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एनआरसी : शीर्ष मुस्लिम संस्था ने इमरान और ओवैसी को लगाई फटकार

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, गुवाहाटी Published by: संदीप भट्ट Updated Mon, 02 Sep 2019 06:29 AM IST
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Apex Muslim body in Assam slams Imran Khan, Asaduddin Owaisi for comments on NRC
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असम में 21 मुस्लिम संगठनों की शीर्ष संस्था ने एनआरसी पर पाक पीएम इमरान खान और एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी को उनके बयानों पर लताड़ लगाई है। संस्था का कहना है कि इमरान को इस मामले में हस्तक्षेप का कोई अधिकार ही नहीं है और ओवैसी भी भ्रम फैलाना बंद करें। राज्य में मुस्लिम हिंदुओं के साथ दशकों से शांतिपूर्वक रह रहे हैं। 

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रविवार को संस्था के अध्यक्ष सैयद मुमिनुल अवाल ने इमरान से दो टूक कहा कि उन्हें इस मसले पर बोलने का अधिकार ही नहीं है, लिहाजा उन्हें अपना मुंह बंद रखना चाहिए। साथ ही हैदराबाद सांसद ओवैसी से कहा है कि वह एनआरसी को लेकर भ्रामक सूचनाओं से असम के लोगों को न भड़काएं। अवाल ने मीडिया और राज्य से बाहर रह रहे लोगों से भी आग्रह किया है कि वे एनआरसी पर अटकलें और अफवाहों का प्रचार न करें। उनका कहना है कि हमें सरकार पर पूरा भरोसा है और राज्य में पूरी तरह शांति का माहौल है।
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 इमरान ने शनिवार को कहा था कि मोदी सरकार द्वारा ‘मुस्लिमों का सफाया’ पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय होना चाहिए। वहीं, ओवैसी ने कहा था कि एनआरसी प्रकाशन से अवैध प्रवासियों के मिथक का भंडाफोड़ हो गया है।

अपीलों पर फैसला होने तक एनआरसी सूची से बाहर हुए लोगों के सर्वाधिकार सुरक्षित : विदेश मंत्रालय

असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) से बाहर किए गए लोग फिलहाल ‘राज्यविहीन’ नहीं है। विदेश मंत्रालय ने रविवार को स्पष्ट किया कि ऐसे लोगों के सर्वाधिकार तब तक सुरक्षित रहेंगे, जब तक वे अपने बचाव के लिए कानून के तहत दिए गए सभी तरीकों का इस्तेमाल नहीं कर लेते। 

विदेश मंत्रालय का यह बयान विदेशी मीडिया के कई वर्गों में एनआरसी की फाइनल सूची को लेकर आई कुछ रिपोर्ट को लेकर आया है। मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, एनआरसी अदालत के आदेश पर और निगरानी में की गई कार्रवाई है, कोई एक्जीक्यूटिव संचालित प्रक्रिया नहीं।

उन्होंने कहा, एनआरसी 1985 के असम समझौते को प्रभावी बनाएगी, जिसमें राज्य के नागरिकों की देखभाल का वादा किया गया है। एनआरसी से बाहर रहने का असम में किसी नागरिक के व्यक्तिगत अधिकारों पर कोई प्रभाव नहीं होगा।

रवीश ने कहा, फाइनल सूची में नहीं आए लोगों को हिरासत में नहीं लिया जाएगा और वे अपने नागरिक अधिकारों का लगातार उपयोग तब तक जारी रख पाएंगे, जब तक वे अपनी नागरिकता साबित करने के लिए कानून के तहत दिए गए सभी तरीकों को इस्तेमाल नहीं कर लेते हैं।

उन्होंने कहा, सूची से बाहर रखना उन्हें कानूनी अर्थ के तहत ‘राज्यविहीन’ नहीं बना रहा और ‘विदेशी’ नहीं बना रहा। वे किसी भी तरह के ऐसे अधिकार से वंचित नहीं किए जाएंगे, जिसका लाभ वे पहले ले रहे थे। 

200 ट्रिब्यूनल और बनाए जाएंगे
मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, एनआरसी से बाहर रखे गए लोगों की अपीलों पर त्वरित प्रक्रिया के लिए असम सरकार 200 और ट्रिब्यूनल स्थापित करने जा रही है।

ये फिलहाल मौजूद 100 ट्रिब्यूनल से अलग होंगे और दिसंबर के अंत तक स्थापित कर दिए जाएंगे। इनकी स्थापना अपीलकर्ताओं की सुुविधा के लिए ब्लॉक स्तर पर की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि सूची से बाहर रखे गए लोगों के पास अपील करने के लिए 120 दिन का समय है। 
 

एनआरसी के मुद्दे पर केंद्र पर बरसीं ममता बनर्जी

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने असम में एनआरसी की अंतिम सूची के मुद्दे पर केंद्र सरकार की खिंचाई करते हुए कहा है कि उसे यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी वैध नागरिक का नाम इस सूची से बाहर नहीं रहे। उन्होंने गोरखा समुदाय के एक लाख लोगों के नाम एनआरसी से बाहर रहने पर भी हैरत जताई है। उन्होंने कहा कि सभी भारतीयों के साथ न्याय होना चाहिए।

रविवार को यहां जारी अपने एक बयान में ममता ने कहा कि पहले उनको एनआरसी की नाकामी की पूरी जानकारी नहीं थी। लेकिन अब सूचनाएं बाहर आने लगी हैं। हमें यह देख कर हैरत है कि इस सूची में गोरखा समुदाय के एक लाख से ज्यादा लोगों के नाम शामिल नहीं किए गए हैं।

उन्होंने कहा कि सूची में हजारों वैध नागरिकों के नाम नहीं हैं। इसमें केंद्रीय सुरक्षा बलों व सेना के जवानों के अलावा पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के परिजनों के नाम भी शामिल नहीं हैं। ध्यान रहे कि असम में एनआरसी की अंतिम सूची शनिवार को जारी की गई थी। इसमें 19 लाख से ज्यादा लोगों के नाम शामिल नहीं है। 

 

एनआरसी पर यूएन बोला, कोई भी व्यक्ति राष्ट्र विहीन न हो

संयुक्त राष्ट्र ने भारत में 19 लाख से ज्यादा लोगों के एनआरसी से बाहर किए जाने पर चिंता जताई है। यूएन के शीर्ष शरणार्थी अधिकारी ने भारत से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है कि असम में एनआरसी से बड़ी संख्या में लोगों को बाहर होने के बाद कोई भी व्यक्ति राष्ट्र विहीन न हो। 

शरणार्थियों के लिए यूएन के उच्चायुक्त फिलिपो ग्रैंडी ने जेनेवा में रविवार को एक बयान जारी कर अपनी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि कोई भी प्रक्रिया जिसमें बड़ी संख्या में लोग बिना किसी राष्ट्र की नागरिकता के छूट जाते हैं तो वह देश विहीनता को समाप्त करने के वैश्विक प्रयासों के लिए एक बहुत बड़ा झटका होगा। असम में एनआरसी की अंतिम सूची शनिवार को ऑनलाइन जारी की गई थी।

एनआरसी में शामिल होने के लिए 3,30,27,661 लोगों ने आवेदन दिया था। इनमें से 3,11,21,004 लोग शामिल किए और 19,06,657 लोगों को बाहर कर दिया गया। असम सरकार ने शनिवार को कहा था कि कई वास्तविक भारतीय एनआरसी की अंतिम सूची से छूट गए हैं, लेकिन उन्हें घबराने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि उनके पास विदेशी न्यायाधिकरण (एफटी) में अपील करने का विकल्प उपलब्ध है। 
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