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Delhi-NCR Pollution: सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी- हम हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठ सकते, 10 दिसंबर को अगली सुनवाई

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: पवन पांडेय Updated Mon, 01 Dec 2025 03:33 PM IST
सार

Supreme Court On Pollution: दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र और सभी संबंधित एजेंसियों को कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि अब सिर्फ योजना बना लेने से काम नहीं चलेगा, जमीन पर असर दिखना चाहिए। CJI सूर्यकांत ने साफ कहा कि हम हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठ सकते।

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Delhi-NCR air pollution: 'We cannot sit idle...' Supreme Court gives suo motu hearing
सुप्रीम कोर्ट (फाइल तस्वीर) - फोटो : ANI
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विस्तार
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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर वायु प्रदूषण संकट पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई की। इस दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा- मेरे मित्र का कहना है कि मामले की सुनवाई केवल सूचीबद्ध होने से ही इसमें (वायु गुणवत्ता सूचकांक) सुधार हुआ है... यह जरूरी है कि हम इसे तीन-चार महीने बाद सूचीबद्ध करने के बजाय नियमित रूप से सुनें। मुख्य न्यायाधीश ने आगे कहा कि हम चाहते हैं कि दीर्घकालिक योजनाएं भी सार्वजनिक हों, उन योजनाओं पर चर्चा और अंतिम रूप दिया जाना आवश्यक है। अब इस मामले पर 10 दिसंबर को सुनवाई होगी।
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सुनवाई के दौरान क्या-क्या हुआ?
  • एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने बताया कि केंद्र ने अल्पकालिक (शॉर्ट टर्म) योजनाओं का शपथपत्र दाखिल किया है और सभी राज्यों व एजेंसियों के साथ बैठकें की गई हैं।
  • अदालत ने पूछा कि इन योजनाओं का वास्तव में कोई असर हुआ भी है या नहीं?
  • सीजेआई ने कहा- 'आपने जो एक्शन प्लान बनाया था, उससे कितनी सकारात्मक प्रगति हुई? हमें यह जानना जरूरी है। पहले हमें ये भी पता नहीं कि कौन-से कदम उठाए गए।'
पराली जलाने की घटनाओं पर भी चर्चा
इस दौरान एएसजी ने स्वीकार किया कि राज्यों का लक्ष्य 'शून्य पराली जलाना' था, लेकिन उसे हासिल नहीं किया जा सका। इस पर सीजेआई ने कहा, 'पराली जलाना अकेला कारण नहीं है। कोविड के समय भी पराली जलाई जा रही थी, लेकिन तब आसमान बिल्कुल नीला और साफ था।' सीजेआई ने यह भी कहा कि पराली के मुद्दे को राजनीतिक या अहं का विषय न बनाया जाए- 'किसान अगर पराली जला रहा है तो इसकी एक आर्थिक वजह है। वह एक संसाधन भी है और एक वस्तु भी।'

प्रदूषण के लिए कौन-कौन जिम्मेदार?
एएसजी भाटी ने आईआईटी की 2016 और 2023 रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा, इसमें सबसे बड़ा योगदान वाहनों का है। उसके बाद धूल और औद्योगिक इलाकों का प्रदूषण और पराली जलाना सिर्फ एक सीमित समय की समस्या है। अदालत ने निर्देश दिया कि एक सप्ताह में रिपोर्ट दी जाए जिसमें पराली के अलावा अन्य कारण- जैसे वाहन, निर्माण, धूल - पर अब तक कितनी कार्रवाई हुई और उसका क्या असर पड़ा, इसकी विस्तृत जानकारी हो।

इस दौरान एक वकील ने कहा कि दिल्ली की सड़कों पर दोनों तरफ वाहन खड़े होने से ट्रैफिक और प्रदूषण बढ़ता है। यह भी बताया गया कि दिल्ली में वाहनों की संख्या अन्य सभी महानगरों के कुल वाहनों से भी अधिक है। वहीं सीजेआई ने कहा कि मेट्रो जैसे प्रोजेक्ट भविष्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, लेकिन जब तक लंबी अवधि की योजनाएं लागू होती हैं, तब तक तुरंत प्रभावी अल्पकालिक उपाय जरूरी हैं।

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10 दिसंबर को अगली सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश ने स्पष्ट कहा, 'हम इस मामले को लंबा लंबित नहीं रहने देंगे। अगर फिर टाला गया तो वही इतिहास दोहराया जाएगा।' जिसके बाद इस मामले को 10 दिसंबर को सूचीबद्ध किया गया।

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