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लैंसेट का खुलासा: 2050 तक दुनिया में 100 करोड़ होंगे गठिया मरीज, 2020 में 59.5 करोड़ लोग पाए गए प्रभावित

अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली Published by: जलज मिश्रा Updated Wed, 23 Aug 2023 05:50 AM IST
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सार

शोधकर्ताओं का कहना है कि कोई भी देश अपनी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के जरिए कमजोर आबादी और मोटापा के कारकों की पहचान के जरिए गठिया रोग के बढ़ते दायरे को नियंत्रण में ला सकता है।

arthritis patients Will 100 crore in world by 2050 59.5 crore people were found affected
प्रतीकात्मक तस्वीर - फोटो : iStock
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विस्तार
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दुनिया में 2050 तक गठिया (ऑस्टियोआर्थराइटिस) से पीड़ित रोगियों की संख्या 100 करोड़ तक पहुंच जाएगी। इस रोग में हड्डियों के सिरों पर लचीले ऊतक नष्ट होने लगते हैं। मेडिकल जर्नल द लैंसेट रुमेटोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में बताया कि गठिया बीमारी जोड़ों को प्रभावित करती है। करीब 200 से अधिक देशों के बीते 30 वर्ष के आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया है कि 30 वर्ष या उससे अधिक आयु की दुनिया की 15 फीसदी आबादी इस बीमारी की चपेट में है।

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वाशिंगटन स्थित इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (आईएचएमई) के अध्ययन के अनुसार 2020 में 59.5 करोड़ लोग गठिया से प्रभावित पाए गए, जिनकी 1990 में कुल संख्या करीब 25.6 करोड़ थी। 1990 से 2020 के बीच इन रोगियों की संख्या में करीब 132 फीसदी की वृद्धि हुई है। इसके लिए मुख्य रूप से उम्र बढ़ने, जनसंख्या वृद्धि और मोटापे को जिम्मेदार माना गया है।

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शारीरिक रूप से सक्रिय रहने से मिलता है लाभ
प्रमुख शोध वैज्ञानिक लियान ओंग ने बताया कि जिन लोगों को जोड़ों में दर्द की परेशानी है अगर वह शारीरिक रूप से सक्रिय रहते हैं तो उनमें लाभ देखने को मिलता है। हालांकि अधिकांश मामलों में यह स्थिति एकदम विपरीत है, जिन्हें जोड़ों में दर्द की शिकायत रहती है वह गतिहीन होने लगते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि कोई भी देश अपनी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के जरिए कमजोर आबादी और मोटापा के कारकों की पहचान के जरिए गठिया रोग के बढ़ते दायरे को नियंत्रण में ला सकता है।

मरीजों में 16% दिव्यांगता के लिए मोटापा जिम्मेदार
अध्ययन के अनुसार, 1990 में गठिया की वजह से रोगियों में होने वाली 16 फीसदी दिव्यांगता के लिए मोटापा जिम्मेदार माना गया जो 2020 में 20 फीसदी तक पहुंच गया है। इसमें निरंतर वृद्धि हो रही है, जिसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि आगामी वर्षों में यह स्थिति और अधिक संकट पैदा कर सकती है। प्रमुख वैज्ञानिक जेमी स्टीनमेट्ज ने कहा, मोटापा या उच्च बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) इस बीमारी के लिए महत्वपूर्ण जोखिम कारक है। समय के साथ मोटापे की दर में भी वृद्धि ने इस बीमारी को बढ़ावा देने में बड़ी भूमिका निभाई है।

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