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ECI: सियासी विज्ञापनों-प्रत्याशियों के सोशल मीडिया अकाउंट्स को लेकर नई तैयारी, चुनाव आयोग ने दिए ये निर्देश
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: पवन पांडेय
Updated Tue, 14 Oct 2025 10:39 AM IST
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सार
Election Commission: बिहार चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों के लिए कई निर्देश दिए हैं। इसके मुताबिक, सभी दलों को अपने विज्ञापनों को मीडिया प्रमाणन एवं निगरानी समिति से पहले-प्रमाणित कराना होगा; उम्मीदवारों को अपने आधिकारिक सोशल मीडिया खातों की जानकारी आयोग को देनी होगी।

बिहार विधानसभा चुनाव 2025
- फोटो : पीटीआई
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विस्तार
चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा के आम चुनाव और जम्मू-कश्मीर समेत छह राज्यों की आठ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी है। इसी बीच आयोग ने राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों के लिए नए दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं। चुनाव आयोग ने 9 अक्टूबर 2025 को आदेश दिए हैं कि सभी राष्ट्रीय और राज्य राजनीतिक दल, साथ ही चुनाव में भाग लेने वाले प्रत्याशी, किसी भी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया या सोशल मीडिया पर प्रचार करने से पहले मीडिया सर्टिफिकेशन और मॉनिटरिंग कमेटी (एमसीएमसी) से अपने राजनीतिक विज्ञापनों का पूर्व-सत्यापन कराएं।
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विज्ञापन और सोशल खातों का पूर्व-सत्यापन
चुनाव आयोग के निर्देश के अनुसार, किसी भी राजनीतिक विज्ञापन को इंटरनेट या सोशल मीडिया पर जारी करने से पहले एमसीएमसी की मंजूरी लेना अनिवार्य होगा। बता दें कि, सभी राज्य और जिले में एमसीएमसी बनाई गई है जो विज्ञापनों की जांच करेगी और दिशानिर्देशों के अनुसार पूर्व-सत्यापन करेगी।
भ्रामक समाचार पर निगरानी
मीडिया सर्टिफिकेशन और मॉनिटरिंग कमेटी संदिग्ध मामलों जैसे 'पेड न्यूज' पर भी कड़ी नजर रखेगी और आवश्यक कार्रवाई करेगी। वहीं चुनाव लड़ने वाले सभी प्रत्याशियों को अपने सत्यापित सोशल मीडिया अकाउंट्स की जानकारी नामांकन दाखिल करते समय चुनाव आयोग को देना होगा।
चुनावी खर्च का विवरण भी साझा करना अनिवार्य
इसके साथ ही चुनावी खर्च का विवरण भी साझा किया जाना अनिवार्य कर दिया गया है। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 77(1) और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, राजनीतिक दलों को सोशल मीडिया और इंटरनेट प्रचार पर हुए खर्च का विवरण चुनाव आयोग को विधानसभा चुनाव समाप्त होने के 75 दिनों के अंदर देना होगा। इसमें इंटरनेट कंपनियों को भुगतान, विज्ञापन सामग्री तैयार करने का खर्च और सोशल मीडिया अकाउंट के संचालन का खर्च शामिल होगा।
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कुल मिलाकर चुनाव आयोग का यह कदम डिजिटल प्रचार और सोशल मीडिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। आयोग का उद्देश्य है कि राजनीतिक प्रचार ईमानदारी और नियमों के अनुरूप हो।

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विज्ञापन और सोशल खातों का पूर्व-सत्यापन
चुनाव आयोग के निर्देश के अनुसार, किसी भी राजनीतिक विज्ञापन को इंटरनेट या सोशल मीडिया पर जारी करने से पहले एमसीएमसी की मंजूरी लेना अनिवार्य होगा। बता दें कि, सभी राज्य और जिले में एमसीएमसी बनाई गई है जो विज्ञापनों की जांच करेगी और दिशानिर्देशों के अनुसार पूर्व-सत्यापन करेगी।
भ्रामक समाचार पर निगरानी
मीडिया सर्टिफिकेशन और मॉनिटरिंग कमेटी संदिग्ध मामलों जैसे 'पेड न्यूज' पर भी कड़ी नजर रखेगी और आवश्यक कार्रवाई करेगी। वहीं चुनाव लड़ने वाले सभी प्रत्याशियों को अपने सत्यापित सोशल मीडिया अकाउंट्स की जानकारी नामांकन दाखिल करते समय चुनाव आयोग को देना होगा।
चुनावी खर्च का विवरण भी साझा करना अनिवार्य
इसके साथ ही चुनावी खर्च का विवरण भी साझा किया जाना अनिवार्य कर दिया गया है। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 77(1) और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, राजनीतिक दलों को सोशल मीडिया और इंटरनेट प्रचार पर हुए खर्च का विवरण चुनाव आयोग को विधानसभा चुनाव समाप्त होने के 75 दिनों के अंदर देना होगा। इसमें इंटरनेट कंपनियों को भुगतान, विज्ञापन सामग्री तैयार करने का खर्च और सोशल मीडिया अकाउंट के संचालन का खर्च शामिल होगा।
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कुल मिलाकर चुनाव आयोग का यह कदम डिजिटल प्रचार और सोशल मीडिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। आयोग का उद्देश्य है कि राजनीतिक प्रचार ईमानदारी और नियमों के अनुरूप हो।