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रिपोर्ट: बाल विवाह अधिनियम में सजा की दर मात्र 11%; जानें मासूमों के खिलाफ अन्य अपराध में कितना मिल पाया न्याय
न्यूज डेस्क, अमर उजाला
Published by: पवन पांडेय
Updated Thu, 18 Jul 2024 04:15 PM IST
सार
हमारे देश में बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों में सजा की दर काफी कम है, एक नए रिपोर्ट के मुताबिक बच्चों के खिलाफ अन्य सभी अपराधों में ये 34 फीसदी है, जबकि बाल विवाह अधिनियम में सजा की दर मात्र 11 फीसदी है।
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बाल विवाह अधिनियम में सजा की दर मात्र 11%
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
देश में बाल विवाह निरोधक अधिनियम के तहत सजा के दर की स्थिति काफी चिंताजनक है, एक रिपोर्ट के अनुसार इस अपराध में सजा के दर की स्थिति मात्र 11 फीसदी है। साल 2022 में बाल विवाह निरोधक अधिनियम के तहत 3 हजार 563 केस दर्ज कराए गए थे, जिसमें से मात्र 181 मामलों में ही सुनवाई पूरी हो पाई।
बाल विवाह के 3,365 मामले अभी भी लंबित
इस आंकड़े के बावजूद कि 3,365 मामले अभी भी लंबित हैं, निपटान की वर्तमान दर के साथ, देश को 2022 तक लंबित सभी मामलों को निपटाने में करीब 19 साल और लग सकते हैं। यह जानकारी भारत बाल संरक्षण (आईसीपी) शोध दल की एक रिपोर्ट के अनुसार दी गई है, जिसे बाल अधिकार निकाय राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने जारी किया है।
ज्यादा बच्चों का अपहरण सिर्फ विवाह के लिए हुआ
एक नए रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पांच वर्षों के दौरान दर्ज किए गए बाल विवाह के कुल मामलों की संख्या देश में एक दिन में होने वाली बालिका विवाह की संख्या से भी कम थी। औसतन, 2022 में प्रति जिले बाल विवाह का केवल एक मामला अभियोजन के लिए पंजीकृत किया गया। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि आधिकारिक आंकड़ों से पता चला है कि 2022 में अपहरण और बहकावे के 63 हजार 513 बच्चों में से जिन्हें बरामद किया गया, उनमें से 15 हजार 748 (25%) का अपहरण या तो 'विवाह' या 'अवैध संबंध' के उद्देश्य से किया गया था। इसमें से, 2022 में बरामद 15 हजार 142 बच्चों का अपहरण केवल विवाह के उद्देश्य से किया गया था।
गांव स्तर पर जुटाए गए प्राथमिक आंकड़े
इस रिपोर्ट में बहुआयामी दृष्टिकोण का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें पंचायती राज संस्थान के पदाधिकारियों और बाल संरक्षण पहलों में शामिल गैर सरकारी संगठनों के कार्यकर्ताओं समेत प्रमुख हितधारकों के साथ जुड़ाव के माध्यम से गांव स्तर पर जुटाए गए प्राथमिक आंकड़ों को मिलाया गया है। वहीं राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (एनएफएचएस-5) और राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की तरफ से साल 2018 से 2022 तक जारी भारत में अपराध रिपोर्ट के द्वितीयक आंकड़ों का विश्लेषण किया गया, इसके साथ ही बाल विवाह उन्मूलन प्रयासों में बाधाओं और बच्चों, विशेषकर लड़कियों पर उनके प्रभाव की समझ बढ़ाने के लिए एक व्यापक साहित्य समीक्षा की गई।
असम के एक हजार से ज्यादा गांवों से जुटा गया आकंड़ा
एक प्राथमिक डेटा असम के 20 जिलों के एक हजार 132 बिना चुने गांवों से जमा किया गया था, जिसमें कुल 21 लाख की आबादी और 8 लाख की बाल आबादी शामिल थी। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में 2021-22 और 2023-24 के बीच बाल विवाह के मामलों में 81 प्रतिशत की कमी आई है। कुल संख्या में बात करें, तो गांवों में बाल विवाह की घटनाएं 2021-22 में 3 हजार 225 से घटकर 2023-24 में मात्र 627 रह गई हैं।
असम के 30% गांवों में बाल विवाह पूरी तरह से खत्म
असम में सर्वेक्षण किए गए 30 प्रतिशत गांवों में बाल विवाह पूरी तरह से समाप्त हो गया है। इसके अतिरिक्त, 40 प्रतिशत गांवों में बाल विवाह की घटनाओं में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि 98 फीसदी उत्तरदाताओं का मानना है कि 2023 में असम सरकार की सख्त कानून प्रवर्तन पहलों का उनके समुदायों में बाल विवाह में कमी लाने पर महत्वपूर्ण और उल्लेखनीय प्रभाव पड़ा है। उत्तरदाताओं के भारी बहुमत ने बाल विवाह को रोकने में सख्त प्रवर्तन उपायों की प्रभाव को स्वीकार किया है। 20 में से 12 जिलों में, 90 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं का मानना है कि बाल विवाह से संबंधित मामलों में व्यक्तियों को गिरफ्तार करने और एफआईआर दर्ज करने जैसी कानूनी कार्रवाई करने से ऐसे मामलों की घटना को प्रभावी ढंग से रोका जा सकता है। कुल मिलाकर, सभी 20 जिलों के लिए यह प्रतिशत 72 प्रतिशत है।
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बाल विवाह के 3,365 मामले अभी भी लंबित
इस आंकड़े के बावजूद कि 3,365 मामले अभी भी लंबित हैं, निपटान की वर्तमान दर के साथ, देश को 2022 तक लंबित सभी मामलों को निपटाने में करीब 19 साल और लग सकते हैं। यह जानकारी भारत बाल संरक्षण (आईसीपी) शोध दल की एक रिपोर्ट के अनुसार दी गई है, जिसे बाल अधिकार निकाय राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने जारी किया है।
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ज्यादा बच्चों का अपहरण सिर्फ विवाह के लिए हुआ
एक नए रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पांच वर्षों के दौरान दर्ज किए गए बाल विवाह के कुल मामलों की संख्या देश में एक दिन में होने वाली बालिका विवाह की संख्या से भी कम थी। औसतन, 2022 में प्रति जिले बाल विवाह का केवल एक मामला अभियोजन के लिए पंजीकृत किया गया। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि आधिकारिक आंकड़ों से पता चला है कि 2022 में अपहरण और बहकावे के 63 हजार 513 बच्चों में से जिन्हें बरामद किया गया, उनमें से 15 हजार 748 (25%) का अपहरण या तो 'विवाह' या 'अवैध संबंध' के उद्देश्य से किया गया था। इसमें से, 2022 में बरामद 15 हजार 142 बच्चों का अपहरण केवल विवाह के उद्देश्य से किया गया था।
गांव स्तर पर जुटाए गए प्राथमिक आंकड़े
इस रिपोर्ट में बहुआयामी दृष्टिकोण का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें पंचायती राज संस्थान के पदाधिकारियों और बाल संरक्षण पहलों में शामिल गैर सरकारी संगठनों के कार्यकर्ताओं समेत प्रमुख हितधारकों के साथ जुड़ाव के माध्यम से गांव स्तर पर जुटाए गए प्राथमिक आंकड़ों को मिलाया गया है। वहीं राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (एनएफएचएस-5) और राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की तरफ से साल 2018 से 2022 तक जारी भारत में अपराध रिपोर्ट के द्वितीयक आंकड़ों का विश्लेषण किया गया, इसके साथ ही बाल विवाह उन्मूलन प्रयासों में बाधाओं और बच्चों, विशेषकर लड़कियों पर उनके प्रभाव की समझ बढ़ाने के लिए एक व्यापक साहित्य समीक्षा की गई।
असम के एक हजार से ज्यादा गांवों से जुटा गया आकंड़ा
एक प्राथमिक डेटा असम के 20 जिलों के एक हजार 132 बिना चुने गांवों से जमा किया गया था, जिसमें कुल 21 लाख की आबादी और 8 लाख की बाल आबादी शामिल थी। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में 2021-22 और 2023-24 के बीच बाल विवाह के मामलों में 81 प्रतिशत की कमी आई है। कुल संख्या में बात करें, तो गांवों में बाल विवाह की घटनाएं 2021-22 में 3 हजार 225 से घटकर 2023-24 में मात्र 627 रह गई हैं।
असम के 30% गांवों में बाल विवाह पूरी तरह से खत्म
असम में सर्वेक्षण किए गए 30 प्रतिशत गांवों में बाल विवाह पूरी तरह से समाप्त हो गया है। इसके अतिरिक्त, 40 प्रतिशत गांवों में बाल विवाह की घटनाओं में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि 98 फीसदी उत्तरदाताओं का मानना है कि 2023 में असम सरकार की सख्त कानून प्रवर्तन पहलों का उनके समुदायों में बाल विवाह में कमी लाने पर महत्वपूर्ण और उल्लेखनीय प्रभाव पड़ा है। उत्तरदाताओं के भारी बहुमत ने बाल विवाह को रोकने में सख्त प्रवर्तन उपायों की प्रभाव को स्वीकार किया है। 20 में से 12 जिलों में, 90 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं का मानना है कि बाल विवाह से संबंधित मामलों में व्यक्तियों को गिरफ्तार करने और एफआईआर दर्ज करने जैसी कानूनी कार्रवाई करने से ऐसे मामलों की घटना को प्रभावी ढंग से रोका जा सकता है। कुल मिलाकर, सभी 20 जिलों के लिए यह प्रतिशत 72 प्रतिशत है।