Malaria Vaccine Production: उन्नत मलेरिया वैक्सीन के व्यावसायिक उत्पादन की तैयारी, ICMR ने मांगे आवेदन; जानिए
आईसीएमआर ने उन्नत मलेरिया वैक्सीन के वाणिज्यिक उत्पादन के लिए इच्छुक संस्थाओं को आमंत्रित किया है है। इच्छुक संस्थाएं निर्धारित समयावधि में ICMR के पास अपनी रुचि (EoI) प्रस्तुत कर सकती हैं। जानिए पूरा मामला...
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भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने मलेरिया की रोकथाम के लिए एक उन्नत वैक्सीन उत्पादन की पहल की है। इस वैक्सीन का नाम AdFalciVax है। इसके वाणिज्यिक उत्पादन के लिए ICMR ने योग्य संगठनों, कंपनियों और टीका विनिर्माताओं से आवेदन यानी एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट (Expression of Interest alias EoI) आमंत्रित किया है।
दरअसल, आईसीएमआर ने भुवनेश्वर स्थित क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र (RMRC) के साथ मिलकर मलेरिया की रोकथाम के लिए एक उन्नत वैक्सीन विकसित की है। वैज्ञानिकों के मुताबिक वैक्सीन प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम संक्रमण को रोक सकती है। इसकी मदद से सामुदायिक स्तर पर मलेरिया फैलने से रोका जा सकता है। प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम देश में मलेरिया का सबसे घातक प्रकार माना जाता है।
वैज्ञानिकों और टीके को विकसित करने की प्रक्रिया से जुड़े लोगों के मुताबिक फिलहाल एडफाल्सीवैक्स एक रिकॉम्बिनेंट काइमेरिक मल्टी-स्टेज मलेरिया वैक्सीन है। टीके का प्री-क्लिनिकल वैलिडेशन के लिए इन संस्थानों ने मिलकर काम किया:
- ICMR-राष्ट्रीय मलेरिया अनुसंधान संस्थान (ICMR-NIMR)।
- ICMR के तहत आने वाले अन्य घटक संस्थान।
- राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी।
बता दें कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी, भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग का एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान है।
वैक्सीन उत्पादन को लेकर मिली जानकारी के मुताबिक वैक्सीन के उत्पादन के सभी चरणों में विशेषज्ञ मार्गदर्शन भुवनेश्वर की संस्था ICMR-RMRC की तरफ से दिया जाएगा। यहां से तकनीकी सहायता भी मिलेगी। इस पहलू पर टीका बनाने वाले लोगों का मानना है कि इससे वैक्सीन उत्पादन और वाणिज्यिकरण की प्रक्रिया तेज होगी। ICMR के अनुभवी वैज्ञानिक टीके से जुड़े अनुसंधान की योजना बनाने में कंपनियों की मदद करेंगे। टीके के उत्पादन, अध्ययन के लिए प्रोटोकॉल तैयार करने, रिसर्च के परिणामों का विश्लेषण, टीका कितना असरदार है? इसका जवाब तलाशने में भी ICMR कंपनियों की मदद करेगी।
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इससे एक दिन पहले आई खबर के मुताबिक वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताई कि भारत में डेंगू से पहले मलेरिया रोग का खात्मा हो सकेगा। भारतीय वैज्ञानिकों ने मलेरिया रोग के खिलाफ पहला स्वदेशी टीका तैयार कर लिया है जो न केवल संक्रमण बल्कि उसके समुदाय में प्रसार पर भी रोक लगाने में सक्षम है।
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आईसीएमआर ने बताया कि मलेरिया के लिए टीके की खोज पूरी हो चुकी है। इसे फिलहाल एडफाल्सीवैक्स नाम दिया है, जो मलेरिया परजीवी प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम के खिलाफ पूरी तरह असरदार पाया गया है। आईसीएमआर और भुवनेश्वर स्थित क्षेत्रीय चिकित्सा अनुसंधान केंद्र (आरएमआरसी) के शोधकर्ताओं ने मिलकर यह स्वदेशी टीका तैयार किया है।