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चुनाव से पहले यूपी पर महामंथन: लखनऊ से लौटे बीएल संतोष, शुरू हुई प्रदेश के नेताओं की दिल्ली परिक्रमा
सार
बिहार चुनाव के बाद भाजपा अब पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के चुनाव की तैयारी में जुट गई है। पार्टी के संगठन महामंत्री बीएल संतोष दो दिन लखनऊ में रहे। वहां से आकर उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व को अपना फीडबैक दिया है। पढ़ें भाजपा की चुनाव तैयारियों से जुड़ी ये रिपोर्ट...
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बीएल संतोष
- फोटो : Amar Ujala, ANI
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विस्तार
प्रधानमंत्री के दफ्तर में बड़ी हलचल थी। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह और लखनऊ से लौटकर संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने लंबी मंत्रणा की। यह मंत्रणा अमित शाह के साथ अलग से हुई। संसद भवन में शाह के कमरे में दिनभर हलचल, मुलाकात का दौर चला। उधर बीएल संतोष लौटकर आए तो पीछे-पीछे भाजपा के कई नेता, विधायक भी दिल्ली आ गए हैं। कारण साफ है, उत्तर प्रदेश को लेकर महामंथन चल रहा है।
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उत्तर प्रदेश के साथ-साथ भाजपा का फोकस पश्चिम बंगाल पर है। पश्चिम बंगाल में भाजपा के प्रभारी सुनील बंसल, सह प्रभारी अमित मालवीय कड़ी मेहनत कर रहे हैं। केन्द्रीय नेतृत्व इस समय पूर्व अध्यक्ष दिलीप घोष को भी काफी महत्व दे रहा है। राज्य में चुनाव पूर्व की तैयारियों के सिलसिले में आज सुवेन्दु अधिकारी ने केन्द्रीय गृहमंत्री अमति शाह से भेंट की।
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उत्तर प्रदेश में क्या होगा बदलाव?
भाजपा को नया प्रदेश अध्यक्ष मिलेगा। प्रदेश अध्यक्ष या तो अगड़ी जाति (ब्राह्मण) का या फिर अन्य पिछड़े वर्ग का होने के आसार अधिक हैं। लेकिन प्रदेश सरकार के आधा दर्जन से अधिक मंत्री और कई दर्जन विधायक इतने भर से संतुष्ट नहीं है। सपा से भाजपा में आए ऊंचाहार विधायक मनोज पांडे खुद कहते हैं कि उनके जिले में भाजपा की स्थिति बहुत कमजोर है। पूरे प्रदेश में ब्राह्मण, अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति बहुत उपेक्षित महसूस कर रही है। बदलापुर से विधायक रमेश मिश्रा भी केन्द्रीय मंत्री अश्विन वैष्णव समेत अन्य से मिले हैं। मनोज पांडे भी अश्विन वैष्णव से मिलने के लिए कतार में थे। उत्तर प्रदेश के एक और बड़े नेता दिल्ली में हैं और केन्द्रीय नेताओं से मिलने का समय मांगा है। उनकी मांग है कि केन्द्रीय नेतृत्व राज्य में कुछ बड़ा कदम उठाए।
भाजपा को नया प्रदेश अध्यक्ष मिलेगा। प्रदेश अध्यक्ष या तो अगड़ी जाति (ब्राह्मण) का या फिर अन्य पिछड़े वर्ग का होने के आसार अधिक हैं। लेकिन प्रदेश सरकार के आधा दर्जन से अधिक मंत्री और कई दर्जन विधायक इतने भर से संतुष्ट नहीं है। सपा से भाजपा में आए ऊंचाहार विधायक मनोज पांडे खुद कहते हैं कि उनके जिले में भाजपा की स्थिति बहुत कमजोर है। पूरे प्रदेश में ब्राह्मण, अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति बहुत उपेक्षित महसूस कर रही है। बदलापुर से विधायक रमेश मिश्रा भी केन्द्रीय मंत्री अश्विन वैष्णव समेत अन्य से मिले हैं। मनोज पांडे भी अश्विन वैष्णव से मिलने के लिए कतार में थे। उत्तर प्रदेश के एक और बड़े नेता दिल्ली में हैं और केन्द्रीय नेताओं से मिलने का समय मांगा है। उनकी मांग है कि केन्द्रीय नेतृत्व राज्य में कुछ बड़ा कदम उठाए।
केशव प्रसाद मौर्य को सुन रही है दिल्ली
केशव प्रसाद मौर्य की व्यथा है कि उन्हें नहीं सुना गया। नतीजतन मौर्य समेत अन्य पिछड़ा वर्ग का वोट समाजवादी पार्टी में चला गया। केशव की टीम कहती है कि मौजूदा हालात बने रहे तो 2027 में उत्तर प्रदेश में ‘किला फतह’ में मुश्किल आएगी। मौर्य के पास केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह का मजबूत भरोसा है। अभी कुछ दिन पहले केशव प्रसाद मौर्य ने अपनी एक और शिकायत दिल्ली पहुंचाई थी। इसमें उन्होंने मुख्यमंत्री आवास पर होने वाली कैबिनेट की बैठक को टारगेट किया था। केशव की शिकायत थी बिना उनकी उपलब्धता को जाने समझे मुख्यमंत्री का कार्यालय कैबिनेट की बैठक का कार्यक्रम तय कर देता है। नतीजतन उनके लखनऊ से बाहर होने के कारण वह इसमें उपस्थिति नहीं हो पा रहे हैं। दिल्ली ने इस शिकायत को संज्ञान लेने के लिए कहा। उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक भी अपनी आवाज पहुंचा रहे हैं।
केशव प्रसाद मौर्य की व्यथा है कि उन्हें नहीं सुना गया। नतीजतन मौर्य समेत अन्य पिछड़ा वर्ग का वोट समाजवादी पार्टी में चला गया। केशव की टीम कहती है कि मौजूदा हालात बने रहे तो 2027 में उत्तर प्रदेश में ‘किला फतह’ में मुश्किल आएगी। मौर्य के पास केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह का मजबूत भरोसा है। अभी कुछ दिन पहले केशव प्रसाद मौर्य ने अपनी एक और शिकायत दिल्ली पहुंचाई थी। इसमें उन्होंने मुख्यमंत्री आवास पर होने वाली कैबिनेट की बैठक को टारगेट किया था। केशव की शिकायत थी बिना उनकी उपलब्धता को जाने समझे मुख्यमंत्री का कार्यालय कैबिनेट की बैठक का कार्यक्रम तय कर देता है। नतीजतन उनके लखनऊ से बाहर होने के कारण वह इसमें उपस्थिति नहीं हो पा रहे हैं। दिल्ली ने इस शिकायत को संज्ञान लेने के लिए कहा। उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक भी अपनी आवाज पहुंचा रहे हैं।
भाजपा का लक्ष्य क्या है?
2027 में भाजपा उत्तर प्रदेश में हैट्रिक लगाने के लिए उतरेगी। राज्य विधानसभा का यह चुनाव 14 महीने बाद प्रस्तावित है। इसलिए पार्टी का लक्ष्य संगठन और सरकार में तालमेल बनाकर 2027 के चुनाव में आसानी से सफलता पाने का है। संगठन से सरकार को लेकर जमीनी स्तर पर तरह-तरह के संकेत आ रहे हैं। इन संकेतों में ब्राह्मण, पिछड़ा और अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को साधना चुनौतीपूर्ण बताया जा रहा है। राज्य में मतदाता सूची का गहन पुर्नरीक्षण चल रहा है। प्रदेश सरकार में सहयोगी दल भी खुश नहीं दिखाई दे रहे हैं। इसलिए भाजपा समय रहते इन सभी लक्ष्यों को साधना चाहती है।
2027 में भाजपा उत्तर प्रदेश में हैट्रिक लगाने के लिए उतरेगी। राज्य विधानसभा का यह चुनाव 14 महीने बाद प्रस्तावित है। इसलिए पार्टी का लक्ष्य संगठन और सरकार में तालमेल बनाकर 2027 के चुनाव में आसानी से सफलता पाने का है। संगठन से सरकार को लेकर जमीनी स्तर पर तरह-तरह के संकेत आ रहे हैं। इन संकेतों में ब्राह्मण, पिछड़ा और अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को साधना चुनौतीपूर्ण बताया जा रहा है। राज्य में मतदाता सूची का गहन पुर्नरीक्षण चल रहा है। प्रदेश सरकार में सहयोगी दल भी खुश नहीं दिखाई दे रहे हैं। इसलिए भाजपा समय रहते इन सभी लक्ष्यों को साधना चाहती है।
बीएल संतोष ने दो दिन की मैराथन बैठक
भाजपा के संगठन मंत्री बीएस संतोष लखनऊ के प्रवास पर थे। उन्होंने संगठन के सभी कील कांटों को ठीक करने के इरादे से वहां व्यापक मंथन किया। पहले संगठन के नेताओं से मिले। सरकार के लोगों को भी सुना। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास 5, कालिदास मार्ग पर लंबी बैठक चली। इस बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दोनों उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी, संगठन महामंत्री धर्मपाल सैनी समेत अन्य मौजूद थे। माना जा रहा है कि इस बैठक में सरकार के कामकाज के साथ-साथ संगठन की समीक्षा की गई। आगे के रोड-मैप, आपसी तालमेल बढ़ाने, सरकार और संगठन के मिलकर एकजुटता से काम करने के उपायों पर जोर दिया गया। 2027 की चुनौतियों को देखते हुए भी चर्चा हुई। लखनऊ से संगठन महामंत्री एक बड़ा ‘फीडबैक’लेकर लौटे हैं। इस फीडबैक पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के बीच में संसद भवन में विचारों का साझा किया
भाजपा के संगठन मंत्री बीएस संतोष लखनऊ के प्रवास पर थे। उन्होंने संगठन के सभी कील कांटों को ठीक करने के इरादे से वहां व्यापक मंथन किया। पहले संगठन के नेताओं से मिले। सरकार के लोगों को भी सुना। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास 5, कालिदास मार्ग पर लंबी बैठक चली। इस बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दोनों उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी, संगठन महामंत्री धर्मपाल सैनी समेत अन्य मौजूद थे। माना जा रहा है कि इस बैठक में सरकार के कामकाज के साथ-साथ संगठन की समीक्षा की गई। आगे के रोड-मैप, आपसी तालमेल बढ़ाने, सरकार और संगठन के मिलकर एकजुटता से काम करने के उपायों पर जोर दिया गया। 2027 की चुनौतियों को देखते हुए भी चर्चा हुई। लखनऊ से संगठन महामंत्री एक बड़ा ‘फीडबैक’लेकर लौटे हैं। इस फीडबैक पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के बीच में संसद भवन में विचारों का साझा किया
उत्तर प्रदेश और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अब राष्ट्रीय राजनीति का बड़ा चेहरा हैं। संघ प्रमुख मोहन भागवत योगी आदित्यनाथ से स्नेह रखते हैं। राज्य में मुख्यमंत्री का ठोस जनाधार है। इसलिए राज्य और खासकर सरकार में वही बदलाव हो सकते हैं, जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को स्वीकार करने में कोई विशेष कठिनाई न हो। नाम न छापने की शर्त पर संघ के लखनऊ के एक बड़े नेता कहते हैं कि आगे के संगठनात्मक या राज्य सरकार में कोई बदलाव की स्थिति मुख्यमंत्री को विश्वास में लेकर ही संभव है। भाजपा के बनारस प्रांत के एक और बड़े नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री को साथ लेकर बड़े प्रयास से संगठन और सरकार में सब ठीक कर लिया जाएगा। सूत्र का कहना है कि चुनाव में अभी एक साल का समय है और एक साल का समय बहुत होता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अब राष्ट्रीय राजनीति का बड़ा चेहरा हैं। संघ प्रमुख मोहन भागवत योगी आदित्यनाथ से स्नेह रखते हैं। राज्य में मुख्यमंत्री का ठोस जनाधार है। इसलिए राज्य और खासकर सरकार में वही बदलाव हो सकते हैं, जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को स्वीकार करने में कोई विशेष कठिनाई न हो। नाम न छापने की शर्त पर संघ के लखनऊ के एक बड़े नेता कहते हैं कि आगे के संगठनात्मक या राज्य सरकार में कोई बदलाव की स्थिति मुख्यमंत्री को विश्वास में लेकर ही संभव है। भाजपा के बनारस प्रांत के एक और बड़े नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री को साथ लेकर बड़े प्रयास से संगठन और सरकार में सब ठीक कर लिया जाएगा। सूत्र का कहना है कि चुनाव में अभी एक साल का समय है और एक साल का समय बहुत होता है।