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MP Samwad 2025: 'आपातकाल की मानसिकता आज भी जिंदा, इसे याद रखना जरूरी', अमर उजाला संवाद में बोले सीएम मोहन यादव

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली/भोपाल Published by: नितिन गौतम Updated Thu, 26 Jun 2025 03:01 PM IST
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सार

Amar Ujala Samwad Madhya Pradesh: 'अमर उजाला संवाद' का कारवां इस बार मध्य प्रदेश पहुंचा है। कार्यक्रम के पहले सत्र में प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रदेश के विकास, सुशासन, विरासत से विकास अभियान और उज्जैन सिंहस्थ के आयोजन और उसकी तैयारियों पर अपने विचार रखे।

Amar Ujala Samwad Madhya Pradesh: CM Mohan Yadav keynote address on development and other issues
सीएम मोहन यादव - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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पहली बार मध्य प्रदेश में आयोजित हो रहे 'अमर उजाला संवाद' कार्यक्रम के पहले सत्र को मुख्यमंत्री मोहन यादव ने संबोधित किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने लाडली बहना योजना, विरासत से विकास अभियान, सिंहस्थ महाकुंभ आदि पर अपने विचार रखे। कार्यक्रम की शुरुआत में भारत की महान परंपरा का पालन करते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मंत्रोच्चार के बीच दीप प्रज्वलित किया। मुख्यमंत्री के साथ ही मशहूर अभिनेता और सांसद रविशंकर ने भी दीप प्रज्वलित किया। 

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प्रश्न- आपको सत्ता में 561 दिन हो गए हैं तो इस दौरान आपकी सबसे बड़ी चुनौती और उपलब्धि क्या रहीं?

मुख्यमंत्री- इस बारे में लोग जानते हैं कि जो बन सका वो किया है और आगे भी यही प्रयास रहेगा। पार्टी की विचारधारा की बात करें तो गुजरात के बाद मध्य प्रदेश ये संदेश दे रहा है कि राष्ट्रवादी लोग जब सरकार चलाते हैं तो कैसी सरकार चलाते हैं और विकास के जो सूचकांक हैं, उनमें ऊपर जाते हैं और सच्चे अर्थ में लोकतंत्र की स्थापना करते हैं। कोई चाय वाले का या आम किसान व्यक्ति अगर मुख्यमंत्री बनता है तो इससे बड़ी बात किसी पार्टी की क्या होगी। बेटे की शादी से कुछ महीने पहले की बात है, जब मैं शादी की तैयारियों में लगा था, लेकिन जब पार्टी ने मुख्यमंत्री बनाया तो मैंने बेटे से कहा कि भई अब आप ही तैयारियां करो, हम तो भोपाल वाले हो गए हैं। यही हमारी पार्टी की विशेषता है। 

मध्य प्रदेश एकमात्र राज्य है, जो अगले दो साल में 50 मेडिकल कॉलेज खोलने जा रहा है। हम एक रुपये में जमीन देंगे, जिसे मेडिकल कॉलेज बनाना है बनाए। प्रैक्टिस के लिए सरकारी अस्पताल होंगे। इससे अस्पताल बनाने में होने वाला खर्च बचेगा। ऐसे ही हमारी हर जिले तक जाने की योजना है। 40 साल से यूनियन कार्बाइड का कचरा पड़ा था, उसमें कोई हाथ डालने को तैयार नहीं। नौ साल से प्रमोशन के मामले पड़े थे, उन्हें कोई करने को तैयार नहीं। बीआरटीएस पर कोई फैसला नहीं हो पाया। जल गंगा संरक्षण अभियान चला है, लोग डल झील की बात करते हैं, अब इसके तहत शिकारों में लोग भोपाल झील में चंदेरी साड़ियां खरीद सकेंगे। डल झील की तरह भोपाल झील में भी शिकारे चलेंगे। भौगोलिक स्थिति से मध्य प्रदेश का बड़ा राज्य है। ऐसे में राज्य स्तर पर विमान सेवा चालू की गई है। पीएम श्री एयर एंबुलेंस की शुरुआत की गई है। 

Amar Ujala Samwad Madhya Pradesh: CM Mohan Yadav keynote address on development and other issues
सीएम मोहन यादव - फोटो : अमर उजाला
प्रश्न- भोपाल की सड़कें यहां का विकास चर्चा में हैं, यहां का एक पुल भी चर्चा में जो 90 डिग्री पर मुड़ जाता है। उस पर क्या कहेंगे?

मुख्यमंत्री- वो पुल 2022 से बन रहा है। अभी उसका लोकार्पण भी नहीं हुआ। आप ये मानकर चलते हैं कि निर्माण कार्य में कोई गलती अगर होती है तो उसे दुरुस्त किया जा सकता है। गलत हो गया है तो क्या हो गया ज्यादा तकलीफ है तो उसमें सुधार किया जाएगा। गलती हुई है तो सुधार देंगे।

प्रश्न- लाडली लक्ष्मी योजना की चुनाव में बड़ी चर्चा रही। इसके तहत तीन हजार रुपये कब तक करने की योजना है?

मुख्यमंत्री- एक साल में हमने अपने सारे वर्गों के पैसे बढ़ाए हैं औऱ किसी योजना के पैसों में कटौती नहीं की। हम जो बाजार से राशि उठा रहे हैं, जिसमें हम केवल 10 प्रतिशत बाजार से उठा रहे हैं और बाकी 90 प्रतिशत हम खुद लगा रहे हैं। हमारा बजट चार लाख इक्कीस हजार करोड़ का बजट है, जिसमें हम एक साल में 35-40 हजार करोड़ रुपये का कर्ज ले रहे हैं। पूरे राज्य पर सिर्फ चार लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। इसके बावजूद हमारी विकास दर भारत सरकार के मापदंड के अनुसार है। राज्य की वित्तीय तरलता तय मानकों के तहत है। हमारा एकमात्र राज्य है, जिसका देश के अंदर योगदान है। हम सबसे कम दर पर बिजली दे रहे हैं। 2002-03 तक प्रति व्यक्ति आय 11 हजार रुपये प्रतिव्यक्ति थी, जो आज 1,55,000 के आसपास पहुंच रही है। जब मध्य प्रदेश बना तब 94 रुपये कुंतल गेहूं की खरीद थी, जब हमारी सरकार आई तो ये सिर्फ 500 रुपये कुंतल तक ही पहुंची यानी करीब 50 साल में 400 रुपये ही बढ़े। अब हम 2600 रुपये कुंतल में खरीद रहे हैं। 

प्रश्न- आपका संकल्प है विरासत से विकास तक। उज्जैन में विक्रमादित्य जी को लेकर आपने कोशिश की कि उस खोई हुई विरासत को प्रतिष्ठित किया और अहिल्याबाई को लेकर कार्यक्रम आयोजित हुए। लेकिन क्या सचमुच जो आज की राजनीति है, उसमें भी सुचिता स्थापित हो सकेगी या हम सिर्फ पिछली विरासत का ही महिमामंडन करेंगे?

मुख्यमंत्री- आपने दो नाम बताए, लेकिन एक नाम और है और वो है रानी दुर्गावती का। दुर्भाग्य से रानी दुर्गावती के जीवन पर जो उजाला आना चाहिए था, वो उन्हें नहीं मिल पाया। रानी दुर्गावती ने 52 में से 51 युद्धों में जीतीं। उन्होंने अपने समय के सबसे बड़े राजा अकबर की सेना का मुकाबला किया और तीन बार उसकी सेना को भी धूल चटा दी। रानी दुर्गावती के शासन में 36 हजार गांव थे। रानी दुर्गावती ने न सिर्फ युद्ध में बल्कि कला, संस्कृति और जल संरचना में भी काम किया। हालांकि उन्होंने नवाचार की दिशा में काम नहीं किया, जिससे 52वें युद्ध में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। विपक्षी सेना ने तोप का इस्तेमाल किया। 

विरासत से विकास अभियान के तहत रानी दुर्गावती जैसे जैसे जितने भी नाम हैं, उन सबका इतिहास हम लोगों के सामने लाने का प्रयास कर रहे हैं। अटल जी का जन्म शताब्दी वर्ष है। अभी हमने घोषणा की है कि हम अटल जी के सम्मान में ग्वालियर में कैबिनेट बैठक करने वाले हैं। अटल जी ने गांवों में सड़कें बनाकर जो किया, उसका देश के विकास में बड़ा योगदान है। एयर स्ट्राइक के लिए जो एयरस्ट्राइक हुई थी, वो लड़ाकू विमान ग्वालियर की धरती से ही उड़े थे। तो इस सबको लोगों के सामने लाया जाएगा। 

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सीएम मोहन यादव - फोटो : अमर उजाला
प्रश्न- उज्जैन में सिंहस्थ की तैयारी हो रही है। आप खुद उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष रहे हैं। सिंहस्थ के लिए कई योजनाएं बनती हैं, लेकिन 12 साल बाद वो काम की नहीं रहतीं, तो क्या ऐसी योजनाएं नहीं बन सकतीं, जिनसे स्थायी विकास हो, वो केवल सिंहस्थ तक ही न रहें

मुख्यमंत्री- इस बार सिंहस्थ का कोई काम स्थायी होंगे और ये ऐतिहासिक होगा। अब की बार हमने उज्जैन में 30 किलोमीटर घाट बनाए हैं। इससे एक दिन में पांच करोड़ लोग स्नान कर सकें। इसके अलावा साधु संतों के लिए जो टेंट बनते हैं, उनके लिए जमीन खरीदने का प्रावधान करें, जिससे उनके स्थायी निवास बन सकें। तो हरिद्वार के तर्ज पर उज्जैन को बनाने की योजना है।

प्रश्न- शिप्रा नदी को स्वच्छ बनाने के लिए कई दावे किए गए। पांच करोड़ लोग स्नान कर सकें, इसके लिए शिप्रा नदी स्वच्छ कब होगी? इसके लिए क्या योजना है?

मुख्यमंत्री- शिप्रा नदी के लिए हमने दो तरीके से काम किया है। शिप्रा जी के ऊपर कोई ग्लेशियर नहीं है और शिप्रा बरसाती नदी है। शिप्रा नदी के जल को स्वच्छ करने के लिए हमने बारिश के समय ही पानी को सेलारखेड़ी में पानी को इकट्ठा कर लेंगे औऱ वो ऊपरी इलाके में है। जैसे ही बरसात का समय चला जाएगा, तो नदी का पानी धीरे-धीरे छोड़कर प्रवाह को सामान्य रखा जाएगा। इसके लिए टेंडर प्रक्रिया हो चुकी है और 40 फीसदी काम हो भी गया है। इंदौर से आने वाला खान नदी का पानी भी जमीन के सौ फीट नीचे ले जाकर उसे गंभीर नदी से मिलाया गया है। इसका भी 40 प्रतिशत काम हो गया।
 

Amar Ujala Samwad Madhya Pradesh: CM Mohan Yadav keynote address on development and other issues
सीएम मोहन यादव - फोटो : अमर उजाला
प्रश्न- मुख्यमंत्री आवास में मीसाबंदियों का कार्यक्रम है। ये आपातकाल का काला अध्याय हो गया, लेकिन इसे बार-बार याद दिलाने का उद्देश्य क्या है?

मुख्यमंत्री- आपातकाल का बीज जिस मानसिकता से पड़ा, वो आज तक खत्म नहीं हुई। इंदिरा गांधी के गलत तरीके से चुनाव लड़ने से इसकी शुरुआत हुई, जिसे राजनारायण जी ने चुनौती दी और उसे कोर्ट ने अवैध कर दिया, लेकिन जिनके मन में ये है कि हम तो राजा-महाराजाओं से ऊपर हैं, देश से ऊपर हैं, ये उसकी परिणिती थी कि देश में आपातकाल लागू कर दिया गया। ये इतना डरावना पक्ष था कि जिस अदालत के माध्यम से लोकतंत्र बचा रहता है, उस पर आघात किया गया। सुप्रीम कोर्ट के शाह बानो के फैसले में जिस तरह से बदला गया, अब सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक पर फैसला दिया है। पीएम मोदी ने राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला लागू कराया। 

कांग्रेस के एकमात्र ऐसे नेता हैं, जिन्हें सत्ता में भी और विपक्ष में भी व्यवहार करने की समझ नहीं है। ऑपरेशन सिंदूर में भी कांग्रेस के नेता ने वो बोला, जो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और सेना प्रमुख ने भी बोला, वो ये नेता बोल रहे हैं। इसी नादान को ये बताने के लिए कि आपके खानदान ने ये गलती की और अब आप भी उसी रास्ते पर हैं। हम हर साल रावण दहन करते हैं ताकि लोगों को बता सकें कि असत्य पर सत्य की जीत होती है, उसी तरह हम हर साल आपातकाल के बारे में लोगों को बताते हैं ताकि लोकतंत्र की रक्षा की जा सके।

प्रश्न- जब मोहन यादव मुख्यमंत्री बने तो आपको इसलिए भी लाया गया कि यादव मतदाताओं को लुभाने के लिए भी लाया गया और इसका असर पूरे देश पर है। आप देशभर में प्रचार करते हैं। आपको क्या लगता है कि यादव मतदाताओं वाला ये फैक्टर कितना अहम है और क्या आपकी राष्ट्रीय राजनीति में कोई भूमिका होने जा रही है?

मुख्यमंत्री- हमारी पार्टी जाति की राजनीति नहीं करती। किसी को कोई भी काम मिल जाए, माननीय प्रधानमंत्री थे, वो तो प्रचारक थे। हमारी पार्टी में जो जिम्मेदारी दी जाती है, उसका हम निर्वहन करते हैं। 

मुख्यमंत्री मोहन यादव का संक्षिप्त परिचय
मोहन यादव का जन्म 25 मार्च 1965 को उज्जैन में हुआ था। उनके पिता का नाम पूनमचंद यादव और मां का नाम लीलाबाई यादव है। सीमा यादव उनकी धर्मपत्नी हैं। मोहन यादव ने एमबीए किया है और पीएचडी की डिग्री भी हासिल की है। उनके परिवार में पत्नी सीमा यादव के अलावा दो पुत्र और एक पुत्री हैं। 

सीएम के बारे में और जानिए...
गीता कालोनी निवासी पूनमचंद यादव के घर जन्मे मोहन यादव का बचपन आर्थिक तंगी में गुजरा। पिता पूनमचंद मिल में नौकरी करते थे। कमाई ज्यादा नहीं होती थी। परिवार का गुजारा करने के लिए पूनमचंद अपने भाई शंकर लाल के साथ मालीपुर इलाके में चाय-पोहे भजिए की दुकान भी चलाते थे। मोहन यहां कभी-कभी पिता-चाचा की मदद करने आते थे। 1982 में जब मोहन यादव ने छात्रसंघ का पहला चुनाव जीता, उस वक्त भी वह अपनी चाय-पोहे की दुकान पर काम करते थे। चाय-पोहे की दुकान ठीक चलने लगी तो उन्होंने उसे बढ़ाकर एक रेस्टोरेंट भी डाला था।
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