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BJP Vs TMC: बंगाल की राजनीति में ममता-सुवेंदु के बीच प्रतिष्ठा की जंग तेज, एक दूसरे के गढ़ को तोड़ने की तैयारी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: हिमांशु चंदेल Updated Sat, 23 Aug 2025 06:50 PM IST
सार

पश्चिम बंगाल की राजनीति में भवानीपुर और नंदीग्राम फिर से चर्चा में हैं। भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी भवानीपुर में ममता बनर्जी को घेरने की तैयारी कर रहे हैं और इसके लिए बूथ-स्तरीय सर्वे करा रहे हैं। वहीं, टीएमसी नंदीग्राम पर खास फोकस कर रही है, जहां 2021 में ममता को हार मिली थी। राजनीतिक जानकार इसे दोनों दलों के बीच प्रतिष्ठा की जंग मान रहे हैं।

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Bengal politics Mamata Banerjee Suvendu Adhikari Bhawanipur Nandigram BJP TMC prepare break each other hold
सुवेंदु अधिकारी और ममता बनर्जी - फोटो : पीटीआई
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पश्चिम बंगाल की सियासत में एक बार फिर से बड़ा मोड़ आता दिख रहा है। नेता विपक्ष सुवेंदु अधिकारी अब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के गढ़ भवानीपुर पर नजरें गड़ाए हुए हैं। वहीं, दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने सुवेंदु के गढ़ नंदीग्राम पर फोकस बढ़ा दिया है। दोनों दलों की इस रणनीति ने राज्य की राजनीति को और अधिक रोचक बना दिया है।
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भाजपा सूत्रों के मुताबिक सुवेंदु अधिकारी ने भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र में बूथ-स्तरीय ताकत और कमजोरी का पता लगाने के लिए एक विशेष सर्वे शुरू कराया है। सर्वे में 2021 के विधानसभा चुनाव में कहां ममता बनर्जी की पार्टी आगे रही और कहां पीछे, इस पर खास ध्यान दिया जा रहा है। भाजपा नेताओं का कहना है कि ममता को इस बार भवानीपुर में खुला मैदान नहीं मिलेगा। सुवेंदु अधिकारी यहां तक कह चुके हैं कि हजारों फर्जी नाम इस बार हटेंगे और ममता दीदी को हार का सामना करना पड़ेगा।
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नंदीग्राम में टीएमसी की तैयारी
दूसरी ओर टीएमसी ने चुपचाप नंदीग्राम में अपनी रणनीति बदलनी शुरू कर दी है। यही वह सीट है जहां 2021 में ममता बनर्जी और सुवेंदु अधिकारी आमने-सामने आए थे और ममता को 1,956 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था। टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी लगातार जिला और ब्लॉक स्तर के नेताओं से बैठक कर रहे हैं। पार्टी नेताओं का कहना है कि नंदीग्राम के लिए अलग रणनीति बनाई जा रही है और जल्द ही बूथ स्तर के पदाधिकारियों के साथ विशेष बैठक होगी।

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सियासी प्रतिष्ठा की लड़ाई
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यह केवल भवानीपुर बनाम नंदीग्राम की जंग नहीं रह गई है। अब यह ममता बनर्जी बनाम सुवेंदु अधिकारी और अभिषेक बनर्जी बनाम सुवेंदु अधिकारी की सीधी टक्कर बन चुकी है। भाजपा का तंज है कि ममता कंपार्टमेंटल मुख्यमंत्री हैं जो अपने चुने हुए मैदान नंदीग्राम में हार गईं, जबकि टीएमसी अधिकारी को लोड शेडिंग विपक्षी नेता कहकर पलटवार करती है।

नंदीग्राम का ऐतिहासिक महत्व
नंदीग्राम सिर्फ एक सीट नहीं बल्कि बंगाल की राजनीति का अहम प्रतीक है। 2007 में जमीन अधिग्रहण आंदोलन के दौरान नंदीग्राम ने पूरे देश का ध्यान खींचा था। यही आंदोलन वाम मोर्चा सरकार के पतन और टीएमसी के सत्ता में आने की नींव बना। उस समय सुवेंदु अधिकारी ममता बनर्जी के सबसे भरोसेमंद सहयोगी थे। लेकिन 2020 में सुवेंदु ने भाजपा का दामन थाम लिया और 2021 में ममता को नंदीग्राम में कड़ी शिकस्त दी।

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अगले चुनाव से पहले रणनीति
अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर दोनों दल पूरी ताकत झोंक रहे हैं। टीएमसी का मानना है कि नंदीग्राम में सुवेंदु को हराना सिर्फ एक सीट जीतने का सवाल नहीं बल्कि राजनीतिक बदला होगा। वहीं भाजपा का इरादा भवानीपुर में ममता बनर्जी को शिकस्त देकर बड़ा संदेश देने का है। दोनों ही दलों की तैयारियों से साफ है कि बंगाल का अगला चुनाव प्रतिष्ठा की जंग बनने जा रहा है।

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