ने सख्ती बरतने के निर्देश दिए हैं। जिला प्रारंभिक शिक्षा विभाग के उपनिदेशक सोमलाल धीमान ने कहा कि स्कूलों की व्यवस्थाओं में सुधार लाने में एसएमसी और पीटीए का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। उन्होंने कहा कि संस्थानों में कहां कमी है और उसमें कैसे सुधार लाना है, इसकी समझ चयनित प्रतिनिधियों में होनी चाहिए। साथ ही, एसएमसी और पीटीए का गठन केवल औपचारिकता न बनकर विद्यालय के विकास का प्रभावी माध्यम होना चाहिए।
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विभाग ने कहा- अभिभावकों के विश्वास और अच्छे चरित्र का रखें ध्यान
विभाग की टीम स्कूलों में जाकर एसएमसी सदस्यों के बारे भी लेगी ब्योरा
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ऊना। जिले के सरकारी स्कूलों में स्कूल प्रबंधन समिति (एसएमसी) और अभिभावक-शिक्षक संघ (पीटीए) के चयन में मानकों के पालन को लेकर शिक्षा निदेशालय ने नए निर्देश जारी किए हैं। निदेशालय ने स्पष्ट किया है कि एसएमसी और पीटीए के अध्यक्ष की नियुक्ति से पहले अभिभावकों से चर्चा अनिवार्य रूप से की जाए। अभिभावकों का विश्वास और समर्थन प्राप्त करने के बाद ही अध्यक्ष पद पर किसी व्यक्ति की नियुक्ति की जाए। निर्देशों में यह भी कहा गया है कि दावेदारों के चरित्र, सामाजिक व्यवहार और क्षेत्र में उनकी छवि का विशेष ध्यान रखा जाए। साथ ही चयन प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होनी चाहिए और किसी भी प्रकार के प्रभाव या पक्षपात से मुक्त रखी जाए। निदेशालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि चयनित अध्यक्ष में इतनी योग्यता अवश्य होनी चाहिए कि वह विद्यालय और विद्यार्थियों के हित में काम करते हुए शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए ठोस कदम उठा सके। शिक्षा विभाग की टीमें इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी करेंगी और स्कूलों में व्यवस्था की गुणवत्ता का मूल्यांकन करेंगी। उल्लेखनीय है कि कई सरकारी स्कूलों में अब तक केवल खानापूर्ति के लिए एसएमसी और पीटीए की कार्यकारिणी गठित की जाती रही है। कई बार अध्यक्षों की शैक्षणिक योग्यता और क्षमता को नजरअंदाज कर दिया जाता है। ऐसे मामलों पर अब शिक्षा निदेशालय ने सख्ती बरतने के निर्देश दिए हैं। जिला प्रारंभिक शिक्षा विभाग के उपनिदेशक सोमलाल धीमान ने कहा कि स्कूलों की व्यवस्थाओं में सुधार लाने में एसएमसी और पीटीए का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। उन्होंने कहा कि संस्थानों में कहां कमी है और उसमें कैसे सुधार लाना है, इसकी समझ चयनित प्रतिनिधियों में होनी चाहिए। साथ ही, एसएमसी और पीटीए का गठन केवल औपचारिकता न बनकर विद्यालय के विकास का प्रभावी माध्यम होना चाहिए।