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Droupadi Murmu: 'अपनी मातृभाषा को न भूलें', ओल चिकी लिपि के शताब्दी समारोह में राष्ट्रपति मुर्मू ने की अपील

न्यूज डेस्क, अमर उजाला Published by: अस्मिता त्रिपाठी Updated Mon, 29 Dec 2025 03:00 PM IST
सार

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को लोगों से अपनी-अपनी मातृभाषाओं को कभी न भूलने का आग्रह किया। राष्ट्रपति मुर्मू ने यह बात संताली भाषा की ओल चिकी लिपि के शताब्दी समारोह और 22वें संताली 'पारसी महा' (भाषा दिवस) के संबोधन में कहा। 

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Droupadi Murmu appealed not to forget one's mother tongue
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू - फोटो : पीटीआई
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विस्तार
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को लोगों से अपनी-अपनी मातृभाषाओं को कभी न भूलने का आग्रह किया। इसके साथ ही उन्होंने समाज की बेहतरी के लिए सामूहिक प्रयासों का आह्वान किया। राष्ट्रपति  मुर्मू पूर्वी सिंहभूम जिले के जमशेदपुर शहर के बाहरी इलाके करांडीह में डिशोम जहेरथान प्रांगण में संताली भाषा की ओल चिकी लिपि के शताब्दी समारोह और 22वें संताली 'पारसी महा' (भाषा दिवस) को संबोधित कर रही थीं।

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प्रार्थना गीत गाकर अपने भाषण की शुरूआत की

राष्ट्रपति ने अपने भाषण की शुरुआत संताली भाषा में 'जाहेर आयो' (आदिवासी मातृ देवी) की स्तुति में एक प्रार्थना गीत गाकर की। इसके साथ ही मुर्मू ने संताली भाषा में लोगों से आग्रह किया "हर भाषा सीखने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन अपनी मातृभाषा को कभी मत भूलिए। जब आप अपने लोगों से बात करें, तो हमेशा अपनी मातृभाषा में बात करने की कोशिश करें। उन्होंने कहा कि ओल चिकी अब डिजिटल प्लेटफॉर्म पर है और इसका उपयोग भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए किया जाना चाहिए।

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ओल चिकी को बढ़ावा देने में टाटा स्टील के योगदान की सराहना किया

ओल चिकी को बढ़ावा देने में टाटा स्टील के योगदान की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि समाज की बेहतरी के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूहों (पीवीटीजी) के विकास के लिए 24,000 करोड़ रुपये जारी किए हैं। राष्ट्रपति ने संताली साहित्य के विकास में योगदान देने वाले 12 प्रतिष्ठित संताली व्यक्तियों को भी सम्मानित किया।

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इस समारोह में मुर्मू मुख्य अतिथि थे, जिसमें राज्यपाल संतोष गंगवार, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और झाड़ग्राम (पश्चिम बंगाल) से टीएमसी सांसद और पद्मश्री से सम्मानित कालीपाड़ा सोरेन भी उपस्थित थे। यह कार्यक्रम पंडित रघुनाथ मुर्मू द्वारा 1925 में शुरू किए गए ओल चिकी आंदोलन के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था। उन्होंने ओल चिकी लिपि के जनक पंडित रघुनाथ मुर्मू की प्रतिमा पर माल्यार्पण करके उन्हें श्रद्धांजलि भी अर्पित की। इसके साथ राष्ट्रपति मुर्मू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) जमशेदपुर के 15वें दीक्षांत समारोह में भी शामिल होंगे।

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