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ED: मोदी सरकार 1.0 में ईडी केस 791 तो दूसरे कार्यकाल में 5521 पर पहुंचे मामले, 10 साल में केवल 120 लोग दोषी

डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: राहुल कुमार Updated Mon, 01 Dec 2025 05:51 PM IST
सार

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में यानी 2014 से लेकर 2019 तक ईडी द्वारा दर्ज किए गए केसों की संख्या 791 थी। दूसरे कार्यकाल 2020 से 2025 तक ईडी ने जो केस दर्ज किए, उनकी संख्या 5521 थी। खास बात है कि विगत 10 साल में केवल 120 लोग ही दोषी ठहराए जा सके हैं।

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791 ED cases in Modi government 1st term, 5521 in second term, only 120 people convicted in 10 years
ईडी - फोटो : ANI
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विस्तार
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प्रवर्तन निदेशालय 'ईडी', जिसकी कार्रवाई को लेकर विपक्षी दल, केंद्र सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाते रहते हैं। विपक्ष द्वारा जांच एजेंसी पर कई तरह के सवाल उठाए जाते हैं। सोमवार को संसद के शीतकालीन सत्र में पूछे गए एक सवाल ने विपक्ष को हैरान कर दिया है। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में यानी 2014 से लेकर 2019 तक ईडी द्वारा दर्ज किए गए केसों की संख्या 791 थी। दूसरे कार्यकाल 2020 से 2025 तक ईडी ने जो केस दर्ज किए, उनकी संख्या 5521 थी। खास बात है कि विगत 10 साल में केवल 120 लोग ही दोषी ठहराए जा सके हैं। धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) की शुरुआत, एक जुलाई 2005 से लेकर 31 जुलाई 2019 तक 1185 मामले बंद किए गए।

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मोदी सरकार का पहला कार्यकाल
वित्त मंत्रालय के मुताबिक, एक जून 2014 से लेकर 31 मार्च 2015 तक पीएमएलए के तहत 179 मामले दर्ज किए गए थे। इनमें से दर्ज किए गए मुख्य अभियोजन शिकायतों की संख्या 55 रही। दर्ज किए गए पूरक अभियोजन शिकायतों की संख्या 4 रही है। विशेष न्यायालय पीएमएलए द्वारा दोषी ठहराए गए अभियुक्तों की संख्या 'शून्य' रही है। एक अप्रैल 2015 से लेकर 31 मार्च 2016 के बीच पीएमएलए के तहत दर्ज मामलों की संख्या 110 थी। इस अवधि में मुख्य अभियोजन शिकायतों की संख्या 57 और दर्ज किए गए पूरक अभियोजन शिकायतों की संख्या 11 रही थी।  एक अप्रैल 2018 से लेकर 31 मार्च 2019 तक 152 मामले दर्ज किए गए। इस अवधि में मुख्य अभियोजन शिकायतों की संख्या 234 और दर्ज किए गए पूरक अभियोजन शिकायतों की संख्या 59 रही थी। इस दौरान विशेष न्यायालय पीएमएलए द्वारा दोषी ठहराए गए अभियुक्तों की संख्या '8' रही है। 
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दूसरे कार्यकाल में दर्ज हुए इतने केस
एक अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2020 तक 557 केस दर्ज किए गए, जिनमें मुख्य अभियोजन शिकायतों की संख्या 55 और दर्ज किए गए पूरक अभियोजन शिकायतों की संख्या 28 रही थी। उक्त अवधि में विशेष न्यायालय पीएमएलए द्वारा दोषी ठहराए गए अभियुक्तों की संख्या '7' रही है। 

एक अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2021 तक 996 केस दर्ज किए गए, जिनमें मुख्य अभियोजन शिकायतों की संख्या 140 और दर्ज किए गए पूरक अभियोजन शिकायतों की संख्या 39 रही थी। उक्त अवधि में विशेष न्यायालय पीएमएलए द्वारा दोषी ठहराए गए अभियुक्तों की संख्या '1' रही है। इसके अगले वर्ष यानी एक अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2022 तक 1116 केस दर्ज किए गए, जिनमें मुख्य अभियोजन शिकायतों की संख्या 128 और दर्ज किए गए पूरक अभियोजन शिकायतों की संख्या 46 रही थी। उक्त अवधि में विशेष न्यायालय पीएमएलए द्वारा दोषी ठहराए गए अभियुक्तों की संख्या '4' रही है।

एक अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2023 तक 953 केस दर्ज किए गए, जिनमें मुख्य अभियोजन शिकायतों की संख्या 172 और दर्ज किए गए पूरक अभियोजन शिकायतों की संख्या 61 रही थी। उक्त अवधि में विशेष न्यायालय पीएमएलए द्वारा दोषी ठहराए गए अभियुक्तों की संख्या '24' रही है। एक अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 तक 698 केस दर्ज किए गए, जिनमें मुख्य अभियोजन शिकायतों की संख्या 281 और दर्ज किए गए पूरक अभियोजन शिकायतों की संख्या 100 रही थी। उक्त अवधि में विशेष न्यायालय पीएमएलए द्वारा दोषी ठहराए गए अभियुक्तों की संख्या '19' रही है। 

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इतने ठहराए गए दोषी
एक अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 तक 775 केस दर्ज किए गए, जिनमें मुख्य अभियोजन शिकायतों की संख्या 333 और दर्ज किए गए पूरक अभियोजन शिकायतों की संख्या 124 रही थी। उक्त अवधि में विशेष न्यायालय पीएमएलए द्वारा दोषी ठहराए गए अभियुक्तों की संख्या '38' रही है। इससे आगे, एक अप्रैल 2025 से 31 अक्तूबर 2025 तक 426 केस दर्ज किए गए, जिनमें मुख्य अभियोजन शिकायतों की संख्या 159 और दर्ज किए गए पूरक अभियोजन शिकायतों की संख्या 66 रही थी। उक्त अवधि में विशेष न्यायालय पीएमएलए द्वारा दोषी ठहराए गए अभियुक्तों की संख्या '15' रही है। 

साल 2014 से 2025 तक पीएमएलए के तहत दर्ज केसों की संख्या 6312 रही है। उक्त अवधि में मुख्य अभियोजन शिकायतों की संख्या 1805 और दर्ज किए गए पूरक अभियोजन शिकायतों की संख्या 568 रही थी। 2014 से अब तक विशेष न्यायालय पीएमएलए द्वारा दोषी ठहराए गए अभियुक्तों की संख्या '120' रही है। सोमवार को संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन लोकसभा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने यह सवाल पूछा था। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने उक्त जवाब दिया है।

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