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Samwad: 'शुद्ध हवा, आहार, पानी हमारा सांविधानिक अधिकार है, फिर भी हम जहर पी रहे', संवाद के मंच पर बाबा रामदेव

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, गुरुग्राम / नई दिल्ली। Published by: निर्मल कांत Updated Wed, 17 Dec 2025 03:43 PM IST
सार

Amar Ujala Samwad Haryana: अमर उजाला संवाद हरियाणा के मंच पर योग गुरु स्वामी रामदेव ने योग की संस्कृति के साथ-साथ 'सनातन की बात' विषय पर विस्तृत बातचीत की। उन्होंने अमर उजाला के मंच पर प्राणायाम और योगाभ्यास करके भी दिखाया। उन्होंने दिल्ली-एनसीआर के वायु प्रदूषण पर भी बात की। जानिए स्वामी रामदेव ने किन बातों पर दिया विशेष जोर।
हरियाणा में सजा अमर उजाला संवाद का मंच: सियासत, खेल, वेद, अध्यात्म और सेना से जुड़े विषयों पर मंथन

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Amar Ujala Samwad Haryana Yoga Guru Swami Ramdev Talk Sanatan ki baat and patanjali activity hindi news update
अमर उजाला संवाद - फोटो : amarujala.com
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विस्तार
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योगगुरु रामदेव अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। योग और आयुर्वेद को घर-घर में लोकप्रिय बनाने वाले रामदेव लगातार बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य और राजनीतिक मुद्दों पर भी उतनी ही मुखरता से बात करते हैं, जितनी संस्कृति और शिक्षा पर करते हैं। वे अक्सर वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका को लेकर भी बातचीत करते हैं। आज हरियाणा के गुरुग्राम में उन्होंने योग की संस्कृति और 'सनातन की बात' विषय पर विस्तार से अपनी बातें रखीं। अमर उजाला डिजिटल के संपादक जयदीप कर्णिक के साथ संवाद के दौरान स्वामी रामदेव ने शुद्ध हवा को सांविधानिक अधिकार बताया। जानिए रामदेव ने किन बातों पर दिया विशेष जोर

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वायु प्रदूषण और सांस की समस्या से कैसे निपटें?
योग और प्राणायाम पर चर्चा से पहले योगगुरु रामदेव ने अमर उजाला के मंच पर प्राणायाम और योगाभ्यास कर फिटनेस का संदेश भी दिया। उन्होंने बताया कि कपालभाति, अनुलोम-विलोम जैसे विकल्पों को अपनाकर हम वायु प्रदूषण की चुनौती से निपट सकते हैं। उन्होंने भ्रामरी और उद्गीथ प्राणायाम आदि का जिक्र करते हुए कहा कि इससे हमारे कार्यक्रम का मंगलाचरण बेहतरीन तरीके से हुआ है। योगगुरु ने कहा कि लंबी सांस लेने से फेफड़े ताकतवर होते हैं। जिनके फेफड़े मजबूत होंगे उनपर कोई प्रदूषण असर नहीं डालता। इससे सर्दी-जुकाम, बुखार कुछ भी नहीं होता। एक होता है बीएमआई एक होता है बीआरआई। यह सही संतुलन में होना चाहिए।
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दिल्ली-एनसीआर जैसे एक्यूआई में प्राणायाम करना चाहिए या नहीं?
योग गुरु बाबा रामदेव ने योग और सनातन पर बात की। उन्होंने कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि प्रदूषण ज्यादा है। लंबी सांस लीजिए। जिसके फेफड़े कमजोर हैं, प्रदूषण उसके भीतर जमा रहता है। सुबह उठते ही जोर से सांस लेनी चाहिए। 365 दिन ऐसा करना चाहिए। जब सकारात्मक मन के साथ श्वास लेते हैं तो सिर्फ ऑक्सीजन नहीं भरती, दिव्यता शरीर में भर जाती है। पांच मिनट का कपालभाति भी करनी चाहिए। इसे शरीर का 'मध्य प्रदेश' अच्छा हो जाता है। सभी का पेट इतना होना चाहिए कि पेट अंदर खींचे तो पसलियां दिखें। बॉडी राउंड इंडेक्स ऐसा ही होना चाहिए। सीधे के साथ-साथ उल्टे चलें। तीन तरह के प्राणायाम करें। ये सब करने से शरीर ऑटो पायलट मोड में आ जाता है। शुद्ध हवा हमारा सांविधानिक अधिकार है। लेकिन हम जहर पीने को मजबूर हैं। एक्यूआई में तीन चीजें हैं। इसमें कार्बन, धुंल और अन्य चीजें हैं। आप कमरे बंद करके पर्दे लगाकर प्राणायाम करें। इससे आपको राहत मिलेगी। प्रणाणाम शरीर में सभी चीजों को बैलेंस करता है।

दिल्लीवालों के फेफड़ों के बारे में बाबा रामदेव ने क्या कहा?

दिल्लीवालों के फेफड़ों का अध्ययन किया जाए तो वो काले-काले मिलेंगे। जो सिगरेट-बीड़ी नहीं पी रहे, उनके साथ भी ऐसा हो रहा है। उम्र घट रही है। शुद्ध हवा, आहार, पानी हमारा संवैधानिक अधिकार है। फिर भी हम जहर पी रहे हैं। आपके फेफड़े यदि मजबूत हैं, तो वो प्रदूषण को बाहर फेंक देंगे। महंगी-महंगी मशीनें लगाने की जरूरत नहीं है। दिल मजबूत है, तो कॉलेस्ट्रोल को बाहर फेंक देगा। लीवर मजबूत है, तो फैट बाहर फेंक देगा। हमारा शरीर भीतर से योद्धा है। वह हारना नहीं चाहता। शरीर सर्दी-गर्मी से लड़ता है। सभी सरकारों को भी ध्यान देना चाहिए। हमें यह सोचना पड़ेगा कि सिर्फ परिवार ही हमारा नहीं है। पर्यावरण भी हमारा है। इसे गंदा नहीं होने देना चाहिए। ज्यादा पानी प्रयोग करना, हवा को दूषित करना भी पाप है। प्रकृति हमारी मां है। हम उसका दुरुपयोग नहीं कर सकते। उसका रक्तपान नहीं कर सकते।


आपका रुझान योग और सनातन की तरफ कब से हुआ? 
बाबा रामदेव: मेरे मन में मैकाले की शिक्षा पद्धति से विद्रोह था। मुझे अंग्रेजों की परंपरा से नहीं पढ़ना था। मुझे अंग्रेजों का मानस पुत्र नहीं बनना था। आर्थिक-सांस्कृतिक गुलामी मंजूर नहीं थी। मुझे गुरुकुल परंपरा से पढ़ने का मौका मिला। हम इसी परंपरा से बच्चों को पढ़ा भी रहे हैं। हमारे बच्चे को शास्त्र भी कंठस्थ हो जाते हैं। बच्चों में संस्कार जगाते हैं। मुझे नहीं पता था कि दुनिया मुझे योगी बना देती। ...कोई भी बोर्ड ऐसा नहीं है कि सनातन के बोध के साथ शिक्षा दी जाती हो। हम इतने जड़तावादी हो गए हैं कि हम सोचते नहीं। जिन मुगलों-आक्रांताओं ने देश को लूटा, उन्हें अब भी हम महिमामंडित कर रहे हैं। हर राज्य की शिक्षा प्रणाली बदलनी चाहिए।

 
लेकिन फिर शिक्षा के भगवाकरण के आरोप लगते हैं? 
बाबा रामदेव: सबके भीतर भगवा है। लोगों ने खूब कोशिश करके देख ली। भारत सनातन परंपरा का देश है। इसे आप नकार नहीं सकते। ढाई सौ साल पहले तो हमारी सौ ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था रही होगी। इसे दरिद्र बना दिया गया। हम दोबारा यह पुरुषार्थ कर सकते हैं। इसमें पांच-दस-पच्चीस साल लग सकते हैं, लेकिन हमें करना होगा। हमें अपनी हैसियत समझनी होगी। जिस देश के 140 करोड़ लोग पूरी ऊर्जा के साथ राष्ट्र निर्माण में लग जाएंगे, तब भारत सामरिक महाशक्ति बनेगा। चाहे जनशक्ति हो, धनशक्ति हो, सैन्यशक्ति हो, भारत सबसे आगे था।



आपका कॉपोर्रेट मंत्र क्या है?
बाबा रामदेव: सिंथेटिक उत्पादों को रोकना होगा। बालों में मिनरल आयल लगा रहे हैं। रिफाइंड ऑयल खा रहे हैं। यही दिल में जाकर ब्लॉकेज पैदा करता है। इस सबके बीच आपका मजबूत रहना है, तो योग करना होगा। मैं 15 मिनट में पांच किलोमीटर दौड़ लगाता हूं। दिसंबर हो या जनवरी, पसीना जरूर टपकना चाहिए। नहीं टपकेगा तो आप टपक जाओगे। ...तो स्वदेशी अपनाओ। काम में सौ प्रतिशत प्रामाणिकता रखो। नीयत में खोट न हो। जो काम एक बार शुरू किया, तो पीछे मुड़कर न देखें। लाख बाधाएं हों, लेकिन आप बढ़ते चलो। मेरे माता-पिता अनपढ़ थे। परिवार में पांचवीं-सातवीं से ज्यादा कोई पढ़ा नहीं। आज रामदेव के नीचे पांच हजार डॉक्टर काम कर रहे हैं। पांच लाख लोगों को रोजगार दे रहे हैं। एक लाख करोड़ रुपये का हमने चैरिटी कार्य किया है।

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