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गलत निर्वासन से अदालत तक: किल्मार अब्रेगो गार्सिया मामले में घिरा ट्रंप प्रशासन, अप्रवासन नीति पर फिर उठे सवाल

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वॉशिंगटन Published by: शुभम कुमार Updated Wed, 31 Dec 2025 07:38 AM IST
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सार

एल सल्वाडोर के नागरिक किल्मार अब्रेगो गार्सिया का मामला अमेरिका की अप्रवासन नीति पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। गलती से डिपोर्ट किए जाने और जेल भेजे जाने के बाद अदालत ने उसे वापस बुलाया। अब सरकार ने भरोसा दिया है कि जज के आदेश तक उसे हिरासत में नहीं लिया जाएगा। 

US Trump administration embroiled in Kilmar Abrego Garcia case raising questions about immigration policies
डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिकी राष्ट्रपति - फोटो : ANI
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विस्तार
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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अप्रवासन नीति एक बार फिर सवालों के घेरे में है। एल सल्वाडोर के नागरिक किल्मार अब्रेगो गार्सिया को गलती से उनके देश भेज दिया गया, जहां उन्हें जेल में रहना पड़ा। ऐसे में अब अदालत के आदेश के बाद अमेरिकी अधिकारियों ने भरोसा दिलाया है कि उन्हें दोबारा हिरासत में नहीं लिया जाएगा। यह बात मंगलवार को कोर्ट में दाखिल एक सरकारी दस्तावेज में कही गई। यह मामला न सिर्फ एक व्यक्ति की लड़ाई है, बल्कि अमेरिका की अप्रवासन व्यवस्था की बड़ी परीक्षा भी बन गया है।

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बता दें कि किल्मार अब्रेगो गार्सिया एल सल्वाडोर का नागरिक है। उनका मामला अमेरिका में अप्रवासन को लेकर चल रही बहस का बड़ा मुद्दा बन गया है। गलती से उन्हें एल सल्वाडोर वापस भेज दिया गया था, जहां उसे जेल में डाल दिया गया। बाद में अदालत ने इस निर्वासन को गलत माना और उसे अमेरिका वापस लाने का आदेश दिया। अब इस मामले में 28 जनवरी को सुनवाई होगी। जहां कोर्ट तय करेगा कि यह केस बदले की भावना से चलाया गया या नहीं। 
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गैंग सदस्य होने का आरोप, लेकिन कोई रिकॉर्ड नहीं
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने अब्रेगो गार्सिया पर MS-13 गैंग का सदस्य होने का आरोप लगाया है। लेकिन अब्रेगो गार्सिया ने इन आरोपों को पूरी तरह नकारा है। उसके खिलाफ कोई आपराधिक रिकॉर्ड भी नहीं है। हालांकि इस महीने की शुरुआत में यूएस डिस्ट्रिक्ट जज पाउला जिनिस ने सवाल उठाया था कि क्या सरकार सच में उनके उस आदेश का पालन करेगी, जिसमें कहा गया था कि अब्रेगो गार्सिया को न तो हिरासत में लिया जाए और न ही देश से निकाला जाए।

गलत डिपोर्टेशन के बाद ही केस क्यों?
इस बात को ऐसे समझा जा सकता है कि इस मामले में अब एक और बड़ा खुलासा हुआ है। एक सील बंद आदेश, जिसे अब सार्वजनिक किया गया है, उससे पता चला कि जस्टिस डिपार्टमेंट के बड़े अधिकारियों ने अब्रेगो गार्सिया के खिलाफ केस को 'सर्वोच्च प्राथमिकता' बताया था। यह सब उसके गलत डिपोर्टेशन के बाद हुआ।

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मानव तस्करी का केस और उसका बचाव
इतना ही नहीं अब्रेगो गार्सिया पर मानव तस्करी का मामला टेनेसी की एक घटना से जुड़ा है, जहां 2022 में स्पीडिंग के दौरान रोके जाने पर उसकी कार में नौ लोग सवार पाए गए थे। पुलिस ने आपस में तस्करी की आशंका पर चर्चा जरूर की, लेकिन कोई केस दर्ज नहीं हुआ और उसे केवल चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। बाद में मामला होमलैंड सिक्योरिटी को सौंपा गया, लेकिन 2025 तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।

2025 में अचानक चार्ज क्यों?
गौरतलब है कि अब्रेगो गार्सिया का आरोप है कि उसे जानबूझकर फंसाया जा रहा है और उसके खिलाफ चल रहा मानव तस्करी का मामला सरकार की बदले की कार्रवाई है, क्योंकि प्रशासन को उसकी गलत डिपोर्टेशन को लेकर शर्मिंदगी झेलनी पड़ी। इसी आधार पर उसने कोर्ट से केस रद्द करने की मांग की है।

वहीं दूसरी ओर मामले की सुनवाई कर रहे जज वेवरली क्रेंशॉ ने भी संदेह जताया है कि अब्रेगो गार्सिया पर मुकदमा चलाने का फैसला किसी एक व्यक्ति ने नहीं, बल्कि जस्टिस डिपार्टमेंट के ऊपरी अधिकारियों की सहमति से लिया गया। जज ने एक ईमेल का हवाला दिया, जिसमें डिप्टी अटॉर्नी जनरल टॉड ब्लांश की ओर से गार्सिया पर जल्द से जल्द आरोप लगाने की इच्छा जताई गई थी।

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