ED: गुरुग्राम में बैठकर अमेरिकी लोगों से कर रहे थे ठगी, ईडी के छापे में अवैध कॉल सेंटर का पर्दाफाश
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), गुरुग्राम क्षेत्रीय कार्यालय ने ऐसे अवैध कॉल सेंटर का खुलासा किया है, जिसके जरिए अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाया जाता था। कॉल सेंटर के संचालक, तकनीकी सेवा प्रदाताओं का रूप धारण करके अमेरिकी नागरिकों के साथ धोखाधड़ी करते थे।
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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), गुरुग्राम क्षेत्रीय कार्यालय ने ऐसे अवैध कॉल सेंटर का खुलासा किया है, जिसके जरिए अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाया जाता था। कॉल सेंटर के संचालक, तकनीकी सेवा प्रदाताओं का रूप धारण करके अमेरिकी नागरिकों के साथ धोखाधड़ी करते थे। इस केस में आरोपियों ने माइक्रोसॉफ्ट तकनीकी सहायता होने का झूठा दावा किया। पीड़ितों को टीमव्यूअर या एनीडेस्क जैसे रिमोट एक्सेस सॉफ्टवेयर स्थापित करने के लिए राजी किया। आरोपियों को इसके माध्यम से उनके कंप्यूटर सिस्टम पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त हो गया। एक्सेस प्राप्त होने के बाद, आरोपियों ने पीड़ितों के उपकरणों को नियंत्रित किया। उन्होंने लोगों की ऑनलाइन बैंकिंग विवरण सहित संवेदनशील व्यक्तिगत और वित्तीय जानकारी निकाल ली।
ईडी ने सीबीआई, आईओडी, दिल्ली द्वारा आईपीसी, 1860 और आईटी अधिनियम, 2000 की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज एफआईआर के आधार पर इस केस की जांच शुरू की थी। इस मामले में जांच एजेंसी ने 19 और 20 दिसंबर को दिल्ली-एनसीआर में घोटाले के मुख्य साजिशकर्ताओं और सहयोगियों से जुड़े 10 स्थानों पर तलाशी ली। इन तलाशी अभियानों के परिणामस्वरूप लगभग 1.75 करोड़ रुपये के आभूषण, 10 लाख रुपये से अधिक की नकदी, चार महंगी गाड़ियां, आठ लग्जरी घड़ियां, डिजिटल उपकरण और आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए गए हैं।
हालांकि, मुख्य आरोपी अर्जुन गुलाटी, अभिनव कालरा और दिव्यांश गोयल अभी भी फरार हैं। जांच एजेंसी के मुताबिक, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), गुरुग्राम क्षेत्रीय कार्यालय ने चंद्र प्रकाश गुप्ता को 13 दिसंबर को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत गिरफ्तार किया है। उन पर दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र से संचालित और अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाने वाले एक बड़े पैमाने पर अवैध कॉल सेंटर घोटाले से संबंधित आरोप हैं। विशेष न्यायालय (पीएमएलए), गुरुग्राम ने ईडी को आरोपी की हिरासत 24 दिसंबर 2025 तक के लिए सौंप दी है। तकनीकी सेवा प्रदाताओं का रूप धारण करके धोखाधड़ी करने वाले तकनीकी सहायता घोटालों में प्रमुख आरोपी चंद्र प्रकाश गुप्ता जुलाई 2024 से फरार था। सीबीआई की छापेमारी के बाद उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था। तलाशी के दौरान, कई परिसरों से 220 से अधिक महंगी शराब की बोतलें बरामद की गईं, जो आवासीय सीमा से कहीं अधिक थीं। इस मामले की सूचना राज्य उत्पाद शुल्क विभाग को दी गई है।
अब तक की जांच में पता चला है कि नोएडा और गुरुग्राम से अवैध कॉल सेंटर चलाए जा रहे थे, जहां कर्मचारी अमेरिकी नागरिकों को ठग रहे थे। धोखाधड़ी की गतिविधियां माइक्रोसॉफ्ट की आधिकारिक सुरक्षा सूचनाओं से मिलती-जुलती भ्रामक पॉप-अप अलर्ट संदेशों के माध्यम से की जा रही थीं। इन पॉप-अप संदेशों के जरिए भोले-भाले पीड़ितों को स्क्रीन पर प्रदर्शित फोन नंबरों पर कॉल करने के लिए गुमराह किया जाता था। वहां उन्हें अवैध कॉल सेंटर चलाने वाले आरोपियों से जोड़ा जाता था।
अत्याधुनिक तकनीकी प्रणालियों का उपयोग करके, आरोपियों ने माइक्रोसॉफ्ट तकनीकी सहायता होने का झूठा दावा किया। पीड़ितों को टीमव्यूअर या एनीडेस्क जैसे रिमोट एक्सेस सॉफ्टवेयर स्थापित करने के लिए राजी किया, जिससे उन्हें उनके कंप्यूटर सिस्टम पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त हो गया। एक्सेस प्राप्त होने के बाद, आरोपियों ने पीड़ितों के उपकरणों को नियंत्रित किया और ऑनलाइन बैंकिंग विवरण सहित संवेदनशील व्यक्तिगत और वित्तीय जानकारी निकाली। पीड़ितों के डर और भ्रम का फायदा उठाते हुए, आरोपियों ने उन्हें अपने निजी बैंक खातों से वायर ट्रांसफर के माध्यम से उन खातों में धनराशि स्थानांतरित करने के लिए प्रेरित किया। इस प्रक्रिया को फर्जी तौर पर फेडरल रिजर्व द्वारा नियंत्रित बताया गया था।
यह धनराशि आसन्न हैकिंग के खतरों से सुरक्षित रखने के बहाने किया गया था। अपराध की धनराशि को हांगकांग के बैंक खातों में वायर ट्रांसफर किया गया। बाद में उसे क्रिप्टोकरेंसी में परिवर्तित कर फिएट मुद्रा में परिवर्तित कर दिया गया। इसके बाद, विभिन्न ऑपरेटरों की सहायता से कई फर्जी संस्थाओं के माध्यम से इन धनराशि को आरोपियों और उनकी कंपनियों के खातों में वापस डाल दिया गया। जांच से पता चलता है कि नवंबर 2022 और अप्रैल 2024 के बीच, आरोपियों ने पीड़ितों से लगभग 15 मिलियन अमेरिकी डॉलर की धोखाधड़ी की। इसके अलावा, घोटाले के मुख्य साजिशकर्ताओं द्वारा अपराध की धनराशि से खरीदी गई 100 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों की पहचान की गई है। इससे पहले 20 अगस्त के तलाशी अभियान में भी आपत्तिजनक सामग्री, विलासितापूर्ण संपत्ति और उच्च मूल्य की अचल संपत्तियों में निवेश से संबंधित विवरण जब्त किए गए थे।