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Red Fort Blast: दिल्ली में इन दो तारीखों पर धमाके की साजिश थी, घबराहट में ब्लास्ट से पहले छह घंटे कहां था उमर?
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Wed, 12 Nov 2025 05:52 PM IST
सार
लाल किला धमाके की जांच में खुलासा हुआ कि पुलवामा के डॉक्टर उमर नबी बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर बड़ा विस्फोट करना चाहता था। हालांकि साथी की गिरफ्तारी के बाद वो घबरा गया और कार चलाते हुए धमाका कर दिया। धमाके पहले उमर तीन घंटे पुरानी दिल्ली की मस्जिद में छिपा रहा था।
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ब्लास्ट से पहले कहां था उमर?
- फोटो : अमर उजाला ग्राफिक
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विस्तार
दिल्ली के लाल किले के पास हुए धमाके की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। जांच एजेंसियों के अनुसार, विस्फोटक कार चलाने वाला डॉक्टर उमर नबी असल में 6 दिसंबर यानी बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी के दिन बड़ा धमाका करने की साजिश रच रहा था। लेकिन साथी की गिरफ्तारी के बाद घबराहट में वह कार लेकर घूमता रहा और धमाका समय से पहले हो गया।
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जांच में सामने आया कि दक्षिण कश्मीर के पुलवामा का रहने वाला 28 वर्षीय डॉक्टर उमर नबी ‘जेईएम’ यानी जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा हुआ था। उसे लाल किले के पास 10 नवंबर को हुए धमाके में मारा गया माना जा रहा है, जिसमें 12 लोगों की जान गई। यह नेटवर्क जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश तक फैला था। इस मामले में अब तक आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें सात कश्मीर के हैं।
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धमाके से पहले कब और कहां था उमर
डॉ. उमर नबी धमाके से पहले कई जगह घूमते रहा और उसकी हालिया गतिविधियों का एक रोड मैप मिला है। इससे पता चलता है कि इस हमले की तैयारी काफी पहले से ही शुरू हो गई थी। फिलहाल तक की जांच के अनुसार माना जा रहा है 26 अक्तूबर को उमर कश्मीर गया। यहां वो अपने मित्रों व रिश्तेदारों के साथ कुछ दिन रुका। यहां उसने अपने करीबियों को बताया कि वह अगले तीन महीने उपलब्ध नहीं रहेगा।
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धमाके से पहले मस्जिद में छिपा था उमर
इसके बाद वह वापस फरीदाबाद आया और अल-फलाह विश्वविद्यालय के कैंपस के आसपास अमोनियम नाइट्रेट, पोटेशियम नाइट्रेट व सल्फर जैसी सामग्री जुटाकर छिपाई। फिर 10 नवंबर की शाम वह पुरानी दिल्ली के वॉल्ड सिटी की एक मस्जिद में करीब तीन घंटे तक छिपा रहा। माना जा रहा है कि मस्जिद से निकलने के बाद वह अपनी हुंडई आई-20 लेकर चला और कुछ ही देर में लाल किले के पास उमर ने गाड़ी में घबराकर धमाका कर दिया।
कब, कैसे बनी थी आतंकी कड़ी
अधिकारियों के अनुसार, उमर और गनई 2021 में तुर्किये गए थे, जहां उन्होंने जैश के कुछ ओवरग्राउंड वर्करों से मुलाकात की थी। लौटने के बाद दोनों ने फरीदाबाद के अल-फलाह यूनिवर्सिटी परिसर में अमोनियम नाइट्रेट, पोटैशियम नाइट्रेट और सल्फर जैसे विस्फोटक जुटाने शुरू कर दिए थे। दोनों इंटरनेट से VBIED (विहिकल बेस्ड इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) बनाना सीख रहे थे।
कबूलनामे से खुली साजिश की पूरी कहानी
सुरक्षा एजेंसियों को मिली जानकारी के अनुसार, उमर ने अपने रिश्तेदारों से कहा था कि वह तीन महीने तक संपर्क में नहीं रहेगा। संभवतः धमाका करने के बाद वह भूमिगत होने की योजना में था। लेकिन श्रीनगर पुलिस की सतर्कता और गनई की गिरफ्तारी से सारा नेटवर्क खुल गया। यह मॉड्यूल अब तक के सबसे हाई-टेक आतंकी नेटवर्क्स में से एक माना जा रहा है, जिसमें उच्च शिक्षित युवाओं की संलिप्तता सामने आई है।