सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   World ›   Year Ender 2025 World wars how and why politics changed the global picture of economy security News In Hindi

Year Ender 2025: टकराव और संघर्ष के नाम रहा साल 2025, कैसे तीसरे विश्व युद्ध की आहट से सहम उठी थी पूरी दुनिया?

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शुभम कुमार Updated Wed, 31 Dec 2025 12:01 PM IST
विज्ञापन
सार

साल 2025 दुनिया के लिए अशांत साबित हुआ। सीमा विवाद, पुराने दुश्मनों का आमना-सामना और आतंकवाद ने कई क्षेत्रों में हालात बिगाड़ दिए। इतना ही नहीं एक समय तो ऐसा भी आया जब पूरी दुनिया तीसरे विश्व युद्ध के खतरे से सहम उठी। थाईलैंड-कंबोडिया, इस्राइल-ईरान और भारत-पाकिस्तान तक संघर्षों ने आम लोगों की जिंदगी, वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाला। आइए साल 2025 के इन बड़े संघर्षों पर एक नजर डालते हैं?

Year Ender 2025 World wars how and why politics changed the global picture of economy security News In Hindi
संघर्षों का साल 2025 - फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

दुनिया चारो तरफ से संघर्षों से घिरी हुई है। ऐसे में लेखक और एथिक्स प्रशिक्षक नंदितेश निलय के आलेख 'बड़ी ताकतों का टकराव' की कुछ लाइनें याद आ रही है। दुनियाभर में चल रहे संघर्ष को देखते हुए उन्होंने अपने इस लेख में कहा था कि कौन फलस्तीन को समझाए, कौन इस्राइल को रोके, कौन पुतिन को बताए कि युद्ध अनवरत नहीं चलते, कौन जेलेंस्की से यह पूछे कि आम जनता को युद्ध में लगातार झोंके रहना कौन-सी नैतिक राजनीति है? संयुक्त राष्ट्र मौन है और देश सिर्फ हथियार खरीदने-बेचने में लगे हैं।
Trending Videos


हम बात जरूर साल 2025 में शुरू हुए संघर्षों और युद्धों की कर रहे, लेकिन पहले हमारे लिए ये समझना भी आवश्यक है कि आखिर इन संघर्षों की शुरुआत कैसे और क्यों हुई? हां ये अलग बात है कि अगर हम आज साल 2025 को एक शब्द में समझना चाहें तो वो शब्द होगा 'अशांत'। इसका कारण है कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में इस साल ऐसे संघर्ष देखने को मिले, जिन्होंने न सिर्फ वहां के लोगों की जिंदगी बदली, बल्कि पूरी दुनिया की राजनीति, अर्थव्यवस्था और सुरक्षा पर असर डाला।
विज्ञापन
विज्ञापन


कहीं सीमा विवाद भड़का, कहीं पुराने दुश्मन आमने-सामने आ गए, तो कहीं आतंक और जवाबी कार्रवाई ने हालात बिगाड़ दिए। थाईलैंड-कंबोडिया से लेकर इस्राइल-ईरान और भारत-पाकिस्तान तक। आइए साल 2025 के इन बड़े और घातक संघर्षों पर एक नजर डालते हैं। 

ये भी पढ़ें:- Year Ender 2025: ट्रंप की वापसी से लेकर नेपाल में ओली के तख्तापलट तक, दुनिया में 2025 के बड़े राजनीतिक बदलाव

इस साल पश्चिम एशिया की आग- इस्राइल-ईरान संघर्ष
2025 का सबसे बड़ा और खतरनाक संघर्ष इस्राइल और ईरान के बीच देखने को मिला। जब दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की आहट से सहम उठा। इस्राइल और ईरान के बीच लंबे समय से एक-दूसरे के विरोधी रहे हैं, लेकिन इस साल यह दुश्मनी सीधे युद्ध जैसे हालात में बदल गई। इस्राइल को आशंका थी कि ईरान परमाणु हथियार बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। इसी डर के चलते इस्राइल ने ईरान के कुछ सैन्य और रणनीतिक ठिकानों पर हमला किया। इसके जवाब में ईरान ने मिसाइल और ड्रोन हमलों से पलटवार किया।

क्या हुआ असर, ये भी समझिए?
इस संघर्ष के चलते कई शहरों में डर और तबाही का माहौल बना, तेल की कीमतें अचानक बढ़ने लगीं और अमेरिका और अन्य देश तनाव कम कराने में जुट गए। हालांकि कुछ दिनों बाद लड़ाई थमी, लेकिन यह साफ हो गया कि मध्य पूर्व की स्थिति अब भी बेहद नाजुक है।

भारत-पाकिस्तान; चार दिन का तनाव- परमाणु युद्ध का भी था खतरा
इसी क्रम में एक और संघर्ष तब देखने को मिला, जब आतंकियों का पनाहगाह पाकिस्तान फिर अपने नापाक मंसूबे को कायम करने के लिए आतंक के छाव में छुप गया। हालांकि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कोई नई बात नहीं है, लेकिन 2025 की शुरुआत में हालात बेहद गंभीर हो गए। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए बड़े आतंकी हमले के बाद भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत कड़ा रुख अपनाया।

हमेशा की तरह भारत ने 'आतंक के खिलाफ अपनी जीरो टॉलरेंस' नीति के तहत दुश्मनों के छक्के छुड़ाए। भारत का कहना था कि आतंकियों को सीमा पार से समर्थन मिल रहा है। इसके बाद भारत ने आतंक से जुड़े ठिकानों पर कार्रवाई की। पाकिस्तान ने भी जवाबी कदम उठाए, जिससे दोनों देशों की सेनाएं हाई अलर्ट पर आ गईं।

खतरनाक मोड़ पर था संघर्ष, कैसे?
भारत और पाकिस्तान के बीच का संघर्ष देखते ही देखते एक खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया था। चार दिनों तक सीमा पर तनाव को देखते हुए दुनियाभर की निगाहें भारत और पाकिस्तान पर थी। इसका बड़ा कारण था कि दोनों देश परमाणु शक्ति संपन्न हैं, सीमा पर आम नागरिकों में डर फैल गया और हवाई और मिसाइल सिस्टम सक्रिय कर दिए गए। चार दिन के तनाव के बाद बातचीत और अंतरराष्ट्रीय दबाव से हालात संभले, लेकिन यह घटना दुनिया को चेतावनी दे गई कि दक्षिण एशिया में शांति कितनी नाजुक है।

ये भी पढ़ें:- Year 2025: इस साल दुनियाभर में कई बीमारियों का दिखा प्रकोप, इस रोग ने बढ़ाई सबसे ज्यादा टेंशन

थाईलैंड-कंबोडिया: एशिया का भूला-बिसरा संघर्ष
जब दुनिया की नजर बड़े देशों पर थी, तब दक्षिण-पूर्व एशिया में एक पुराना विवाद फिर से हिंसा में बदल गया। थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा को लेकर लंबे समय से मतभेद थे। 2025 में यह विवाद अचानक इतना बढ़ा कि दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने आ गए। गोलीबारी हुई, बमबारी हुई और सीमा के पास रहने वाले हजारों लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हो गए।

इस संघर्ष को लेकर अहम बात थी कि थाईलैंड और कंबोडिया के बीच यह विवाद धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों से जुड़ा था। इसमें आम लोगों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ और क्षेत्रीय संगठन देशों को शांत कराने में लग गए। ऐसे में यह संघर्ष दिखाता है कि छोटे दिखने वाले विवाद भी बड़ी हिंसा में बदल सकते हैं।

अफ्रीका में जारी संघर्ष: दुनिया का अनदेखा दर्द
2025 में अफ्रीका के कई देशों में हिंसा और गृहयुद्ध जारी रहे। इन संघर्षों को अक्सर वैश्विक मीडिया में उतनी जगह नहीं मिलती, लेकिन वहां के लोगों के लिए यह रोजमर्रा की त्रासदी है। कुछ देशों में सरकार और सशस्त्र समूहों के बीच लड़ाई चलती रही। कहीं सत्ता की लड़ाई थी, तो कहीं संसाधनों और जातीय तनाव ने हालात बिगाड़े। परिणाम स्वरूप लाखों लोग शरणार्थी बने, चारों ओर भुखमरी और बीमारी फैली बच्चों और महिलाओं पर सबसे ज्यादा असर पड़ा। ऐसे में यह संघर्ष दुनिया को यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या सभी संकटों को बराबर गंभीरता से देखा जाता है?

2025 के संघर्षों का वैश्विक असर
इन सभी संघर्षों ने मिलकर दुनिया को कई तरह से प्रभावित किया, जिसका सबसे ज्यादा असर आम इंसानों के जीवन पर पड़ा। 2025 के वैश्विक संघर्षों में सबसे गहरी चोट आम लोगों पर पड़ी, जहां लाखों परिवार बेघर हुए, रोजगार छिने और अनिश्चित भविष्य ने मानवीय संकट को और गहरा कर दिया।

वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
दूसरी ओर इन संघर्षों के चलते वैश्विक अर्थव्यस्था भी प्रभावित रहीं। तेल, गैस, खाद्य पदार्थों और जरूरी वस्तुओं की कीमतों में तेज बढ़ोतरी हुई, जिसका सबसे गंभीर असर गरीब और विकासशील देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ा। इतना ही नहीं लगातार बढ़ते तनाव ने देशों के बीच भरोसे को कमजोर किया, सैन्य खर्च में इजाफा हुआ और शांति वार्ताएं पहले से कहीं अधिक जटिल और कठिन होती चली गईं।

2025 से हमें क्या सीखना चाहिए?
साल के अंत में जब हम इस बात पर जोर देंगे कि आखिर हमें साल 2025 से क्या सीखना चाहिए। तो इसके लिए हमें ये समझना होगा कि आखिर हमें कैसी दुनिया और कैसा समाज चाहिए। इस बात को अगर नंदितेश निलय के लेख के माध्यम से समझने की कोशिश करें तो उन्होंने अपने आलेख में इन बातों को ऐसे समझाया है कि यूनानी दार्शनिक सुकरात, प्लेटो और अरस्तु से लेकर मैकियावेली, हॉब्स और कांट तक, सभी राजनीतिक दार्शनिकों और वैज्ञानिकों ने नैतिकता और राजनीति के बीच संबंधों के बारे में अपने विचारों को प्रस्तुत किया है। प्रश्न यह है कि क्या हमें अत्यधिक नैतिक राजनीति की आवश्यकता है, जो यूटोपियनवाद की ओर प्रवृत्त हो, या उस अत्यधिक राजनीतिक नैतिकता की, जो प्रामाणिक नैतिकता को पूरी तरह से ही त्याग दे। जरूरत है कि हम नैतिक मानक के मूल घटकों को निर्धारित करके संतुलन खोजने की कोशिश करें, जिससे हमें नैतिकता और राजनीति के बीच तनाव को कम करने में मदद मिल सकती है।

आज जरूरत है उस भरोसे की कि यह दुनिया सभी की है और अपने देश और दुनिया के प्रति निष्ठा रखना भी इन्सानी इकबाल ही है। गर दुनिया का नेतृत्व राजनीति और नैतिकता को एक अच्छी दुनिया का साथी माने और अपने देश को मानवीयता के भाव में रखना चाहे, तो फिर पृथ्वी मनुष्य की नैतिकता के लिए स्वर्ग बन जाएगी और फिर फिरदौस की आवाज कुछ यों प्रतिध्वनित होगी 'गर फिरदौस बर रूए जमीं अस्त, हमीं अस्तो, हमीं अस्तो, हमीं'।

अन्य वीडियो
विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get latest World News headlines in Hindi related political news, sports news, Business news all breaking news and live updates. Stay updated with us for all latest Hindi news.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed