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Amit Shah: 'मनमोहन सरकार का अध्यादेश क्यों फाड़ा, अब आपकी नैतिकता कहां गई?' शाह का राहुल गांधी पर तीखा हमला
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नितिन गौतम
Updated Mon, 25 Aug 2025 10:50 AM IST
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सार
अमित शाह ने कहा 'आज देश में एनडीए गठबंधन के मुख्यमंत्री ज्यादा हैं। प्रधानमंत्री भी एनडीए से हैं। ऐसे में इस विधेयक से सिर्फ विपक्ष पर ही सवाल खड़े नहीं होते बल्कि हमारे मुख्यमंत्रियों पर भी सवाल उठेंगे। अगर फर्जी मामला है तो देश के उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट आंखें बंद करके नहीं बैठे हुए हैं, वे जमानत दे सकते हैं।'

अमित शाह
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी की नैतिकता पर सवाल उठाए हैं। अमित शाह ने कहा कि क्या तीन आम चुनाव लगातार हारने के बाद, राहुल गांधी की नैतिकता बदल गई है? अमित शाह ने 130वें संविधान संशोधन विधेयक को लेकर राहुल गांधी और कांग्रेस को आड़े हाथों लिया। शाह ने साल 2013 की घटना का भी जिक्र किया, जिसमें राहुल गांधी ने मनमोहन सिंह सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश को फाड़ दिया था।
अमित शाह ने राहुल गांधी की नैतिकता पर उठाए सवाल
न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा कि 'मनमोहन सिंह सरकार में लालू प्रसाद यादव को बचाने के लिए लाए गए अध्यादेश को राहुल गांधी ने क्यों फाड़ दिया था? अगर उस दिन उनमें नैतिकता थी तो अब क्या हो गया? क्या सिर्फ इसलिए कि आप तीन चुनाव लगातार हार चुके हैं तो आपकी नैतिकता बदल गई? नैतिक मूल्य चुनाव में हार जीत से जुड़े हुए नहीं होते हैं बल्कि नैतिक मूल्य चंद्रमा और सूरज की तरह अडिग होने चाहिए।'
क्या था मनमोहन सरकार में लाए गए अध्यादेश में
उल्लेखनीय है कि मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को पलटने के लिए अध्यादेश लाया गया था। यह अध्यादेश बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव को बचाने के लिए लाया गया था, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अयोग्य घोषित हो गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने दोषी सांसदों और विधायकों की सदस्यता रद्द करने और उन्हें अयोग्य घोषित करने का फैसला सुनाया था। मनमोहन सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश में अयोग्य घोषित किए गए सांसदों-विधायकों को तीन महीने का समय दिया गया था, जिसमें वे दोबारा निर्वाचित हो सकते थे, लेकिन राहुल गांधी ने इसे गलत बताते हुए फाड़ दिया था। इससे राहुल गांधी की अपनी ही पार्टी के लिए असहज स्थिति पैदा हो गई थी।
ये भी पढ़ें- Amit Shah: 'धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया, हंगामे की जरूरत नहीं'; शाह ने खारिज किए विपक्ष के दावे
130वें संविधान संशोधन का विपक्ष कर रहा विरोध
केंद्र सरकार ने हाल ही में मानसून सत्र के दौरान 130वां संविधान संशोधन विधेयक, 2025 पेश किया था। इस विधेयक में 30 दिनों तक जेल में रहने वाले प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्रियों को पद से हटाने का प्रावधान है, जिसका विपक्ष द्वारा विरोध किया जा रहा है। अमित शाह ने कहा 'आज देश में एनडीए गठबंधन के मुख्यमंत्री ज्यादा हैं। प्रधानमंत्री भी एनडीए से हैं। ऐसे में इस विधेयक से सिर्फ विपक्ष पर ही सवाल खड़े नहीं होते बल्कि हमारे मुख्यमंत्रियों पर भी सवाल उठेंगे। अगर फर्जी मामला है तो देश के उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट आंखें बंद करके नहीं बैठे हुए हैं, वे जमानत दे सकते हैं। कांग्रेस सरकार में भी ऐसा प्रावधान था कि अगर सत्र अदालत ने किसी को दो साल जेल की सजा सुनाई है तो उस सदस्य की सदस्यता अपने आप चली जाती थी।'
केजरीवाल पर साधा निशाना
भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद भी आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने जेल में रहने के बाद भी सीएम पद से इस्तीफा नहीं दिया था। इस पर निशाना साधते हुए शाह ने कहा 'आजकल नई परंपरा आ गई है। दो साल पहले ऐसा कोई मामला नहीं था। आरोप लगने के बाद नेता इस्तीफा देते थे और रिहाई के बाद ही राजनीति में शामिल होते थे। लेकिन तमिलनाडु के कुछ मंत्रियों ने जेल में रहने के बावजूद मंत्रीपद से इस्तीफा नहीं दिया था। दिल्ली के सीएम और गृहमंत्री ने भी इस्तीफा नहीं दिया था। राजनीति को बदनाम करने और सामाजिक नैतिकता को इस स्तर तक गिराने के लिए हम इससे सहमत नहीं हैं।'

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अमित शाह ने राहुल गांधी की नैतिकता पर उठाए सवाल
न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा कि 'मनमोहन सिंह सरकार में लालू प्रसाद यादव को बचाने के लिए लाए गए अध्यादेश को राहुल गांधी ने क्यों फाड़ दिया था? अगर उस दिन उनमें नैतिकता थी तो अब क्या हो गया? क्या सिर्फ इसलिए कि आप तीन चुनाव लगातार हार चुके हैं तो आपकी नैतिकता बदल गई? नैतिक मूल्य चुनाव में हार जीत से जुड़े हुए नहीं होते हैं बल्कि नैतिक मूल्य चंद्रमा और सूरज की तरह अडिग होने चाहिए।'
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क्या था मनमोहन सरकार में लाए गए अध्यादेश में
उल्लेखनीय है कि मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को पलटने के लिए अध्यादेश लाया गया था। यह अध्यादेश बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव को बचाने के लिए लाया गया था, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अयोग्य घोषित हो गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने दोषी सांसदों और विधायकों की सदस्यता रद्द करने और उन्हें अयोग्य घोषित करने का फैसला सुनाया था। मनमोहन सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश में अयोग्य घोषित किए गए सांसदों-विधायकों को तीन महीने का समय दिया गया था, जिसमें वे दोबारा निर्वाचित हो सकते थे, लेकिन राहुल गांधी ने इसे गलत बताते हुए फाड़ दिया था। इससे राहुल गांधी की अपनी ही पार्टी के लिए असहज स्थिति पैदा हो गई थी।
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130वें संविधान संशोधन का विपक्ष कर रहा विरोध
केंद्र सरकार ने हाल ही में मानसून सत्र के दौरान 130वां संविधान संशोधन विधेयक, 2025 पेश किया था। इस विधेयक में 30 दिनों तक जेल में रहने वाले प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्रियों को पद से हटाने का प्रावधान है, जिसका विपक्ष द्वारा विरोध किया जा रहा है। अमित शाह ने कहा 'आज देश में एनडीए गठबंधन के मुख्यमंत्री ज्यादा हैं। प्रधानमंत्री भी एनडीए से हैं। ऐसे में इस विधेयक से सिर्फ विपक्ष पर ही सवाल खड़े नहीं होते बल्कि हमारे मुख्यमंत्रियों पर भी सवाल उठेंगे। अगर फर्जी मामला है तो देश के उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट आंखें बंद करके नहीं बैठे हुए हैं, वे जमानत दे सकते हैं। कांग्रेस सरकार में भी ऐसा प्रावधान था कि अगर सत्र अदालत ने किसी को दो साल जेल की सजा सुनाई है तो उस सदस्य की सदस्यता अपने आप चली जाती थी।'
केजरीवाल पर साधा निशाना
भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद भी आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने जेल में रहने के बाद भी सीएम पद से इस्तीफा नहीं दिया था। इस पर निशाना साधते हुए शाह ने कहा 'आजकल नई परंपरा आ गई है। दो साल पहले ऐसा कोई मामला नहीं था। आरोप लगने के बाद नेता इस्तीफा देते थे और रिहाई के बाद ही राजनीति में शामिल होते थे। लेकिन तमिलनाडु के कुछ मंत्रियों ने जेल में रहने के बावजूद मंत्रीपद से इस्तीफा नहीं दिया था। दिल्ली के सीएम और गृहमंत्री ने भी इस्तीफा नहीं दिया था। राजनीति को बदनाम करने और सामाजिक नैतिकता को इस स्तर तक गिराने के लिए हम इससे सहमत नहीं हैं।'
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