{"_id":"69396be2853da6fb37041ebd","slug":"amit-shah-explain-election-commission-appointment-history-in-lok-sabha-says-for-73-years-no-law-regarding-this-2025-12-10","type":"story","status":"publish","title_hn":"Lok Sabha: '73 वर्ष तक देश में इसका कोई कानून नहीं था', चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का अमित शाह ने बताया इतिहास","category":{"title":"India News","title_hn":"देश","slug":"india-news"}}
Lok Sabha: '73 वर्ष तक देश में इसका कोई कानून नहीं था', चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का अमित शाह ने बताया इतिहास
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Wed, 10 Dec 2025 07:27 PM IST
सार
Amit Shah Explain Election Commission Appointment History: लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के इतिहास पर विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि 73 वर्षों तक इस प्रक्रिया पर कोई कानून नहीं था और नियुक्तियां सीधे प्रधानमंत्री द्वारा की जाती थीं। उन्होंने आरोप लगाया कि 2014 से अब तक कांग्रेस ने चुनाव सुधारों पर एक भी सुझाव नहीं भेजा।
विज्ञापन
अमित शाह, केंद्रीय गृह मंत्री
- फोटो : अमर उजाला ग्राफिक
विज्ञापन
विस्तार
लोकसभा में बुधवार को चुनाव आयुक्त की नियुक्ति और चुनाव सुधारों पर जोरदार बहस हुई, जहां गृह मंत्री अमित शाह ने इतिहास से लेकर वर्तमान तक पूरे मुद्दे का विस्तार से ब्यौरा दिया। शाह ने साफ कहा कि 73 वर्ष तक देश में मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए कोई कानून ही नहीं था और यह प्रक्रिया सीधे प्रधानमंत्री के स्तर पर तय होती थी। उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार पर सवाल उठाने से पहले कांग्रेस को अपने दौर की नियुक्तियों को भी देखना चाहिए।
अमित शाह ने बताया कि 1950 से 1989 तक चुनाव आयोग एक सदस्यीय संस्था थी और उस समय नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया प्रधानमंत्री द्वारा तय की जाती थी। प्रधानमंत्री फाइल राष्ट्रपति को भेजते थे और राष्ट्रपति उसकी मंजूरी दे देते थे। इस लंबे कार्यकाल में कभी कोई सवाल नहीं उठाया गया। शाह ने कहा कि 1950 से 2023 तक चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर कोई कानून नहीं था, जबकि विपक्ष आज इस व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रहा है। उन्होंने बताया कि 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम व्यवस्था के तहत प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और चीफ जस्टिस वाली समिति बनाने का सुझाव दिया था, जब तक कि नया कानून न आ जाए।
कांग्रेस ने एक भी सुझाव नहीं भेजा
अमित शाह ने खुलासा किया कि मई 2014 से आज तक कांग्रेस पार्टी ने चुनाव आयोग को चुनाव सुधारों पर एक भी सुझाव नहीं भेजा। उन्होंने कहा कि चुनाव सुधार राजनीतिक दलों की राय के बिना संभव नहीं होते और सभी पार्टियों से सुझाव चुनाव आयोग के माध्यम से विधि मंत्रालय को भेजे जाते हैं। शाह ने तंज किया कि कांग्रेस चुनाव सुधारों पर चर्चा की मांग तो कर रही है, लेकिन 10 साल में एक सुझाव भी नहीं भेज पाई। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेता अब चुनाव आयोग जाकर तस्वीरें खिंचवा रहे हैं, जबकि असली सुधार में उनकी कोई भागीदारी नहीं है।
नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव
शाह ने कहा कि वर्तमान सरकार ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए बहुसदस्यीय समिति बनाई, जबकि कांग्रेस अपने शासन में नियुक्ति पूरी तरह अकेले करती थी। उन्होंने कहा कि विपक्ष की शिकायत है कि समिति में उनकी हिस्सेदारी सिर्फ 33 फीसदी है, तो उसका जवाब जनता को दिया जाना चाहिए, क्योंकि जनता ही तय करती है कि बहुमत किसके पास होगा। शाह ने कहा कि कांग्रेस 100 फीसदी नियंत्रण रखती थी, जबकि मोदी सरकार ने उसमें विपक्ष को भी जगह दी है। उन्होंने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि उनके भाषण लिखने वाले ठीक से रिसर्च नहीं करते।
पिछले विवादों पर टिप्पणी
अमित शाह ने बताया कि 2012 में जब मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति होनी थी, तब भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने एक प्रणाली बनाने का सुझाव दिया था, लेकिन उस समय की कांग्रेस सरकार ने कोई व्यवस्था लागू नहीं की। शाह ने कहा कि आज कांग्रेस पारदर्शिता पर सवाल उठा रही है, जबकि अपने शासनकाल में उन्होंने न तो कानून बनाया, न व्यवस्था तैयार की। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने न्यायपालिका और विपक्ष दोनों को शामिल कर एक नई पारदर्शी प्रणाली बनाई, जो भारत के चुनावी ढांचे को और मजबूत करेगी। साथ ही शाह यह भी कहा कि ये सरकार जनमत से चलती है, न कि पुराने ढर्रे से।
अन्य वीडियो-
Trending Videos
अमित शाह ने बताया कि 1950 से 1989 तक चुनाव आयोग एक सदस्यीय संस्था थी और उस समय नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया प्रधानमंत्री द्वारा तय की जाती थी। प्रधानमंत्री फाइल राष्ट्रपति को भेजते थे और राष्ट्रपति उसकी मंजूरी दे देते थे। इस लंबे कार्यकाल में कभी कोई सवाल नहीं उठाया गया। शाह ने कहा कि 1950 से 2023 तक चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर कोई कानून नहीं था, जबकि विपक्ष आज इस व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रहा है। उन्होंने बताया कि 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम व्यवस्था के तहत प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और चीफ जस्टिस वाली समिति बनाने का सुझाव दिया था, जब तक कि नया कानून न आ जाए।
विज्ञापन
विज्ञापन
कांग्रेस ने एक भी सुझाव नहीं भेजा
अमित शाह ने खुलासा किया कि मई 2014 से आज तक कांग्रेस पार्टी ने चुनाव आयोग को चुनाव सुधारों पर एक भी सुझाव नहीं भेजा। उन्होंने कहा कि चुनाव सुधार राजनीतिक दलों की राय के बिना संभव नहीं होते और सभी पार्टियों से सुझाव चुनाव आयोग के माध्यम से विधि मंत्रालय को भेजे जाते हैं। शाह ने तंज किया कि कांग्रेस चुनाव सुधारों पर चर्चा की मांग तो कर रही है, लेकिन 10 साल में एक सुझाव भी नहीं भेज पाई। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेता अब चुनाव आयोग जाकर तस्वीरें खिंचवा रहे हैं, जबकि असली सुधार में उनकी कोई भागीदारी नहीं है।
नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव
शाह ने कहा कि वर्तमान सरकार ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए बहुसदस्यीय समिति बनाई, जबकि कांग्रेस अपने शासन में नियुक्ति पूरी तरह अकेले करती थी। उन्होंने कहा कि विपक्ष की शिकायत है कि समिति में उनकी हिस्सेदारी सिर्फ 33 फीसदी है, तो उसका जवाब जनता को दिया जाना चाहिए, क्योंकि जनता ही तय करती है कि बहुमत किसके पास होगा। शाह ने कहा कि कांग्रेस 100 फीसदी नियंत्रण रखती थी, जबकि मोदी सरकार ने उसमें विपक्ष को भी जगह दी है। उन्होंने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि उनके भाषण लिखने वाले ठीक से रिसर्च नहीं करते।
पिछले विवादों पर टिप्पणी
अमित शाह ने बताया कि 2012 में जब मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति होनी थी, तब भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने एक प्रणाली बनाने का सुझाव दिया था, लेकिन उस समय की कांग्रेस सरकार ने कोई व्यवस्था लागू नहीं की। शाह ने कहा कि आज कांग्रेस पारदर्शिता पर सवाल उठा रही है, जबकि अपने शासनकाल में उन्होंने न तो कानून बनाया, न व्यवस्था तैयार की। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने न्यायपालिका और विपक्ष दोनों को शामिल कर एक नई पारदर्शी प्रणाली बनाई, जो भारत के चुनावी ढांचे को और मजबूत करेगी। साथ ही शाह यह भी कहा कि ये सरकार जनमत से चलती है, न कि पुराने ढर्रे से।
अन्य वीडियो-
विज्ञापन
रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.
विज्ञापन
विज्ञापन