CRPF: अदम्य साहस और कर्तव्य-निष्ठा के बाद भी नहीं मिला सम्मान, दो अफसर हुए शहीद, तो एक ने गंवाए दोनों पैर
CRPF: हाल ही में एक प्रेसवार्ता में जब डीजी कुलदीप सिंह से विभोर कुमार सिंह को मेडल देने बाबत सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा था कि ड्यूटी के दौरान विभोर ने अदम्य साहस का परिचय दिया है। हालांकि वह बहादुरी की श्रेणी में नहीं आता...

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देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल, सीआरपीएफ में अदम्य साहस और सर्वोच्च कर्तव्य परायणता का प्रदर्शन करने के बावजूद तीन जांबाज कमांडरों को सम्मान नहीं मिल सका। इनमें से दो कमांडरों ने शहादत हासिल की, जबकि तीसरे अधिकारी विभोर कुमार सिंह आईईडी विस्फोट में बुरी तरह जख्मी हो गए। इसके चलते उनकी दोनों टांगें शरीर से अलग करनी पड़ीं। कॉन्फेडरेशन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स मार्टियर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने सहायक कमांडेंट विभोर को शौर्य चक्र से सम्मानित करने की मांग की है।

एसोसिएशन का दावा है कि आईजी बिहार सेक्टर द्वारा विभोर को शौर्य चक्र देने और हवलदार सुरेंद्र यादव को पीपीएमजी से सम्मानित करने के लिए डीजी बिहार पुलिस व विशेष पुलिस महानिदेशक सीआरपीएफ, कोलकाता को संस्तुति भेजी गई थी।
मेडल, एक्शन पर होता है, घायल होने पर नहींः डीजी
हाल ही में एक प्रेसवार्ता में जब डीजी कुलदीप सिंह से विभोर कुमार सिंह को मेडल देने बाबत सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा था कि ड्यूटी के दौरान विभोर ने अदम्य साहस का परिचय दिया है। हालांकि वह बहादुरी की श्रेणी में नहीं आता। वीरता पदक देने के लिए कुछ नियम होते हैं। अगर किसी अधिकारी या जवान का एक्शन, वीरता की श्रेणी में आता है, तो अवश्य मेडल प्रदान किया जाता है। ऑपरेशन के दौरान इस तरह की घटनाएं होती रहती हैं। हमारे युवा अफसर डीसी व एसी, ऑपरेशन का नेतृत्व करते हैं। महाराष्ट्र के एक अफसर, सहायक कमांडेंट नितीन भालेराव और डीसी विकास, आईईडी ब्लास्ट में शहीद हो गए थे। विभोर कुमार के मामले में भी ऐसा ही ब्लास्ट हुआ है। मेडल, एक्शन पर होता है, घायल होने पर नहीं मिलता। ऑपरेशन में तो डेथ भी होती है। ऐसे में तो वहां और ज्यादा मिलना चाहिए।
कहां से हुई है मेडल देने की सिफारिश
एसोसिएशन के महासचिव रणबीर सिंह ने कहा, सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट विभोर कुमार सिंह, 205 बटालियन कोबरा में तैनात हैं। 25 फरवरी को जिला जहानाबाद के घने जंगलों में नक्सलियों के साथ हुई एक मुठभेड़ में वे अपने दोनों पैर राष्ट्र के लिए गंवा बैठे। घायल होने के बावजूद धैर्य और युद्ध कौशल का प्रदर्शन करते हुए विभोर ने अपने जवानों की हौसला अफजाई की। वे अपनी टीम का मनोबल बढ़ाते रहे। फायर का जवाब फायर से दिया। अपने दल का मनोबल बढ़ाने एवं अदम्य साहस का प्रदर्शन करने के लिए आईजी बिहार सेक्टर ने उन्हें शौर्य चक्र देने की संस्तुति की है। रणबीर सिंह का दावा है कि विभोर के साथ घायल हुए हवलदार रेडियो ऑपरेटर सुरेंद्र यादव को पीपीएमजी पदक से सम्मानित करने की सिफारिश की गई है। सीआरपीएफ महानिदेशक द्वारा 21 सितम्बर को नक्सलवाद समस्या पर एक प्रेसवार्ता के दौरान जांबाज विभोर कुमार सिंह को पदक देने से मना कर दिया गया। डीजी द्वारा यह कहना कि ऑपरेशन में पदक नहीं दिया जाता, जब तक वहां कोई उपलब्धि न हो, शौर्य का अपमान है।
तीनों अफ़सरों को नहीं मिला सम्मान
एसोसिएशन के महासचिव का कहना है कि उस ऑपरेशन में बल को जान-माल का बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता था। सहायक कमांडेंट विभोर के साहस को देखना होगा कि उन्होंने बुरी तरह जख्मी होने के बावजूद उच्च कोटि का नेतृत्व प्रदान किया। डीजी सीआरपीएफ ने डिप्टी कमांडेंट विकास कुमार 208 कोबरा और असिस्टेंट कमांडेंट नितिन भालेराव कोबरा 206 बटालियन की शहादत का जिक्र किया। इन दोनों को भी मरणोपरांत पदक से सम्मानित नहीं किया गया। शहीद भालेराव, विकास कुमार और जख्मी हुए विभोर कुमार सिंह के बीवी बच्चों और मां बाप पर क्या गुजरती होगी, जब 30 सितंबर को रिटायर हो रहे महानिदेशक ने सार्वजनिक तौर पर कहा कि इनका बलिदान, वीरता की श्रेणी में नहीं आता। विभोर ने कर्तव्य की बलिवेदी पर अपने दोनों पांव व बाएं हाथ की उंगलियां राष्ट्र हित मे चढ़ा दीं। आईजी सीआरपीएफ ने उन्हें शौर्य चक्र प्रदान करने की संस्तुति की। ऐसे में डीजी उन्हें पदक देने से मना कर रहे हैं।